नई दिल्ली: अमेरिका ने 9 जुलाई को बताया कि उसने एक स्वतंत्र विशेषज्ञ पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकार उल्लंघनों के दावों की जाँच के लिए नियुक्त किया था। संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज, गाजा पट्टी में इजराइली कार्रवाई की मुखर आलोचक रही हैं।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) द्वारा इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ जारी किए गए गिरफ्तारी वारंट का भी पुरजोर समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रतिबंध की घोषणा करते हुए कहा कि अल्बानीज द्वारा अमेरिका और इजराइल के खिलाफ ‘शीघ्र कार्रवाई’ करने के लिए ICC के साथ बातचीत करने के ‘अवैध और शर्मनाक प्रयासों’ को लेकर यह कदम उठाया गया है।
रुबियो का बयान और अल्बानीज की प्रतिक्रिया
रुबियो ने बुधवार को एक्स पर पोस्ट किया, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल के खिलाफ राजनीतिक और आर्थिक युद्ध का अल्बानीज का कैंपेन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’
Today I am imposing sanctions on UN Human Rights Council Special Rapporteur Francesca Albanese for her illegitimate and shameful efforts to prompt @IntlCrimCourt action against U.S. and Israeli officials, companies, and executives.
Albanese’s campaign of political and economic…
— Secretary Marco Rubio (@SecRubio) July 9, 2025
इस पर अल्बानीज की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि ताकतवर लोग कमजोरों की पैरवी करने वालों को सजा दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘यह ताकत की नहीं, बल्कि अपराधबोध की निशानी है। आइए, हम सब मिलकर डटे रहें।’
“The powerful punishing those who speak for the powerless, it is not a sign of strength, but of guilt”.
Let’s stand tall, together. https://t.co/7D1vrNRGS7
— Francesca Albanese, UN Special Rapporteur oPt (@FranceskAlbs) July 10, 2025
मिडिल ईस्ट आई (Middle East Eye) से बातचीत में संयुक्त राष्ट्र के दूत ने कहा, ‘लगता है मैंने किसी मुद्दे पर गहरी चोट कर दी है। मेरी चिंता यह है कि जब आप और मैं बात कर रहे हैं, तब गाजा में लोग मर रहे हैं और संयुक्त राष्ट्र इसमें हस्तक्षेप करने में पूरी तरह असमर्थ है।’
इससे पहले उन्होंने अपनी एक पोस्ट में कहा था कि सभी का ध्यान गाजा पर होना चाहिए, जहाँ बच्चे अपनी माँओं की गोद में भूख से मर रहे हैं, जबकि उनके पिता और भाई-बहन खाने की तलाश में बमबारी से टुकड़े-टुकड़े हो रहे हैं।
अल्बानीज के अनुसार, ‘ये प्रतिबंध मेरे मिशन को कमजोर करने के लिए हैं।’ स्लोवेनिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा, ‘मुझे जो करना है, मैं करती रहूँगी।’ इसके अलावा, उन्होंने अमेरिकी की कार्रवाई के पीछे के मकसद पर सवाल उठाया और पूछा, ‘नरसंहार का पर्दाफ़ाश करने के लिए? व्यवस्था की निंदा करने के लिए? उन्होंने मुझे कभी तथ्यों पर चुनौती नहीं दी।’ इजराइल और अमेरिका दोनों ने अल्बानीज के इन आरोपों का पुरजोर खंडन किया है।
यहां बता दें कि विशेष दूत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) द्वारा नियुक्त एक स्वतंत्र विशेषज्ञ होता है जो फिलिस्तीनी क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन की स्थितियों पर रिपोर्ट करता है।
यह दूत स्थानीय सरकारों और सिविल सोसायटी के साथ काम करता है और मानवाधिकारों की स्थिति पर अपने आकलन की रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत करता है। वह नियमित रूप से घटनास्थल का दौरा करता है और UNHRC को सालाना रिपोर्ट करता है।
फ्रांसेस्का अल्बानीज कौन हैं और अमेरिका को क्या समस्या है?
अल्बानीज दरअसल एक अंतरराष्ट्रीय वकील हैं, जो मई 2022 से फिलिस्तीनी क्षेत्रों में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत हैं। वह जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन अध्ययन संस्थान से संबद्ध स्कॉलर हैं और मानवाधिकारों एवं मध्य पूर्व की विशेषज्ञ हैं।
अल्बानीज ‘अंतर्राष्ट्रीय कानून में फिलिस्तीनी शरणार्थी’ (2020) पुस्तक की सह-लेखिका हैं, और उन्होंने फिलिस्तीन और फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) के काम पर व्यापक रूप से लिखा है। अल्बानीज ने अक्टूबर 2023 में हमास के खिलाफ अभियान की शुरुआत के बाद से गाजा में इजराइल की कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की है।
अमेरिकी विदेश मंत्री रुबियो ने कहा कि अमेरिका और इजराइल आईसीसी के रोम संविधि के पक्षकार नहीं हैं, और इसलिए अल्बानीज की कार्रवाई ‘दोनों देशों की संप्रभुता का घोर उल्लंघन’ है। उन्होंने आरोप लगाया कि अल्बानीज ने ‘बेशर्म तरीके से यहूदी-विरोधी भावनाएँ फैलाईं, आतंकवाद का समर्थन किया और संयुक्त राज्य अमेरिका, इजराइल और पश्चिम के प्रति खुली अवमानना’ की।
रुबियो ने साथ ही नेतन्याहू के खिलाफ आईसीसी के गिरफ्तारी वारंट के लिए अल्बानीज के समर्थन को ‘पक्षपाती’ बताया और उन पर विभिन्न क्षेत्रों की अमेरिकी कंपनियों सहित विभिन्न संस्थाओं को ‘धमकी भरे पत्र’ भेजने का आरोप लगाया। इससे पहले पिछले महीने, ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ ‘अवैध और निराधार कार्रवाई’ के लिए चार आईसीसी न्यायाधीशों पर प्रतिबंध लगा दिया था।