Friday, October 10, 2025
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बिहारः रुपौली से 19 साल बाद विधायक बनने वाले शंकर सिंह कौन हैं?

पटनाः सिवान के रुपौली सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने अहम जीत हासिल की है। शनिवार को आए नतीजे में उन्होंने एनडीए-जदयू के प्रत्याशी कलाधर प्रसाद मंडल को 8 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। सभी 13 राउंड की गिनती पूरी होने के बाद शंकर सिंह को 68,070 वोट मिले, जबकि जदयू प्रत्याशी कलाधर प्रसाद मंडल को 59,824 वोट मिले और वह 8,246 मतों से हार गये। तो वहीं राजद की प्रत्याशी और पूर्व विधायक बीमा भारती को सिर्फ 30,619 मत मिले।

बताया जाता है कि इस सीट पर लड़ाई जदयू प्रत्याशी कालधर प्रसाद मंडल और पूर्व विधायक बीमा भारती के बीच थी जो लोकसभा चुनाव में जदयू छोड़कर राजद में शामिल हो गई थीं और सिवान से आम चुनाव लड़ा। लेकिन लोकसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव से हारने के बाद, बीमा भारती राजद उम्मीदवार बनकर विधानसभा उपचुनाव की लड़ाई में वापस आ गई थीं।

19 साल बाद मिली शंकर सिंह को जीत

ऐसा लग रहा था कि जेडीयू सीट बरकरार रखेगी, लेकिन स्वतंत्र उम्मीदवार शंकर सिंह ने मंडल और भारती दोनों पर बढ़त बना ली और स्थिति अचानक बदल गई। शंकर सिंह ने धीरे-धीरे अपनी बढ़त को मजबूत किया और वे जदयू के अभेद्य किले को भेदने में कामयाब हो गए। शंकर सिंह को यह जीत 19 साल बाद नसीब हुई है क्योंकि 2005 के बाद उन्हें हर चुनाव में हार का ही मुंह देखना पड़ा।

बताया जाता है कि दबंग छवि वाले सिंह का बीमा भारती के बाहुबली पति अवधेश मंडल के वर्चस्व की लड़ाई चलती रही है। रिपोर्टों की मानें तो शंकर सिंह किसी वक्त उत्तरी बिहार लिबरेशन आर्मी (NLBA) के नेता थे। ये वो ग्रुप था जो चुनावों में दबाव बनाता था।

ये भी पढ़ेंः 7 राज्य में 13 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे: बंगाल में तृणमूल, बिहार में उलटफेर…कहां किसने मारी बाजी?

साल 2000 में उत्तरी बिहार लिबरेशन आर्मी के संस्थापक बूटन सिंह की पूर्णिया कोर्ट में हत्या के बाद शंकर सिंह ने ये ग्रुप संभाला था। बूटन सिंह मौजूदा नीतीश सरकार में मंत्री और सीनियर जदयू नेता लेसी सिंह के पति थे। बूटन सिंह की हत्या के बाद शंकर सिंह की अगुवाई में बिहार लिबरेशन आर्मी ने वोटरों को डराना और बूथ कैप्चरिंग जैसी गलत गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

शंकर सिंह ने पहला चुनाव 2005 में लड़ा था। फरवरी में हुए इस विधानसभा चुनाव में शंकर सिंह ने रामविलास पासवान की अगुवाई वाली लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी, हालांकि नवंबर 2005 के चुनाव में वे हार गए थे। इसके बाद 2010, 2015, 2020 के विधानसभा चुनाव में हारते रहे।

शंकर सिंह को जीत का था पूरा भरोसा

उपचुनाव में मिली जीत से खुश शंकर सिंह ने कहा कि वे 30 सालों से जनता के बीच राजनीति नहीं, उनकी सेवा कर रहे हैं। शंकर सिंह ने कहा कि मैंने कभी जाति की राजनीति नहीं की, जमात की राजनीति की। मुझे जीत को लेकर पूरा विश्वास था। बकौल शंकर सिंह, छह चक्र तक की मतगणना में भले पीछे था, लेकिन मैं जानता था कि मेरी जीत होगी। क्षेत्र में कई काम करने हैं। जनता से राय लेकर आगे कुछ फैसला लेंगे। इस चुनाव से पहले वे लोजपा (रामविलास) से इस्तीफा देकर बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे।

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