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परिवारों पर पड़ सकता है असर, ट्रंप के एच-1बी वीजा के नए नियमों पर भारत की पहली प्रतिक्रिया

एच-1बी वीजा को लेकर अमेरिका ने नए नियमों की घोषणा की है। भारत सरकार ने कहा है कि इससे वीजा धारकों के परिवार पर असर पड़ सकता है।

नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एच-1बी (H-1B Visa) वीजा के नए नियमों पर भारत सरकार की पहली प्रतिक्रिया आई है। 20 सितंबर (शनिवार) को भारत सरकार ने कहा कि इसके मानवीय परिणाम हो सकते हैं और वीजा धारकों के परिवारों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। भारत सरकार ने कहा कि भारतीय वीजा धारकों के बड़ी संख्या में परिवार प्रभावित हो सकते हैं। इससे पहले ट्रंप ने आज एच-1बी वीजा के लिए नए नियमों की घोषणा की जिसके तहत आवेदकों को अब 1,00,000 डॉलर (88 लाख रुपये) देने पड़ेंगे, जो कि पहले से काफी अधिक है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस बाबत एक बयान साझा करते हुए लिखा “इस कदम से परिवारों के लिए उत्पन्न व्यवधान के रूप में मानवीय परिणाम होने की संभावना है। सरकार को उम्मीद है कि अमेरिकी प्राधिकारी इन बाधाओं को उचित रूप से संबोधित कर सकेंगे।”

डोनाल्ड ट्रंप ने नए नियमों में किए हस्ताक्षर

डोनाल्ड ट्रंप ने नए नियमों पर हस्ताक्षर किए जिसके चलते अमेरिकी कंपनियों को एच-1बी वीजा धारक कुशल पेशेवरों के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर का वार्षिक शुल्क देना होगा। ट्रंप प्रशासन ने घोषणा की है कि एच-1बी वीजा धारकों को यह शुल्क चुकाए बिना अमेरिका में प्रवेश अनुमति नहीं दी जाएगी। इससे तकनीकी कर्मचारियों, खासकर भारतीय में हड़कंप मच गया, जो एच-1 बी वीजा धारकों का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा है।

सरकार ने कहा है कि वह अमेरिकी प्रशासन के इस कदम के प्रभावों का आकलन कर रही है, जो ट्रंप की व्यापक आव्रजन विरोधी नीतियों का हिस्सा है। सरकार ने उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका के उद्योग आगे बढ़ने का सबसे अच्छा रास्ता खोजने के लिए आपस में विचार-विमर्श करेंगे।

बयान के मुताबिक, “कुशल प्रतिभाओं की गतिशीलता और आदान-प्रदान ने अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार, आर्थिक विकास, प्रतिस्पर्धात्मकता और धन सृजन में बड़ा योगदान दिया है। इसलिए नीति निर्माता हाल के कदमों का आकलन पारस्परिक लाभों को ध्यान में रखते हुए करेंगे, जिसमें दोनों देशों के बीच मजबूत जन संबंध भी शामिल हैं। “

भारत सरकार ने क्या कहा?

सरकार ने बयान में आगे कहा कि इन निहितार्थों की सभी हितधारकों द्वारा जांच की जा रही है जिसमें भारतीय उद्योग भी शामिल हैं। इसने एच-1बी वीजा कार्यक्रम के बारे में कुछ धारणाओं को संबोधित करते हुए एक प्रारंभिक विश्लेषण पहले ही जारी कर दिया है। इसमें कहा गया है कि “भारत और अमेरिका दोनों ही देशों के उद्योगों का नवाचार और रचनात्मकता में निहित स्वार्थ है और आगे का सर्वोत्तम रास्ता तय करने के लिए परामर्श में शामिल होने की उम्मीद है।”

एच-1 बी वीजा आवेदन करने के लिए कम से कम स्नातक की डिग्री होना अनिवार्य है। उच्च कुशल पदों पर पेशेवरों की भर्ती के लिए कंपनियां अक्सर संघर्ष करती हैं। वहीं, इसके आलोचकों का मानना है कि यह कुशल अमेरिकी कर्मचारियों की जगह सस्ते विदेशी कर्मचारियों को लाने का एक जरिया बनता जा रहा है।

ट्रंप ने इसके आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनता जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि एच-1 बी का उपयोग करने वाली कंपनियों के लिए उच्च शुल्क इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक थे। उन्होंने कहा कि ये कंपनियों को सबसे कुशल अस्थायी विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति भी देते थे।

रविवार से यह नियम लागू हो जाएंगे और इसके बाद उन कर्मचारियों को अमेरिकी में आने की अनुमति नहीं मिलेगी जिनकी कंपनियों ने भुगतान नहीं किया है। ऐसे में कंपनियों ने एच-1बी वीजा धारकों को रविवार से पहले अमेरिका पहुंचने के लिए कहा है।

अमरेन्द्र यादव
लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातक करने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई। जागरण न्यू मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर काम करने के बाद 'बोले भारत' में कॉपी राइटर के रूप में कार्यरत...सीखना निरंतर जारी है...

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