Friday, October 10, 2025
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पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टरों के आमरण अनशन के बीच इस्तीफों का सिलसिला जारी, राज्य सरकार की चुप्पी बरकरार

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मामले के बाद जारी हंगामा अभी भी जारी है। अस्पताल के 50 सीनियर डॉक्टरों द्वारा इस्तीफा देने के एक दिन बाद बुधवार (9 अक्टूबर) को कम से कम और 60 डॉक्टरों ने कोलकाता के कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से इस्तीफा दे दिया।

इससे पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टरों ने मंगलवार को विभिन्न विभाग प्रमुखों की बैठक के बाद सामूहिक रूप से इस्तीफा देने का फैसला किया था। डॉक्टरों ने हालांकि इस्तीफा देने के बावजूद काम बंद नहीं किया है और कहा है कि ये कदम सरकार को ‘जगाने’ के लिए है।

इन्होंने उन 7 डॉक्टरों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए इस्तीफा दिया है जो अगस्त में कथित तौर पर बलात्कार और हत्या की शिकार महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। इसके अलावा राज्य भर के अन्य मेडिकल कॉलेज में भी कई डॉक्टर एकजुटता में 12 घंटे का उपवास रख रहे हैं।

पश्चिम बंगाल के अन्य मेडिकल कॉलेजों के कुछ वरिष्ठ डॉक्टरों ने भी संकेत दिया है कि वे भी इसका अनुसरण कर सकते हैं इस्तीफा दे सकते हैं। इन सबके बीच पश्चिम बंगाल सरकार की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

ये डॉक्टर हैं आमरण अनशन पर

कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की डॉक्टर स्निग्धा हाजरा, तनाया पांजा और अनुस्तुप मुखोपाध्याय अनशन पर हैं। इसके साथ ही एसएसकेएम के अर्नब मुखोपाध्याय, एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पुलस्थ आचार्य और केपीसी मेडिकल कॉलेज की सायंतनी घोष हाजरा भी आमरण अनशन बैठे हुए हैं। यह शनिवार शाम से जारी है। पहले छह डॉक्टर अनशन पर बैठे। इसके बाद रविवार को इनके एक और साथ अनिकेत महतो भी इसमें शामिल हुए।

कूचबिहार मेडिकल कॉलेज के दो अन्य जूनियर डॉक्टर भी यहां अपने सहयोगियों के समर्थन में लगातार तीसरे दिन भूख हड़ताल जारी रखे हुए हैं। वहीं, अपने जूनियर डॉक्टरों के समर्थन में आए सीनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को शहर में एक बड़ी रैली भी आयोजित की थीं। डॉक्टरों का कहना है कि वे पूरे कोलकाता में दुर्गा पूजा पंडालों में ‘अभया’ का संदेश लेकर जाएंगे।

शुक्रवार से जूनियर डॉक्टर कर चुके हैं काम बंद

राज्य में जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार से अपना काम पूरी तरह बंद कर दिया था, जिससे सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया है कि मृत महिला चिकित्सक के लिए न्याय सुनिश्चित करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है।

इसके अलावा इन्होंने स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम को तत्काल हटाने के साथ-साथ कथित प्रशासनिक अक्षमता के लिए जवाबदेही और विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है। इनके अन्य मांगों में राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए एक केंद्रीकृत रेफरल प्रणाली की स्थापना, बेड वेकैंसी निगरानी प्रणाली स्थापित करना, सीसीटीवी, ऑन-कॉल रूम और वॉशरूम जैसी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए टास्क फोर्स का गठन शामिल है।

डॉक्टर अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाने, स्थायी महिला पुलिस कर्मियों की भर्ती और डॉक्टरों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के रिक्त पदों को तेजी से भरने की भी मांग कर रहे हैं।

इससे पहले 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक साथी डॉक्टर के साथ बलात्कार-हत्या के बाद जूनियर डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया था। राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों पर विचार करने के आश्वासन के बाद उन्होंने 42 दिनों के बाद 21 सितंबर को अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था।

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