Friday, October 10, 2025
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तुलसी गबार्ड कौन है जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप ने बनाया अमेरिका का राष्ट्रीय खुफिया निदेशक?

न्यूयॉर्क: अमेरिकी के राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को अपनी टीम को लेकर एक और बड़ा ऐलान किया। अमेरिका के राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में पूर्व-डेमोक्रेटिक कांग्रेस सदस्य और अब ट्रंप की बड़ी समर्थक तुलसी गबार्ड को नियुक्त किया गया है। गबार्ड आर्मी रिजर्व में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर हैं और इराक में युद्ध और अन्य ऑपरेशन का अनुभव रखती हैं।

ट्रंप की आधिकारिक घोषणा में गबार्ड की ‘निडर भावना’ और खुफिया एजेंसियों में उनके योगदान की प्रशंसा की गई। डेमोक्रेटिक पार्टी से रिपब्लिकन पार्टी में तुलसी गबार्ड के आने का भी उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया कि उन्होंने ‘राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व के कारण’ यह फैसला लिया। साथ ही यह भी कहा गया कि कैसे ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी को बदलने में सक्षम हुए और ‘इसे लोगों और शांति की बात करने वाले पार्टी के तौर पर वापस इसकी पहचान ला रहे हैं।’

ट्रंप के लंबे समय से सहयोगी रहे रोजर स्टोन ने सबसे पहले अपने एक्स अकाउंट पर यह खबर साझा की। उन्होंने बयान प्रकाशित करते हुए दावा किया कि यह सीधे ट्रंप की ओर से आया है।

गबार्ड अब व्हाइट हाउस की प्रमुख खुफिया सलाहकार के रूप में ट्रंप के सीआईए निदेशक के लिए नामित हो चुके जॉन रैटक्लिफ के साथ काम करेंगी। गबार्ड की जिम्मेदारियों में 18 खुफिया संगठनों का प्रबंधन और राष्ट्रपति को रोज की खुफिया जानकारियों का सारांश देना होगा।

तुलसी गबार्ड: कांग्रेस के लिए चुनी गई पहली हिंदू

तुलसी गबार्ड अभी 43 साल की हैं। उनका जन्म अमेरिकी समोआ में हुआ और उनका पालन-पोषण हवाई में हुआ। शुरुआती कुछ समय उन्होंने फिलीपींस में भी बिताया। उनका राजनीतिक करियर 21 साल की उम्र में हवाई के हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव से शुरू हुआ। इस बीच इराक में बतौर नेशनल गार्ड उनकी तैनाती हुई।

अमेरिकी संसद कांग्रेस के पहले हिंदू सदस्य के रूप में 2012 में चुने जाने के बाद वे चर्चा में आईं। उन्होंने तब ‘भगवद गीता’ पर शपथ ली थी। उन्हें कांग्रेस में पहली अमेरिकी समोआ होने का गौरव भी प्राप्त है। उनके परिवार में उनके पति और सिनेमैटोग्राफर अब्राहम विलियम्स और उनके पिता, माइक गबार्ड शामिल हैं। पिता माइक गबार्ड की भी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है और वे रिपब्लिकन से डेमोक्रेटिक पार्टी में शामिल हुए थे।

डेमोक्रेटिक से ऐसे हुईं रिपब्लिकन

तुलसी गबार्ड 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी में रहते हुए राष्ट्रपति चुनाव में बतौर उम्मीदवार भी शामिल हुई थीं। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी सेना के दुनिया के दूसरे इलाकों में हस्तक्षेप के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे अमेरिकी मध्य पूर्वी संघर्षों ने इस क्षेत्र को अस्थिर कर दिया है और इन कदमों से अमेरिकी सुरक्षा से भी समझौता हुआ है।

राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्राइमरीज अभियान के दौरान वे चर्चा में रहीं। बाद में उन्होंने जो बाइडन को समर्थन देते हुए अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली। इसके कुछ महीनों बाद उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी भी छोड़ दी और इसकी आलोचना करते हुए कहा कि यह ‘युद्ध भड़काने वालों का एक अभिजात्य गुट’ बन गया है। बाद में वे रिपब्लिकन के साथ जुड़ी और फॉक्स न्यूज में भी शामिल हुईं जहां उन्होंने एक पॉडकास्ट शुरू किया।

उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ रिपब्लिकन से जुड़ने पर कहा कि ‘आज की डेमोक्रेटिक पार्टी उस पार्टी से अलग है, जिसमें मैं 20 साल पहले शामिल हुई थी।’ इसके बाद इस साल तुलसी गबार्ड रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की कट्टर समर्थक के तौर पर उभरीं।

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