Friday, October 10, 2025
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स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको कौन हैं जिन पर हुआ जानलेवा हमला, क्या विवाद जुड़े रहे हैं?

ब्रातिस्लावा: स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको पर बुधवार को जानलेवा हमला किया गया। उन्हें एक के बाद एक कई गोलियां मारी गई और अब वे अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। उन पर ये हमला स्लोवाकिया के एक छोटे से शहर हंडलोवा (Handlova) में एक कैबिनेट मीटिंग के बाद की गई। स्लोवाकिया की राजधानी ब्रातिस्लावा से लगभग 180 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में हैंडलोवा शहर में हुई घटना के फुटेज के अनुसार फिको दोपहर 2.30 बजे के करीब अपने समर्थकों से हाथ मिला रहे थे। इसी दौरान एक बंदूकधारी ने उन पर लगभग पांच बार गोलियां चलाईं। वह गिर पड़े और उन्‍हें बंस्का बायस्ट्रिका के एक अस्पताल में ले जाया गया। हमलावर को उनके सुरक्षा गार्डों और आसपास खड़े लोगों ने दबोच लिया।

साढ़े तीन घंटे चली सर्जरी, हालत गंभीर

हमले के कुछ देर बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने फेसबुक पर बताया कि फिको को कई बार गोली मारी गई और उनकी हालत गंभीर है। उन्हें हवाईमार्ग से पास के शहर बंस्का बायस्ट्रिका के एक अस्पताल में ले जाया गया, क्योंकि उन्हें ब्रातिस्लावा ले जाने में बहुत समय लगता। वहीं, बुधवार देर रात पत्रकारों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री रॉबर्ट कलिनक ने कहा कि पीएम की सर्जरी हुई है और वह जीवन के लिए लड़ रहे हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री की हालत ‘वास्तव में गंभीर’ है। उनकी सर्जरी करीब साढ़े तीन घंटे चली।

71 साल के हमलावर ने मारी गोली

इस बीच स्लोवाकिया के आंतरिक मंत्री माटुस सुताज एस्टोक ने कहा कि हत्या का प्रयास राजनीति से प्रेरित था और यह निर्णय ‘राष्ट्रपति चुनाव के ठीक बाद लिया गया।’ उन्होंने हमले के लिए ‘सोशल मीडिया पर फैले नफरत’ को जिम्मेदार ठहराया। वहीं, स्लोवाक मीडिया ने हमलावर की पहचान 71 साल के जुराज सिंटुला के रूप में की है, जो कथित तौर पर कवि और स्लोवाक एसोसिएशन ऑफ राइटर्स का संस्थापक और विपक्षी प्रोग्रेसिव स्लोवाकिया पार्टी का समर्थक था। उसने इस अपराध के लिए अपनी लाइसेंसी बंदूक का इस्तेमाल किया। आधिकारिक तौर पर हमलावर की कोई पहचान उजागर नहीं की गई है। साथ ही हमले की वजह का भी साफ-साफ पता नहीं चल सका है।

पुतिन, बाइडन ने हमले की निंदा की

इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि वह फिको के जीवन पर जघन्य हमले के बारे में सुनकर गुस्‍से में हैं। आरटी की रिपोर्ट के अनुसार पुतिन ने एक बयान में कहा, ‘मैं रॉबर्ट फिको को एक साहसी और मजबूत इरादों वाले व्यक्ति के रूप में जानता हूं। मुझे पूरी उम्मीद है कि ये गुण उन्हें इस मुश्‍किल हालात का सामना करने में मदद करेंगे।’

दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे ‘हिंसा के भयावह कृत्य’ बताया और स्लोवाकिया को हर संभव सहायता की पेशकश की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी चौंकाने वाले हमले की कड़ी निंदा की।

स्लोवाकिया के राष्ट्रपति ज़ुजाना कैपुतोवा, जो अपनी यूक्रेन नीति पर प्रधानमंत्री से भिड़ चुकी हैं, उन्होंने भी फिको पर हमले की निंदा की। देश के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी, जो अगले महीने कैपुतोवा का स्थान लेंगे और फिको के सहयोगी हैं, उन्होंने प्रधानमंत्री पर हमले को ‘स्लोवाक लोकतंत्र के लिए एक अभूतपूर्व खतरा’ बताया। वहीं, हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने कहा कि वह अपने मित्र, प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको पर जघन्य हमले से गहरे सदमे में हैं।

रॉबर्ट फिको हाल में क्यों विवादों में थे?

पूर्व कम्युनिस्ट पार्टी सदस्य 59 वर्षीय फिको ने पिछले साल अक्टूबर में चौथी बार सत्ता संभाली थी और देश की विदेश नीति को रूस समर्थन की ओर मोड़ दिया। अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान रॉबर्ट फिको ने यूक्रेन को लेकर कई ऐसी बातें कहीं, जिसके बाद दुनिया भर की निगाहें उनकी ओर चली गई थी। उन्होंने रूस-यूक्रेन जंग को रोकने के लिए ये भी कहा था कि कीव को मॉस्को को सौंप देना चाहिए।

सत्ता में आने के बाद फिको ने इसी साल फरवरी में यूक्रेन के लिए सैन्य सहायता रोक दी। इसके अलावा पिछले महीने सरकारी टीवी और रेडियो प्रसारक आरटीवीएस को खत्म करने की योजना पर भी वे आगे बढ़े, जिसका विरोध हो रहा है। विपक्ष सहित हजारों लोगों ने सरकारी प्रसारक से जुड़ी योजना को लेकर अपना विरोध जताया है।

रॉबर्ट फिको के बारे में पांच बड़ी बातें

1. फिको का जन्म 15 सितंबर, 1964 को हुआ था। उन्होंने पेशे से वकील स्वेतलाना फिकोवा से शादी की है, जिनसे उनका एक बेटा माइकल है। हालांकि स्लोवाक मीडिया के अनुसार यह जोड़ा अलग हो गया है।

2. फिको अंग्रेजी बोलने में निपुण हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वह तेज कारों और फुटबॉल के शौकीन हैं। इसके अलावा महंगी घड़ियां भी उन्हें पसंद हैं।

3. एक खोजी पत्रकार की हत्या के बाद उच्च स्तरीय तौर पर भ्रष्टाचार उजागर होने और सरकार विरोधी भावना भड़कने के बाद 2018 में फिको को इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में कोविड के दौरान तब सरकार के खिलाफ प्रदर्शन ने फिको को वापसी का रास्ता दिया। कोविड के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध में स्लोवाकिया द्वारा कीव को हथियार भेजे जाने को उन्होंने मुद्दा बनाया और पिछले साल चुनाव में उन्हें जनता से समर्थन मिलने लगा।

4. उन्होंने हाल में कुछ विवादास्पद फैसले लिए, जिसके खिलाफ कई प्रदर्शन स्लोवाकिया में हुए हैं। इन फैसलों में एक मीडिया कानून भी शामिल है, जिसके बारे में आलोचकों का कहना है कि यह सरकारी टेलीविजन और रेडियो की निष्पक्षता को कमजोर कर देगा। इसके अलावा आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के तौर पर गंभीर अपराध और भ्रष्टाचार की जांच के लिए 20 साल पहले स्थापित विशेष अभियोजक कार्यालय को समाप्त करने का उनका फैसला भी विवादों में है।

5. फिको रूस के करीबी माने जाते हैं। हाल में रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े उनके कदम से भी वे विपक्ष के निशाने पर रहे।

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