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सीबीआई पर SC की ‘पिंजरे का तोता’ टिप्पणी के बाद जगदीप धनखड़ ने सरकारी एजेंसियों को लेकर क्या कहा?

नई दिल्लीः सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को समाप्त करना चाहिए। अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट की सीबीआई को लेकर की गई इस टिप्पणी पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सरकारी एजेंसियों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि चुनाव आयोग और जांच एजेंसियों जैसे संस्थान कठिन परिस्थितियों में अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं और इस दौरान की गई कोई भी टिप्पणी या अवलोकन उन्हें हतोत्साहित कर सकती है।

पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, धनखड़ ने कहा कि देश के संस्थानों के बारे में अत्यंत सतर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि वे मजबूत हैं और कानून के शासन के तहत स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं, साथ ही उनमें उचित जाँच-पड़ताल की व्यवस्था भी होती है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, “यह राजनीतिक बहस को जन्म दे सकता है और एक नैरेटिव को शुरू कर सकता है। हमें अपने संस्थानों के बारे में अत्यधिक सचेत रहना चाहिए। ये संस्थान मजबूत हैं, वे कानून के शासन के तहत स्वतंत्र रूप से कार्य कर रहे हैं और उनमें उचित जाँच-पड़ताल की व्यवस्थाएँ हैं।”

धनखड़ ने सोमवार कहा कि राज्य के सभी अंगों का एक साझा उद्देश्य होता है कि आम आदमी को उसके सभी अधिकार मिलें और भारत का विकास और समृद्धि हो।  उन्हें मिलकर काम करना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों का पोषण और संवर्धन हो सके और संवैधानिक आदर्शों को आगे बढ़ाया जा सके।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि ये पवित्र मंच – विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – राजनीतिक उग्र बहस के स्रोत नहीं बनने चाहिए, जो देश की सेवा करने वाले स्थापित संस्थानों के लिए हानिकारक हो सकता है।

धनखड़ की यह टिप्पणी उस समय आई है जब सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को यह धारणा समाप्त करनी चाहिए कि वह एक पिंजरे में बंद तोता है।

न्यायमूर्ति उज्जल भूयान ने कथित शराब घोटाले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए कहा था कि “कानून के शासन द्वारा संचालित एक कार्यशील लोकतंत्र में धारणा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जैसे कि कैसर की पत्नी को बेदाग होना चाहिए, वैसे ही एक जांच एजेंसी को भी निष्पक्ष और विश्वसनीय होना चाहिए। कुछ समय पहले, इस अदालत ने सीबीआई की आलोचना करते हुए उसे ‘पिंजरे में बंद तोते’ के रूप में संदर्भित किया था। यह आवश्यक है कि सीबीआई इस धारणा को समाप्त करे। बल्कि, धारणा यह होनी चाहिए कि वह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेंसी है।”

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