नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति (Gayatri Prajapati) को मंगलवार को लखनऊ जेल में एक कैदी के साथ हुए विवाद में घायल होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। 2017 से जेल में बंद और बलात्कार के दोषी पाए गए प्रजापति को तुरंत इलाज के लिए ले जाया गया। मामले में जेल महानिदेशक के अनुसार, यह घटना जेल अस्पताल में सफाई ड्यूटी पर तैनात एक कैदी के साथ विवाद के दौरान हुई।
पुलिस के अनुसार अस्पताल में सफाई ड्यूटी पर तैनात एक कैदी के साथ विवाद के बाद हाथापाई हो गई। सफाई ड्यूटी पर तैनात कैदी गुस्से में आ गया और उसने एक अलमारी के स्लाइडिंग हिस्से से उस पर वार कर दिया, जिससे गायत्री प्रजापति घायल हो गए। तुरंत आवश्यक उपचार दिया गया और अब वह पूरी तरह स्वस्थ हैं।
गायत्री प्रजापति ने बताई दूसरी कहानी
मामले पर प्रजापति का भी बयान आया है। उन्होंने घटनाक्रम का एक अलग ही ब्यौरा दिया। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, ‘वह एक शातिर अपराधी था। उसका नाम बिस्वास है…वह लंबे समय से जेल में है, मुझे खुशी है कि मेरी जान बच गई। यह सब अचानक हुआ…मेरा किसी से कोई विवाद नहीं था। घटना अचानक हुई।’ हमले के बाद, प्रजापति को इलाज के लिए लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में भेजा गया।
कुछ मीडिया रिपोर्ट में जेल सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि बंदी अपनी सफाई की ड्यूटी कर रहा था। इसी दौरान प्रजापति का सफाई को लेकर उससे विवाद हुआ। प्रजापति ने कथित तौर पर गालियां दी, जिससे विवाद बढ़ गया और बंदी ने उन पर हमला किया। शुरुआती जानकारी मंगलवार को आई थी कि उन पर कैंची से हमला किया गया था, हालांकि जेल प्रशासन ने इसे खारिज किया है।
पत्नी पहुंची मिलने…अखिलेश बोले- कोई सुरक्षित नहीं
घटना की जानकारी मिलने के बाद अमेठी से समाजवादी पार्टी की विधायक और उनकी गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति उनसे मिलने अस्पताल गईं।
इस घटना पर समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का भी बयान सामने आया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अखिलेश यादव लिखा, ‘पूर्व विधायक और उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर जेल में हुए जानलेवा हमले की निष्पक्ष न्यायिक जाँच होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश में कहीं भी कोई सुरक्षित नहीं है।’
गायत्री प्रजापति कौन हैं, क्यों हैं जेल में?
गायत्री प्रजपाति अमेठी के रहने वाले हैं। रंगाई-पुताई का कामकाम करते कराते राजनीति में उतरे प्रजापति के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। वे सबसे पहले 2013 में अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री बने। उन्हें पहले सिंचाई विभाग में राज्य मंत्री का दर्जा मिला लेकिन बाद में उन्हें उसी साल खनन विभाग का स्वतंत्र प्रभार दे दिया गया।
इसके बाद से प्रजापति पर अवैध खनन से करोड़ो रुपये की संपत्ति इकट्ठा करने के कई आरोप लगे। उन पर अवैध खनन करने वालों को संरक्षण देने के भी आरोप लगे। साल 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान गायत्री प्रजापति और उनके कुछ दोस्तों पर एक महिला से सामूहिक बलात्कार का आरोप लगा। महिला ने आरोप लगाया कि उसके साथ तीन साल तक बलात्कार होता रहा।
इसी साल वे चुनाव हार गए। सपा सरकार भी जाती रही और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में आई। इसके बाद प्रजापति की मुश्किलें बढ़ती चली गई। रेप केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया। साल 2021 में एमपी-एमएलए कोर्ट ने प्रजापति और उनके दो दोस्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई।
महिला की शिकायत और उस पर एक्शन नहीं लिए जाने को लेकर यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था। पीड़ित महिला के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया था कि अक्टूबर 2014 से जुलाई 2016 के बीच महिला के साथ बार-बार बलात्कार किया गया। पीड़िता के वकील ने बताया कि महिला ने 2017 में शिकायत तभी दर्ज कराई जब मंत्री ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ रेप करने की कोशिश की।
पीड़िता ने शिकायत की थी कि 2013 में जब वह खनन ठेके के सिलसिले में पूर्व मंत्री से मिली थी, तब भी उसके साथ बलात्कार किया गया था। उसने यह भी आरोप लगाया कि गायत्री प्रसाद प्रजापति ने उसकी अश्लील तस्वीरें लीं और उन्हें सार्वजनिक करने की धमकी देकर तीन साल तक कई बार बलात्कार किया।
बताते चलें कि समाजवादी पार्टी में 2016 में अंदरुनी और मूल रूप से पारिवारिक कलह के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। बाद में उन्हें फिर से बहाल किया गया था।