लेहः लेह में बीते बुधवार को भड़की हिंसा के मामले में गिरफ्तार जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को लद्दाख प्रशासन ने राजस्थान की जोधपुर जेल भेज दिया है। वांगचुक को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया है। वांगचुक पर भीड़ को भड़काने और विदेशी फंडिंग के आरोप लगे हैं। प्रशासन का कहना है कि वांगचुक ‘राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल थे और उन्हें लेह में रखना जनहित में उचित नहीं था।
24 सितंबर को लेह में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन हिंसक हो गए थे। प्रदर्शनकारी छात्रों ने इस दौरान भाजपा कार्यालय समेत कई सरकारी भवन, पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। इस घटना में चार लोगों की मौत हुई और करीब 80 लोग घायल हुए हैं।
इस हिंसक प्रदर्शन के बाद पुलिस ने वांगचुक को उनके घर के पास से हिरासत में लिया था और लेह में कर्फ्यू लगा दिए गए थे और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं। प्रशासन ने दावा किया कि उनकी उकसाने वाली भाषणबाजी, नेपाल और अरब स्प्रिंग जैसे आंदोलनों का हवाला देने और भ्रामक वीडियो से भीड़ भड़की।
हिंसा को चार दिन बीत चुके हैं और अब भी लेह में कर्फ्यू जारी है और इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। हालांकि लद्दाख एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के नेताओं को विश्वास में लेने के बाद जरूरी सामान खरीदने के लिए शनिवार लोगों को छूट देने के लिए कर्फ्यू में 1 बजे से 3 बजे तक ढील दी गई। पुलिस और अर्धसैनिक बलों की गश्त बढ़ा दी गई है।
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लद्दाख प्रशासन का कहना है कि वांगचुक बार-बार शांति और सार्वजनिक व्यवस्था के खिलाफ काम कर रहे थे। सरकार के साथ वार्ता की पेशकश के बावजूद उन्होंने 10 सितंबर से शुरू किया गया भूख हड़ताल खत्म नहीं किया। प्रशासन का तर्क है कि लेह जैसे शांतिप्रिय शहर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए उन्हें दूर रखना जरूरी था।
‘सोनम वांगचुक ने माहौल बिगाड़ा, जांच में कई तथ्य सामने’
लेह में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लद्दाख के डीजीपी एसडी सिंह जमवाल ने कहा कि लद्दाख एपेक्स बॉडी (एलएबी), करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) और केंद्र सरकार के बीच चल रही बातचीत में कई काम पहले ही हो चुके हैं।
उन्होंने बताया कि लद्दाख देश का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां स्थानीय लोगों को 85 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। स्वायत्त परिषद (काउंसिल) में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं और स्थानीय संस्कृति की रक्षा के लिए बर्गी और बोदी भाषाओं को आधिकारिक दर्जा दिया गया है।
डीजीपी ने आरोप लगाया कि जब ये सकारात्मक कदम उठाए जा रहे थे, तभी कुछ कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं ने, विशेषकर सोनम वांगचुक ने शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने की कोशिश की। वांगचुक ने भूख हड़ताल शुरू की और इस चेतावनी के बावजूद कि इसका असर बातचीत पर पड़ सकता है, उन्होंने 5-6 हजार लोगों को इकट्ठा कर उकसाया, जिनमें समाज-विरोधी तत्व भी शामिल थे। भीड़ ने सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया।
‘पाकिस्तानी एजेंट के संपर्क में थे‘
सोनम वांगचुक पर पूछे गए सवाल पर पुलिस प्रमुख ने कहा, “उनका प्रोफाइल और इतिहास यूट्यूब पर उपलब्ध है। उन्होंने नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के उदाहरण देकर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश की है। उनका अपना एजेंडा है।” डीजीपी ने यह भी दावा किया कि एक पाकिस्तानी आतंकी एजेंट, जो वांगचुक के संपर्क में था और पाकिस्तान को रिपोर्ट भेज रहा था, गिरफ्तार किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि एफसीआरए उल्लंघन की जांच चल रही है। फिलहाल मैं और कुछ नहीं कह सकता क्योंकि जांच अभी जारी है। डीजीपी ने बताया कि हालिया हिंसक प्रदर्शनों में तीन नेपाली नागरिक घायल हुए थे, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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सवालों के घेरे में वांगचुक के एनजीओ
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी वांगचुक को हिंसा के लिए जिम्मेदार बताया। मंत्रालय के मुताबिक, उनकी उकसावे वाली टिप्पणियों से भीड़ भड़की और हिंसक घटनाएं हुईं। वांगचुक पर विदेशी फंडिंग के भी आरोप लगे हैं।
गिरफ्तारी के एक दिन बाद केंद्र सरकार ने वांगचुक की संस्था एसईसीएमओएल (स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख) का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया था। आरोप है कि संस्था को स्वीडन से फंड ट्रांसफर हुआ। इसके अलावा सीबीआई उनकी दूसरी संस्था एचआईएएल (हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख) की भी जांच कर रही है, जिसकी जमीन का आवंटन हाल ही में निरस्त किया गया था।
वांगचुक और उनके परिवार की प्रतिक्रिया
हालांकि वांगचुक ने आरोपों को विच हंट और बलि का बकरा बनाने की साजिश बताया। गिरफ्तारी से पहले उन्होंने कहा था, “मैं हमेशा गिरफ्तारी के लिए तैयार था। यह हमारे छठी अनुसूची और राज्य के दर्जे की मांग से जुड़ा है। हमारी चरागाह भूमि कॉरपोरेट्स को दी जा रही है और जब मैंने आवाज उठाई, तो वे मेरे पीछे पड़ गए।”
उन्होंने हाल ही में 35 दिन का उपवास भी समाप्त किया। उनके बड़े भाई फुंसोंग वांगचुक ने प्रशासन के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सोनम ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किया। उन्हें जेल भेजने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इससे उन्हें और पढ़ने-लिखने और ध्यान करने का समय मिलेगा।
उधर, वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर देशभर में राजनीतिक उबाल है। कांग्रेस और जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं ने उनकी गिरफ्तारी की निंदा की है। कांग्रेस का कहना है कि सरकार अगर मानती है कि वांगचुक को जेल भेजकर लद्दाख में शांति बहाल हो जाएगी, तो यह उसकी भूल है।
महाराष्ट्र कांग्रेस नेता विजय नामदेवराव वडेट्टीवार ने कहा कि वांगचुक ने शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी गिरफ्तारी से जुड़े तथ्यों की हमें पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन उनका हमारी पार्टी से कोई संबंध नहीं है। वे अनशन पर थे और अगर आगजनी या नुकसान हुआ तो उसका समर्थन नहीं किया जा सकता। सरकार को जांच करनी चाहिए, लेकिन बेकसूर लोगों और युवाओं की आवाज को दबाने के लिए कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।