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विहिप ने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से हटाने के लिए मुहिम शुरू करने का किया ऐलान

नई दिल्ली: तिरूपति बालाजी मंदिर के प्रसादम को लेकर विवाद के बीच विश्व हिंदू परिषद (विहिप/VHP) ने देश भर के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए अभियान शुरू करने की घोषणा की है। विहिप ने सरकारी प्रबंधन में ‘भ्रष्टाचार’ का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारों द्वारा मंदिरों पर ‘कब्जा करना मुस्लिम आक्रांताओं और औपनिवेशिक ब्रिटिशों की मानसिकता को दर्शाता है।’

विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘सरकारें मंदिरों का इस्तेमाल उनकी संपत्ति को लूटने और उन नेताओं को जगह देने के लिए कर रही हैं जिन्हें सरकार में जगह नहीं मिल सकी।’ इससे एक दिन पहले विहिप ने तिरुपति के संतों और मंदिर बोर्ड बैठक की थी और बताया था कि ‘लड्डू प्रसादम’ और मंदिर की पवित्रता के लिए शुद्धिकरण का अनुष्ठान किया गया है।

‘सरकार को मंदिर चलाने का हक किसने दिया?’

सुरेंद्र जैन ने कहा कि तिरुपति के ‘प्रसादम’ में जानवरों की चर्बी की कथित मिलावट की बात ने ‘पूरे हिंदू समाज को नाराज’ कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि ऐसी ही मिलावट की खबरें केरल के सबरीमाला जैसे कई अन्य मंदिरों से भी आ रही हैं। जैन ने ऐसी बातों को अपने शब्दों में ‘हिंदू समाज की भावनाओं के साथ एक आपराधिक खिलवाड़’ कहा।

विहिप नेता ने कहा, ‘इन सभी प्रकरणों के बीच एक बात यही है कि ये सभी मंदिर सरकारों के नियंत्रण में हैं। समस्या का एकमात्र स्थायी समाधान मंदिरों को सरकारों के नियंत्रण से मुक्त कर उन्हें समाज को सौंपना है। समाज संतों के मार्गदर्शन में मंदिरों का प्रबंधन करेगा।’

जैन ने सरकारों द्वारा मंदिरों के प्रबंधन को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए कहा, ‘अनुच्छेद 12 कहता है कि राज्य का कोई धर्म नहीं है। फिर उन्हें मंदिर चलाने का अधिकार किसने दिया? अनुच्छेद 25 और 26 हमें अपने संस्थान चलाने का अधिकार देते हैं। अगर अल्पसंख्यक अपनी संस्थाएं चला सकते हैं तो हिंदू क्यों नहीं।’

सुरेंद्र जैन ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि एक पैटर्न है। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने मंदिरों को नष्ट किया लूटा। अंग्रेज ज्यादा चालाक थे और उन्होंने मंदिरों पर कब्जा कर लिया। इस तरह उन्होंने मंदिरों को लूटने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था बना दी। दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी हमारे राजनेता इस औपनिवेशिक मानसिकता से खुद को मुक्त नहीं कर सके है। सरकार का मंदिरों पर कब्जा कर लेना उसी मानसिकता का परिचायक है। यह लूट अब खत्म होनी चाहिए। हमारा नारा है- ‘हिंदू समाज का धन हिंदुओं के लिए’

मंदिरों में हो रहा भ्रष्टाचार!

सुरेंद्र जैन ने मंदिरों में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि अकेले तमिलनाडु सरकार के अधीन 400 से अधिक मंदिर थे। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘पिछले 10 सालों में राज्य ने इन मंदिरों में 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया है।’

जैन ने कहा अभियान के पहले कदम के तौर पर वीएचपी सभी राज्यों की राजधानियों में विरोध रैलियां आयोजित करेगी और मुख्यमंत्रियों को अपनी मांगों का ज्ञापन देगी। उन्होंने कहा, ‘अगर जरूरत पड़ी तो कानूनी कदम भी उठाये जायेंगे। इसके बाद भी जरूरत महसूस हुई तो हम भविष्य में एक आंदोलन भी शुरू कर सकते हैं।’

यह पूछे जाने पर कि केंद्र में मोदी सरकार के पिछले 10 साल के कार्यकाल और कई राज्यों में भाजपा सरकारें होने के बावजूद ऐसा क्यों नहीं किया गया? जैन ने कहा, ‘पहले यह एक मांग थी। अब हम एक अभियान शुरू कर रहे हैं। अब जब समाज इसे महसूस करने लगा है और मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण के खिलाफ आवाज उठा रहे है, तो शायद यह भगवान की इच्छा है कि हमें अब इसके लिए एक अभियान शुरू करना चाहिए।’

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