Friday, October 10, 2025
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DSP जियाउल हक की हत्या के 10 दोषियों को उम्रकैद, 11 साल बाद आया CBI अदालत का फैसला

लखनऊ: सीबीआई की विशेष अदालत ने यूपी पुलिस के उप निरीक्षक जियाउल हक की हत्या के मामले में बुधवार को 10 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनायी। अदालत ने सभी दोषियों पर आर्थिक दण्ड भी लगाया है, जिससे प्राप्त आधी राशि दिवंगत पुलिस अधिकारी जियाउल हक की पत्नी परवीन आजाद को दी जाएगी। अदालत ने इन 10 आरोपियों को चार अक्टूबर को दोषी करार दिया था।

यूपी पुलिस के डीएसपी जियाउल हक की 02 मार्च 2013 को में हत्या कर दी गयी थी। वारदात के समय जियाउल हक प्रतापगढ़ जिले की कुण्डा तहसील के एक थाने में सीओ के तौर पर तैनात थे। कुण्डा तहसील के बलीपुर गाँव के प्रधान के परिजनों और समर्थकों के साथ हुए विवाद में डीएसपी जियाउल हक मौके पर पहुँचे थे। उसी दौरान समर्थकों ने डीएसपी हक पर हमला कर दिया जिसमें उनकी मृत्यु हो गयी।

अदालत ने डीएसपी जियाउल हक की हत्या के लिए फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, छोटेलाल यादव, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी, राम आसरे, जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल, घनश्याम सरोज और राम लखन गौतम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।

सीबीआई के वकील के.पी. सिंह ने कहा, “सभी दोषियों को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 302 और धारा 149 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही हर दोषी पर 19,500 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इस जुर्माने की आधी रकम जियाउल हक की पत्नी को दी जाएगी।”

सीबीआई ने जियाउल हक की हत्या में कुछ 14 लोगों को आरोपी बनाया था। इनमें से एक आरोपी नाबालिग था जिसपर अलग से सम्बन्धित प्रावधान के तहत विधिक कार्रवाई हुई। मृत प्रधान के पुत्र बबलू यादव का मुकदमे के दौरान ही निधन हो गया था। वहीं एक अन्य आरोपी सुधीर को अदालत ने बेकसूर करार दिया।

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डीएसपी जियाउल हक हत्या मामला

दो मार्च 2013 को कुण्डा तहसील के बलीपुर गाँव के प्रधान नन्हें यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। घटना के बाद मृतक के परिजन आक्रोशित थे। डीएसपी जियाउल हक पुलिस टीम के साथ मौके पर मृतक के परिजनों को समझाने के लिए पहुंचे थे। उसी दौरान मृतक के भाई सुरेश यादव की भी हत्या हो गयी।

इन दो हत्याओं के बाद मृतकों के परिजनों और समर्थकों की पुलिस अधिकारियों से कहासुनी होने लगी। इसी दौरान उपस्थित भीड़ ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया। इस हमले में डीएसपी जियाउल हक की मौत हो गयी। घटना के बाद जब पुलिस टीम को जियाउल हक का शव मिला तो उससे पीटने के साथ ही गोली मारने की भी पुष्टि हुई थी।

इस मामले में दर्ज पुलिस एसओ मनोज कुमार शुक्ला और दिवंगत डीएसपी की पत्नी ने एफआईआर करायी थी। दिवंगत डीएसपी की पत्नी परवीन आजाद ने अपनी एफआईआर में कुण्डा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, अक्षय प्रताप सिंह, हरिओम श्रीवास्तव, गुलशन यादव और नन्हें सिंह को भी आरोपी बनाया था। सीबीआई ने अपनी जाँच में इन आरोपियों पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद पाए थे। परवीन आजाद ने सीबीआई की क्लीन-चिट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद इन आरोपों की दुबारा जाँच हुई जिसमें रघुराज प्रताप सिंह को आरोप मुक्त करार दिया गया।

सीबीआई द्वारा दायर आरोपपत्र के आधार पर अन्य आरोपियों पर मुकदमा चला और अदालत ने इन्हें दोषी पाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनायी है।

(समाचार एजेंसी IANS से प्राप्त इनपुट का भी प्रयोग किया गया है।)

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