नई दिल्लीः Zoho के संस्थापक और सीईओ श्रीधर वेंबु (Sridhar Vembu) ने इंजीनियरों खासकर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को चेतावनी देते हुए ज्यादा सैलरी को हल्के में न लेने की नसीहत दी है। इस बारे में वेंबु ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट शेयर की।
इस पोस्ट में उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियर और सिविल इंजीनियर या यहां तक कि केमिस्ट या स्कूल शिक्षकों और सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के बीच वेतन में समानताओं को बताते हुए कहा कि तकनीकी विशेषज्ञों का बहुत अधिक वेतन पाना “कोई जन्मसिद्ध अधिकार नहीं है।” इसके साथ ही इस चेतावनी भरे पोस्ट में उन्होंने भविष्य की आशंकाओं को लेकर भी संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा “हम इसे हल्के में नहीं ले सकते और हम यह नहीं मान सकते कि यह हमेशा के लिए चलेगा।”
श्रीधर वेंबू ने क्या कहा?
उन्होंने आगे कहा कि ग्राहक हमारे उत्पादों के लिए भुगतान करते हैं। इस तथ्य को भी हल्के में नहीं लिया जा सकता।
I have often said this to our employees: the fact that software engineers get paid better than mechanical engineers or civil engineers or chemists or school teachers is not some birthright and we cannot take that for granted, and we cannot assume it will last forever.
The fact…
— Sridhar Vembu (@svembu) May 18, 2025
इंटेल के सह संस्थापक आंद्रे ग्रोव को उद्धृत करते हुए “केवल पागल ही जीवित रहते हैं” कहा कि “सॉफ्टवेयर विकास (एलएलएम+टूलिंग) में उत्पादकता क्रांति जो मैं देख रहा हूं, वह बहुत सारी सॉफ्टवेयर नौकरियां खा सकती है। यह गंभीर है लेकिन इसे आत्मसात करना जरूरी है।”
एआई आधारित उत्पादकता
श्रीधर वेंबु का यह दावा कि एआई आधारित उत्पादकता रोजगार को निगल रही है अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की जनवरी 2024 में आई रिपोर्ट से मेल खाती है जिसमें कहा गया था कि एआई वैश्विक रोजगार में 40 प्रतिशत हिस्सा खा सकती है।
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की दैनिक जीवन और प्रोफेशनल लाइफ में बढ़ती उपयोगिता रोजगार को किस हद तक प्रभावित करेगी, इसको लेकर कर्मचारियों में चिंता है। इसको लेकर लोग शंका जाहिर करते रहे हैं। श्रीधर की इंजीनियर की यह नसीहत ऐसे वक्त में आई है जब हर कोई खासकर आईटी इंडस्ट्री के पेशेवर एआई की उपयोगिता को लेकर काफी चिंतित हैं।