Homeभारतवक्फ कानून पर पहले दिन बहस खत्म, सिब्बल-सिंघवी ने क्या-क्या दिए तर्क;...भारतवक्फ कानून पर पहले दिन बहस खत्म, सिब्बल-सिंघवी ने क्या-क्या दिए तर्क; SC ने क्या कहाBy bharatbApril 16, 202501ShareFacebookTwitterPinterestWhatsApp Tagsवक्फ बोर्डवक्फ संशोधन विधेयकसुप्रीम कोर्टShareFacebookTwitterPinterestWhatsApp Previous articleअदालतों द्वारा घोषित वक्फ संपत्तियों को डि-नोटिफाई नहीं किया जा सकता, चाहे वह ‘वक्फ बाय यूजर’ हो या वक्फ बाय डीड: SCNext articleभारतीय रेलवे ने असिस्टेंट लोको पायलट के पदों पर निकाली बंपर भर्ती, जल्दी करें आवेदनbharatbhttps://bolebharat.in/RELATED ARTICLES भारतभारत फिर से खोलेगा काबुल में अपना दूतावास, एस जयशंकर ने की घोषणा, टेक्निकल मिशन को करेगा अपग्रेड October 10, 2025 भारत‘लोकतांत्रिक समाज में उग्रवाद की नहीं है कोई जगह’, किएर स्टार्मर के साथ बैठक में खालिस्तानी उग्रवाद पर बोले पीएम मोदी October 9, 2025 भारतसेक्स एजुकेशन नौवीं से क्यों, कम उम्र से ही दिया जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट October 9, 2025 LEAVE A REPLY Cancel replyComment:Please enter your comment! Name:*Please enter your name here Email:*You have entered an incorrect email address!Please enter your email address here Website: Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Most Popularसंजय कपूर संपत्ति विवादः करिश्मा के बच्चों ने प्रिया पर ‘सिंड्रेला की सौतेली माँ’ की तरह व्यवहार करने का लगाया आरोप October 10, 2025 Nobel Peace Prize 2025: मारिया कोरिना मचाडो कौन हैं, जिन्हें मिला नोबेल शांति पुरस्कार October 10, 2025 खेती बाड़ी-कलम स्याही: बिहार चुनाव और कलाकार! October 10, 2025 भारत फिर से खोलेगा काबुल में अपना दूतावास, एस जयशंकर ने की घोषणा, टेक्निकल मिशन को करेगा अपग्रेड October 10, 2025 Load moreRecent Comments Dinesh Bhatt on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद Rakesh Bihari on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद डॉ उर्वशी on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद पंकज मित्र on कथा प्रांतर 3: द्रष्टा और भोक्ता के अनुभूति-अंतरालों के बावजूद Rohini Aggarwal on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता मनोज मोहन on कहानीः याद Alka Tiwari on स्मरण: आलोचना की निगाह से दूर एक लेखक और एक राजा के दिल मे गरीबों के लिए दर्द Kavita kavita on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… प्रकाश on कहानीः याद Neelam shanker on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद Kavita Kavita on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र K. Manjari Srivastava on दृश्यम: कमालुद्दीन नीलू, इब्सन और नेटिव पियर Shampa Shah on दृश्यम: कमालुद्दीन नीलू, इब्सन और नेटिव पियर Kavita on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… Kavita Kavita on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र नमिता on उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ… डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा डॉ उर्वशी on स्मरण: आखिर क्यों मारे गए गुलफाम शैलेंद्र SAHIL RAJ on पुस्तक समीक्षा: हो सके तो इन किसानों को बचाइए राकेश बिहारी on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता राकेश बिहारी on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Navin Goela on बोलते बंगले: शास्त्री जी क्यों नहीं रहे तीन मूर्ति रवि रंजन on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता पंखुरी सिन्हा on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Pramod Kumar barnwal on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता Madhu Kankariya on कथा प्रांतर: पुल की सार्थकता