Homeभारतहेराफेरी, चोर दरवाजे से वीवो इंडिया पर कंट्रोल...Vivo China पर ईडी के...

हेराफेरी, चोर दरवाजे से वीवो इंडिया पर कंट्रोल…Vivo China पर ईडी के आरोपपत्र में क्या दावे किए गए हैं?

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चीन की कंपनी वीवो (Vivo) के खिलाफ दायर किए गए आरोपपत्र में आयात की आड़ में भारत में करोड़ो रुपये की हेराफेरी की बात कही है। ईडी ने ये भी दावा किया है कि वीवो चीन (Vivo China) को जब यह मालूम चला कि वह भारत में जांच एजेंसियों की नजर में है तो उसने ‘वीवो इंडिया’ से अपने संबंधों को छुपाने की भी कोशिश की और इसे कागजों पर किसी और कंपनी से संबद्ध दिखाया गया और यह पूरा खेल हांगकांग और दूसरी जगहो से चल रहा है। ईइी ने और क्या कुछ अपने आरोपपत्र नें कहा है..इसे विस्तार से समझते हैं।

चीनी कंपनी Vivo पर आरोप

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार ईडी ने आरोपपत्र में कहा है कि Vivo चीन ने आयात की आड़ में 70,000 करोड़ रुपये की हेराफेरी की। ईडी ने पूरक आरोपपत्र में आरोप लगाया गया है, ‘वीवो इंडिया और इसकी 23 एसडीसी (राज्य वितरक कंपनियों) के जरिए वीवो चीन वीवो मोबाइल के भारत में सभी संचालन को नियंत्रित और एकाधिकार किया।’

केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने 2014 के बाद से भारत के बाहर 70,837 करोड़ रुपये भेजे। इडी के अनुसार वीवो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा अपनी विदेशी व्यापारिक कंपनियों को
‘माल के आयात के लिए भुगतान की आड़ में’ बड़ी रकम भेजी गई। ये आयात कथित तौर पर हांगकांग, समोआ और ब्रिटिश वर्जिन द्वीप समूह में स्थित संस्थाओं से थे। खास बात ये है कि इनमें से कई विदेशी ‘व्यापारिक कंपनियों’ को वीवो चीन द्वारा नियंत्रित किया जाता था।

वीवी इंडिया से संबंध छुपाने की कोशिश

ईडी ने आरोप लगाया कि वीवो चाइना ने भारत में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की नजरों में आने से बचने के लिए वीवो इंडिया के साथ अपने संबंधों को ‘छिपाने’ की भी कोशिश की। वीवो चीन ने इसके लिए एक रास्ता निकाला जिससे कागजों पर वीवो इंडिया से वह खुद की दूरी दिखा सकता था, लेकिन साथ ही उसने पर्दे के पीछे से वह सप्लाई चेन को नियंत्रित करना जारी रखे हुए था। ईडी के अनुसार सभी कंपनियां वास्तव में एक ही मालिक- ‘वीवो चाइना’ के नियंत्रित में थी।

केंद्रीय जांच एजेंसी के अनुसार, वीवो चाइना द्वारा हांगकांग में ‘मल्टी एकॉर्ड लिमिटेड’ नाम की कंपनी स्थापित की गई थी। वीवो मोबाइल इंडिया की स्थापना 1 अगस्त 2014 को हुई थी और इसे मल्टी एकॉर्ड लिमिटेड की सहायक कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया था। दूसरी ओर वीवो चाइना कथित तौर पर हांगकांग में पंजीकृत लकी क्रेस्ट का शेयरधारक था, जो दूसरी ओर मल्टी एकॉर्ड का शेयरधारक था। ईडी ने अपनी चार्जशीट में वीवो इंडिया पर वीवो चीन के कथित नियंत्रण को इसी तरह दर्शाया है।

हांगकांग की एक इमारत का कमरा नंबर 901

एजेंसी ने दावा किया कि वीवो इंडिया और इसकी 23 राज्य वितरक कंपनियों ने भारत सरकार को अपने लाभकारी स्वामित्व की ‘जानबूझकर गलत जानकारी’ दी। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि वीवो चाइना ने कई विदेशी व्यापारिक कंपनियों का एक जाल बनाया हुआ था ताकि लाभ हासिल कर रहे असल मालिक की पहचान को छुपाया जा सके। यह सब इसी मकसद से डिजाइन किया गया था।

ईडी के मुताबिक ये ट्रेडिंग कंपनियां कथित तौर पर हांगकांग में यिप फंग बिल्डिंग (Yip Fung Building) के कमरा नंबर 901 से संचालित होती थीं। एक बयान में ईडी ने कहा वीवो इंडिया के आईटी मैनेजर विकास कुमार ने उन्हें बताया था कि वह सीधे एक चीनी नागरिक को रिपोर्ट करते हैं, जो वीवो चाइना के ऑफिस से काम करता है।

एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी से जुड़े चीनी अधिकारियों ने ‘किसी भी संदेह से बचने’ के लिए भारत आने के लिए निमंत्रण पत्र प्राप्त करने के लिए भारतीय कंपनी ‘लावा इंटरनेशनल लिमिटेड’ का इस्तेमाल किया।

Vivo से जुड़े मामले का बैकग्राउंड क्या है?

ईडी ने वीवो और इससे जुड़ी कुछ दूसरी कंपनियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के सिलसिले में अपनी पहली चार्जशीट पिछले साल दिसंबर में दायर की थी। ईडी ने दावा किया था भारत में टैक्स के भुगतान से बचने के लिए वीवो-इंडिया की तरफ से करोड़ों रुपये की भारी रकम अवैध रूप से बाहर ट्रांसफर की गई थी।

इससे पहले साल 2023 में ईडी ने देश भर में वीवो मोबाइल्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसकी 23 सहयोगी कंपनियों जैसे ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (जीपीआईसीपीएल) से संबंधित 48 स्थानों पर तलाशी ली थी और दावा किया कि उसने एक प्रमुख धन शोधन रैकेट, जिसमें चीनी नागरिक और कई भारतीय कंपनियां शामिल हैं, का भंडाफोड़ किया है। इसके बाद कंपनी से जुड़े कई अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया गया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा
Exit mobile version