Friday, October 10, 2025
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क्या है GBU-57 बंकर बस्टर बम जिसका इस्तेमाल अमेरिका ने ईरान के खिलाफ किया?

ईरान और इजराइल के बीच जारी युद्ध में अमेरिका अब आधिकारिक रूप से शामिल हो चुका है। 22 जून की सुबह अमेरिकी सेना ने ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियर ठिकानों—फोर्डो, नतांज और एस्फाहान—पर बेहद सटीक और शक्तिशाली हथियारों से हमला किया। इस हमले में अमेरिका ने GBU-57 बंकर बस्टर बम, टोमहॉक क्रूज़ मिसाइलें और अत्याधुनिक B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स का इस्तेमाल किया।

फोर्दो ईरान की दूसरी सबसे अहम न्यूक्लियर फैसिलिटी है, जो तेहरान के दक्षिण-पश्चिम में कुम के पास एक पहाड़ के नीचे लगभग 80 मीटर गहराई में स्थित है। अब तक यह इजराइली हमलों से बचा हुआ था, लेकिन अमेरिका ने इसे GBU-57 बंकर बस्टर से निशाना बनाया। यह बम 30,000 पाउंड (लगभग 13,600 किलोग्राम) वजनी है और 200 फीट गहराई तक घुसकर विस्फोट कर सकता है। अमेरिकी B-2 बॉम्बर्स द्वारा इसे एक के बाद एक गिराकर और भी गहराई तक प्रभाव डाला गया।

क्या है GBU-57 बंकर बस्टर?

GBU-57 A/B को अमेरिकी वायुसेना की रिसर्च यूनिट और बोइंग ने मिलकर विकसित किया है। यह बम कंक्रीट और पत्थरों को भेदते हुए गहराई में जाकर धमाका करता है, जिससे पहाड़ी में बनी न्यूक्लियर साइट्स जैसे फोर्दो को भी तबाह किया जा सकता है।

यह लगभग 20 फीट लंबा और 2.6 फीट व्यास का होता है और 30,000 पाउंड (लगभग 13,600 किलोग्राम) वजनी होता है। यह विस्फोट से पहले 200 फीट तक जमीन के अंदर घुस सकता है, इसलिए इसे “बंकर बस्टर्स” कहा जाता है। अमेरिकी सूत्रों के अनुसार, इस हमले में 12 GBU-57 बमों का इस्तेमाल किया गया था।

टोमहॉक मिसाइलें: सटीकता की उड़ती मिसाइलें

हमले में अमेरिकी पनडुब्बियों ने 30 टोमहॉक क्रूज मिसाइलें दागीं। ये मिसाइलें लक्ष्य के ऊपर मँडरा सकती हैं, लक्ष्य बदल सकती हैं और युद्ध क्षेत्र से रीयल टाइम जानकारी भेज सकती हैं। टोमहॉक का उपयोग पहले भी इराक, लीबिया और सीरिया में हुआ है।

 टोमहॉक मिसाइलों का पहला ऑपरेशनल उपयोग 1991 में ‘ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म’ में हुआ था। इनका उपयोग लीबिया में ‘ऑपरेशन ओडिसी डॉन’ और सीरिया में ‘ऑपरेशन इन्हेरेंट रिजॉल्व’ में भी किया गया था। रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिका ने ईरान में अपने लक्ष्यों पर टोमहॉक मिसाइलों को लॉन्च करने के लिए अपनी वर्जीनिया और लॉस एंजिल्स लाइन-अप की पनडुब्बियों का इस्तेमाल किया।

B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और F-22, F-35 की भूमिका

अमेरिका ने हमले के लिए 6 B-2 स्पिरिट बॉम्बर्स तैनात किए, जो स्टील्थ तकनीक से लैस हैं और अत्यधिक सुरक्षित ठिकानों पर बगैर रडार में आए हमला कर सकते हैं। इनके साथ ही F-22 रैप्टर और F-35A लाइटनिंग II फाइटर जेट्स ने एयर कवर और इंटेलिजेंस सपोर्ट प्रदान किया। ये फाइटर जेट्स पूरी तरह स्टील्थ हैं और किसी भी मौसम में सटीक हमला कर सकते हैं। F-35A लाइटनिंग IIs का पंखों का फैलाव 35 फीट है, यह 51 फीट लंबा है और 8,000 किलोग्राम से अधिक का पेलोड ले जा सकता है।

हमले के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि ईरान की तीनों न्यूक्लियर फैसिलिटी “पूरी तरह नष्ट” कर दी गई हैं। वहीं, ईरान ने कहा कि फोर्डो साइट पहले से खाली कर दी गई थी और कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ। ट्रंप ने कहा, “अब शांति का समय है।” लेकिन यह स्पष्ट है कि यह हमला अमेरिका और ईरान के बीच टकराव को एक नए चरण में ले जा चुका है।

ट्रंप ने जी-7 समिट के दौरान कहा था कि वह दो सप्ताह में हस्तक्षेप का निर्णय लेंगे, लेकिन उन्होंने केवल दो दिन बाद ही हमला करने का फैसला किया। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले से उम्मीद जता चुके थे कि अमेरिका उनके साथ युद्ध में शामिल होगा।

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