नई दिल्ली: 738 दिन…नेपाल के बिपिन जोशी को 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के लड़ाकों द्वारा बंदी बनाए जाने के इतने दिन बाद आखिरकार उनकी ताजा स्थिति के बारे में पता चला। और दुर्भाग्य से ये वो समाचार नहीं था, जिसका इतंजार बिपिन जोशी का परिवार दो साल से ज्यादा समय से कर रहा था। परिवार को उम्मीद थी कि जीवित बंधकों में बिपिन जोशी भी होंगे और सकुशल लौट जाएंगे। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ। वे मारे जा चुके थे। हमास द्वारा सोमवार को लौटाए गए चार मृत बंधकों में उनका अवशेष भी शामिल था। इसके अलावा इजराइल को लौटाए गए अन्य तीन शव थे – गाई इलूज, योसी शराबी और डैनियल पेरेट्ज के।
शवों की सुपुर्दगी डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना के पहले चरण के तहत हमास द्वारा शेष 20 जीवित बंदियों को रिहा करने के कुछ ही घंटों बाद मारे जा चुके कुछ लोगों के अवशेष लौटाए गए। बदले में, इजराइल ने लगभग 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया। आखिर कौन थे बिपिन जोशी और वो हमास के बंधकों में कैसे शामिल हुए? आईए जानते हैं।
बिपिन जोशी- नेपाल से इजराइल तक की यात्रा
नेपाल के रहने वाले बिपिन सितंबर 2023 में ‘लर्न एंड अर्न’ कार्यक्रम के तहत कृषि के छात्र के रूप में इजराइल गए थे। उस समय 23 साल के बिपिन इजराइल के किबुत्ज अलुमिम क्षेत्र में खट्टे फलों के खेतों में काम कर रहे थे। यह पहली बार था जब बिपिन इजराइल गए थे और पहली बार उन्होंने अपना घर और नेपाल भी छोड़ा था।
बिपिन जोशी- 7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने बनाया बंधक
7 अक्टूबर, 2023 को बिपिन अपने स्टडी प्रोग्राम के तहत दक्षिणी इजराइल के एक खेत में काम कर रहे थे, तभी हमास के लड़ाकों ने उस इलाके पर धावा बोल दिया। इस हमले में बिपिन के 10 साथी नेपाली मारे गए। पाँच घायल हुए और एक खुद को बचाते हुए वहां से भाग निकलने में कामयाब रहा। बिपिन जोशी और एक थाई नागरिक को हमास द्वारा बंधक बना लिया गया।
भागे हुए लोगों के अनुसार जब हमलावरों ने हमला किया तब बिपिन एक सुरक्षित कमरे तक पहुँचने की कोशिश कर रहे थे। इसके अलावा, उन्होंने सुरक्षित कमरे में मौजूद अन्य लोगों की सुरक्षा के लिए बहादुरी दिखाते हुए एक ग्रेनेड भी फेंकने की कोशिश की।
बंधक बनाए जाने के बाद किसी को भी बिपिन जोशी के बारे में कुछ पता नहीं चल सका। उसके परिवार ने उसकी तलाश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। बिपिन की 17 साल की बहन पुष्पा जोशी अपने भाई की रिहाई के लिए अधिकारियों से पैरवी करने के लिए अक्सर पश्चिमी नेपाल स्थित अपने घर से काठमांडू तक बसों से आठ घंटे का सफर तय करती रही। नेपाल सरकार ने भी हस्तक्षेप किया और अपने इजराइली समकक्षों से जानकारी जुटाने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
इस बीच नवंबर 2023 में उम्मीद की एक किरण तब दिखाई दी जब बिपिन जैसा दिखने वाला एक व्यक्ति कथित तौर पर गाजा के एक अस्पताल के फुटेज में देखा गया। लेकिन यह वीडियो कभी भी ठोस सबूत नहीं बन पाया। कई तरह की खबरें आदि आती रहीं कि वह वहाँ है और जीवित हैं लेकिन कोई पुष्टि नहीं हुई।
दरअसल, नवंबर 2023 का यह वीडियो कुछ ही दिन पहले जारी किया गया था। 33 सेकंड के इस वीडियो में बिपिन अपना परिचय अंग्रेजी में देते हैं। वे कहते नजर आते हैं- ‘मेरा नाम बिपिन जोशी है। मैं नेपाल से हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। मैं 25 दिन पहले इजराइल आया था। मैं यहाँ ‘लर्न एंड अर्न’ कार्यक्रम के लिए आया था। मैं एक छात्र हूँ। और खट्टे फलों और नींबू के खेत में काम करता हूँ।’
बिपिन के बारे में जानकारी हासिल करने के प्रयासों के तहत जोशी परिवार अगस्त में इजराइल भी गया, जहाँ उन्होंने राष्ट्रपति इसाक हर्जोग से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान बिपिन की माँ ने कहा, ‘यह मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत दुखद है। मैं हमारे साथ खड़े रहने के लिए इजराइल का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ। मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करती हूँ कि उन्होंने हमें आशा दी। और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मेरी यही अपील है, हम सोच भी नहीं सकते कि वह वहाँ कैसे रह रहा होगा। मैं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अनुरोध करती हूँ कि कृपया, जो भी कर सकते हैं, करें।’

इसके बाद सितंबर में, वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में इजराइली प्रतिनिधिमंडल के साथ न्यूयॉर्क भी गए ताकि दुनिया का ध्यान बिपिन के मामले पर दिला सकें। बिपिन की बहन ने ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ को बताया था कि वह उसे व्हाट्सएप पर संदेश भेजती थी, हालाँकि कोई संदेश नहीं पहुँचा।
13 अक्टूबर 2025, परिवार को मिली दिल तोड़ने वाली खबर
बहरहाल गुजरते समय के बीच बिपिन के परिवार को 13 अक्टूबर (सोमवार) को अच्छी खबर मिलने की उम्मीद थी, जिस दिन यह फैसला हुआ कि हमास सभी 20 बंधकों को इजराइल को सौंप देगा। निर्धारित रिहाई से कुछ घंटे पहले, हमास की कस्साम ब्रिगेड ने उन 20 भाग्यशाली लोगों की एक सूची जारी की जिन्हें रिहा किया जाएगा। बिपिन का नाम उस सूची में नहीं था।
इसके बाद सोमवार दोपहर को इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) के मुख्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने पुष्टि की कि हमास सोमवार शाम तक केवल चार मृत बंधकों को ही वापस करेगा।
इसके बाद उन्होंने नेपाली दूतावास को औपचारिक रूप से बताया कि जोशी अब जीवित नहीं हैं। अधिकारियों ने वीडियो कॉल के जरिए बिपिन की बहन को बताया कि उनका नाम जीवित बंधकों की सूची में नहीं है। परिवार के पास अब इस कड़वी सच्चाई को सुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।