Friday, October 10, 2025
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विवेकानंद रॉक मेमोरियल किससे जुड़ा है और क्या है इस स्मारक की पौराणिक मान्यताएं?

देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के बीच विवेकानंद रॉक मेमोरियल चर्चाओं में है। खबरों की मानें तो आखिरी चरण के मतदान से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कन्याकुमारी की यात्रा पर जाएंगे। यहां वे रॉक मेमोरियल की उस शिला पर ध्यान साधना करेंगे जिसपर स्वामी विवेकानंद ने ध्यान किया था। पीएम नरेंद्र मोदी के कन्याकुमारी जाने का कार्यक्रम 30 मई का है। यह दूसरी बार होगा जब पीएम नरेंद्र मोदी चुनाव खत्म होने के बाद किसी धार्मिक स्थल के दौरे पर जा रहे हैं। इससे पहले 2019 के आम चुनाव के बाद वह केदारनाथ गए था जहां रुद्र गुफा में कई घंटे तक ध्यान लगाया था।

विवेकानंद रॉक मेमोरियल

खैर, हम बात करते हैं विवेकानंद रॉक मेमोरियल की। यह स्मारक स्वामी विवेकानंद के सम्मान में 1970 में  बनाया गया था। 1893 में शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में रवाना होने से पहले इसी स्थान पर विवेकानंद ने तीन दिनों- 24, 25 और 26 दिसंबर 1892 को “श्रीपद पारई” पर गहन ध्यान और ज्ञान प्राप्ति की थी। यह स्मारक भारत के तमिलनाडु राज्य में कन्याकुमारी के समुद्र तट पर स्थित है। यह मूल रूप से एक पवित्र स्मारक है, जिसकी देख रेख विवेकानंद रॉक मेमोरियल कमेटी करती है।

विवेकानंद रॉक मेमोरियल पौराणिक महत्व

विवेकानंद रॉक मेमोरियल कन्याकुमारी में एक अन्य ऐसा स्थान है, जो पर्यटकों को बड़ी संख्या में अपनी ओर खींचता है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, यह वही स्थान है, जहां मां पार्वती ने एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव की प्रतीक्षा की थी। पुराणिक परंपरा में, इसे “श्रीपद पारई” के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है वह चट्टान जिसे देवी के चरण स्पर्श का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। किंवदंती के अनुसार, यही वह चट्टान है जिस पर देवी कन्याकुमारी ने तपस्या की थी। इस जगह पर हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर एक जगह मिलते हैं।

यह स्मारक विभिन्न स्थापत्य शैलियों का एक सुंदर सम्मिश्रण प्रदर्शित करता है। स्मारक में घूमने के लिए दो मुख्य संरचनाएं हैं – श्रीपद मंडपम और विवेकानंद मंडपम। परिसर में स्वामी विवेकानंद की आदमकद कांस्य प्रतिमा भी स्थापित है।

विवेकानंद मंडपम

विवेकानंद मंडपम 180 फीट लंबा, 11 फीट चौड़ा और 56 फीट ऊंचा मंडपम है, जिसमें ध्यान मंडपम, सभा मंडपम या सभा भवन और सामने प्रवेश द्वार की सीढ़ियाँ हैं जिनके नीचे दो कमरे और एक गलियारा है।

श्रीपद मंडपम:

श्रीपद मंडपम की बात करें तो यह एक वर्गाकार हॉल है, जिसमें गर्भगृह (सबसे पवित्र स्थान),  आंतरिक प्राकार, बाहरी प्राकार, चारों तरफ बाहरी चबूतरा है। दोनों मंडपों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि स्वामी जी की प्रतिमा को सीधे श्रीपद की ओर देखते हुए देखा जा सकता है।

विवेकानंद रॉक मेमोरियल से जुड़ीं मुख्य बातेंः

–  विवेकानंद रॉक मेमोरियल समुद्र में एक चट्टान पर स्थित है, जो मुख्य भूमि से लगभग 500 मीटर की दूरी पर है। इस शिला तक विवेकानंद तैरकर पहुंचे थे।

–  स्मारक का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. वीवी गिरि ने किया था।

–   समारोह 2 महीने तक चला था जिसका हिस्सा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी बनी थीं।

–  यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत दृश्य दिखाई देते हैं।

कन्याकुमारी जिला के आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, विवेकानंद रॉक मेमोरियल में सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक घूमा जा सकता है। इसके लिए 20 रुपए बतौर प्रवेश शुल्क अदा करना होगा। वहीं वयस्कों के लिए 34 रुपये और छात्रों के लिए 17 रुपये फेरी शुल्क लगता है।

 

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