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वाराणसी में साईं बाबा मूर्ति विवाद
सनातन रक्षक दल (एसआरडी) और ब्राह्मण सभा ने इस अभियान की अगुवाई की है, जिसके तहत साईं बाबा की मूर्तियों को मंदिरों से हटाया गया है। एसआरडी के अध्यक्ष अजय शर्मा ने मंगलवार को वाराणसी में कहा, “हम साईं बाबा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उनकी मूर्तियों का मंदिरों में कोई स्थान नहीं है। साईं बाबा के भक्त उन्हें उनके समर्पित मंदिर में पूजा सकते हैं, लेकिन सनातन धर्म की जानकारी न रखने वाले लोगों ने उनकी मूर्तियां अन्य मंदिरों में स्थापित कर दीं।”
#BIGUPDATE Sai idols have been removed from temples in Varanasi, Uttar Pradesh,
▶️Idols removed with the consent of temple management.#varanasi #saiidols #UPNews #Trending pic.twitter.com/1ZGd0eXj33— Uday India Magazine (@Udayindiaonline) October 1, 2024
शर्मा ने यह भी कहा कि मृत व्यक्ति की मूर्ति को मंदिरों में स्थापित नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह सनातन धर्म में मान्य नहीं है। उनके अनुसार, मंदिरों में केवल पाँच देवताओं – सूर्य, विष्णु, शिव, शक्ति और गणेश – की मूर्तियों को ही स्थापित किया जा सकता है और उनकी पूजा की जा सकती है। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले दिनों में वाराणसी के भूतश्वर और अगस्तेश्वर मंदिरों से भी साईं बाबा की मूर्तियां हटा दी जाएंगी।
पुरानी बहस: साईं बाबा को देवता मानना या महात्मा?
साईं बाबा की मूर्तियों को लेकर यह विवाद नया नहीं है। इससे पहले 2014 में, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं बाबा की पूजा का विरोध किया था, यह कहते हुए कि साईं बाबा कोई हिंदू देवता नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि साईं बाबा का प्राचीन शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं है। बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेन्द्र शास्त्री ने भी कहा था कि साईं बाबा को महात्मा के रूप में पूजा जा सकता है, लेकिन उन्हें देवता के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
अदालत तक पहुंच चुका है साईं बाबा मूर्ति विवाद
साल 2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने द्वारकापीठ के शंकराचार्य द्वारा साईं बाबा की पूजा पर दिए गए विवादास्पद बयान से जुड़े मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। उस समय, शंकराचार्य की टिप्पणी के बाद कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटा दी गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र के साईधाम चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई की थी, जो महाराष्ट्र के विभिन्न साईं बाबा मंदिरों का संचालन करता है।
इस साल जून में मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग को एक याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसमें सरकारी हिंदू मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने की मांग की गई थी। यह याचिका कोयंबटूर निवासी डी. सुरेश बाबू द्वारा दायर की गई थी, जिसमें यह तर्क दिया गया था कि साईं बाबा के अनुयायी केवल हिंदू धर्म से नहीं हैं, बल्कि वे विभिन्न धर्मों से आते हैं, इसलिए उन्हें हिंदू मंदिरों में स्थान नहीं मिलना चाहिए।
लखनऊ में विवाद की गूंज
यह विवाद केवल वाराणसी तक सीमित नहीं रहा, बल्कि लखनऊ तक फैल गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य अशुतोष सिन्हा ने साईं बाबा की मूर्तियों को हटाने को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का राजनीतिक स्टंट करार दिया। सिन्हा का कहना है, “साईं बाबा महाराष्ट्र में बहुत सम्मानित हैं… हिंदू धर्म एक समावेशी धर्म है और सदियों से इसमें कई विचारों को अपनाया गया है।”