Friday, October 10, 2025
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रेडपिक्स के पत्रकार फेलिक्स गेराल्ड और यूट्यूबर सवुक्कू शंकर की गिरफ्तारी का क्या है पूरा मामला?

तिरुचि: महिला पुलिसकर्मियों के खिलाफ आपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर गिरफ्तार यूट्यूबर फेलिक्स गेराल्ड की मुश्किलें बढ़ गईं। सोमवार को मामले में अतिरिक्त महिला कोर्ट ने फेलिक्स गेराल्ड को 27 मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। फेलिक्स रेडपिक्स 24×7 यूट्यूब का मालिक है जिसे तमिलनाडु पुलिस ने 11 मई को उत्तर प्रदेश के नोएडा से गिरफ्तार किया था।

एक इंटरव्यू के दौरान महिला पुलिसकर्मियों के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के लिए तिरुचि की साइबर अपराध पुलिस ने फेलिक्स के खिलाफ मामला दर्ज किया था। फेलिक्स मामले में दूसरा आरोपी है। तिरुचि साइबर क्राइम ब्रांच ने कहा कि फेलिक्स गेराल्ड द्वारा लिए इंटरव्यू में यूट्यूबर सवुक्कू शंकरने महिला पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी।

मुसिरी के पुलिस उपाधीक्षक एमए यास्मीन की शिकायत के बाद तिरुचि साइबर क्राइम पुलिस ने फेलिक्स और सवुक्कू दोनों पर केस दर्ज किया था। 8 मई को सवुक्कू और 11 मई को फेलिक्स को गिरफ्तार किया गया। मुसिरी के पुलिस उपाधीक्षक एमए यास्मीन ने कहा था कि सवुक्कू शंकर की अपमानजनक टिप्पणी के कारण उन्हें मानसिक पीड़ा हुई थी।

सवुक्कु शंकर। फोटोः IANS

मद्रास हाईकोर्ट ने मामले में क्या की थी टिप्पणी?

फेलिक्स ने अग्रिम जमानत के लिए मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान जस्टिस कुमारेश बाबू ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि शंकर को आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए प्रेरित करने के लिए गेराल्ड को इस मामले में पहला आरोपी बनाया जाना चाहिए था।

न्यायमूर्ति बाबू ने यह भी कहा कि कुछ यूट्यूब चैनल समाज के लिए खतरा बन रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि उन इंटरव्यू करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए जो इंटरव्यू देने वाले को अपमानजनक या आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए उकसाते हैं।

कौन है सवुक्कु शंकर?

सवुक्कू शंकर एक लोकप्रिय यूट्यूबर और व्हिसलब्लोअर हैं।  यूट्यूबर बनने से पहले, वे सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) के कर्मचारी थे। 2008 में उन्होंने तमिलनाडु में कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा अवैध वायरटैपिंग प्रथाओं को उजागर करने वाली ऑडियो रिकॉर्डिंग लीक की थी। इसकी वजह से एक डीएमके मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने सवुक्कू मीडिया शुरू किया, जिसमें एक वेब पोर्टल और एक यूट्यूब चैनल शामिल है।

2014 में, मद्रास उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि न्यायाधीशों और पुलिस अधिकारियों सहित कई प्रमुख लोगों की “अपमानजनक और प्रतिष्ठा को धूमिल करने” के लिए शंकर की तमिल वेबसाइट को ब्लॉक कर दिया जाए। प्रतिबंध के बावजूद, वेबसाइट प्रॉक्सी यूआरएल के माध्यम से काम करती रही।

2022 में, न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी पर उन्हें छह महीने की कैद की सजा सुनाई गई थी। लेकिन मामले में सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दो महीने में ही उन्हें रिहा कर दिया गया। शंकर ने अपनी रिहाई के बाद अपनी सक्रियता जारी रखी और सलाखों के पीछे के अपने अनुभवों का विवरण देते हुए एक पुस्तक (Kelvi Enn 17182) प्रकाशित की। हाल ही में उन्होंने यह भी घोषणा की थी कि वह 2026 के विधानसभा चुनाव में डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।

रिपोर्टों के मुताबिक, चेन्नई पुलिस ने सवुक्कु शंकर पर जाली दस्तावेज बनाने, गलत जानकारी प्रसारित करने के आरोप में 7 मामले दर्ज किए हैं।  जालसाजी के लिए सवुक्कू शंकर के खिलाफ चेन्नई और अन्य स्थानों में कई मामलों दर्ज किए गए हैं। इनमें से तीन मामलों की जांच चल रही है। दो मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए हैं और दो मामलों की सुनवाई चल रही है। सवुक्कू पर गुंडा एक्ट लगाया है और वह फिलहाल कोयंबटूर सेंट्रल जेल में बंद है।

फेलिक्स, सवुक्कू  की गिरफ्तारी पर एनटीके प्रमुख सीमन ने क्या कहा था?

फेलिक्स गेराल्ड और सवुक्कू शंकर की गिरफ्तारी का नाम तमिलर काची (एनटीके) के प्रमुख सीमन ने विरोध किया था। उन्होंने शनिवार को पूछा कि क्या तमिलनाडु अभी भी एक लोकतांत्रिक राज्य है या यह फासीवादी राज्य बन गया है। सीमन ने कहा कि मिस्टर गेराल्ड के खिलाफ मामला और ‘सवुक्कू’ शंकर पर थोपे गए झूठे मामले तुरंत वापस लिए जाने चाहिए।

एक बयान में, उन्होंने कहा था कि शंकर और उनका साक्षात्कार लेने वाले गेराल्ड से बदला लेने की द्रमुक सरकार की मंशा निंदनीय है। बकौल सीमन- जिस कार्यक्रम में शंकर ने आपत्तिजनक बयान दिए थे, उस कार्यक्रम के साक्षात्कारकर्ता (एंकर) को गिरफ्तार करना कानून के खिलाफ है। अतिथि द्वारा की गई टिप्पणी के लिए एंकर को गिरफ्तार करना अस्वीकार्य है। यह मीडिया की बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ख़त्म करने जैसा है।”

सीमन ने कहा कि शंकर की टिप्पणियाँ गलत और अस्वीकार्य थीं। लेकिन इसके लिए यूट्यूब या टेलीविजन चैनल को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि  “क्या यह उन लोगों के लिए खुली धमकी नहीं है जो द्रमुक सरकार के आलोचक हैं? क्या यह एक लोकतांत्रिक राज्य चला रहा है या फासीवादी?

 

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