नई दिल्लीः रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार, 5 दिसंबर को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि भारत और रूस के बीच गहरे संबंध होना “पूरी तरह से स्वाभाविक” है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि व्यापार का विस्तार होगा।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 और 5 दिसंबर को भारत की यात्रा पर हैं। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में पुतिन ने इन बातों पर जोर दिया।
व्लादिमीर पुतिन ने प्रेस वार्ता के दौरान क्या कहा?
प्रेस वार्ता के दौरान व्लादिमीर पुतिन ने “स्वतंत्र विदेश नीतियों” और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर जोर दिया। उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीद को बंद करने का दबाव बनाया है।
पुतिन ने पहले मोदी से कहा था कि रूस भारत को ईंधन की “निर्बाध आपूर्ति” जारी रखने के लिए तैयार है, क्योंकि भारत पर मास्को से तेल खरीदना बंद करने का भारी अमेरिकी दबाव है।
मेक इन इंडिया को बढ़ावाः दोनों देशों की संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पुतिन ने कहा कि रूसी उद्यम भी मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत विनिर्माण में भाग लेंगे। पुतिन ने आगे कहा “हमारे शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान निरंतर बढ़ रहे हैं।”
स्वतंत्र विदेश नीति पर दिया जोर
पुतिन ने आगे स्वतंत्र विदेश नीतियों पर जोर दिया। उन्होंने कहा “रूस और भारत स्वतंत्र विदेश नीतियां अपनाते हैं और एक अधिक न्यायसंगत एवं लोकतांत्रिक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के लिए ब्रिक्स और एससीओ में मिलकर काम करते हैं। हम अपनी बातचीत से संतुष्ट हैं और हमें विश्वास है कि यह यात्रा हमारी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी।”
इस दौरान पुतिन ने परमाणु ऊर्जा में सहयोग पर भी जोर देते हुए कहा “हम भारत के कुडनकुलम में सबसे बड़ा भारतीय परमाणु ऊर्जा संयंत्र बना रहे हैं। छह में से दो इकाइयां पहले ही ग्रिड से जुड़ चुकी हैं और चार निर्माणाधीन हैं। पूरी तरह से चालू होने पर यह भारत की स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा आवश्यकताओं में एक बड़ा योगदान देगा।”
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, इससे पहले पुतिन ने मोदी से कहा था कि रूस तेल, गैस, कोयला और भारत के ऊर्जा विकास के लिए आवश्यक हर चीज का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता है।
भारत के लिए यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 50 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है जिससे भारतीय उद्योगों को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई उद्योग इतना टैरिफ झेलने की क्षमता नहीं रखते हैं। ऐसे में नौकरियों का संकट भी हो सकता है।

