Homeसाइंस-टेकवासुकी इंडिकस: भारत में मिला 'सबसे बड़े सांप' का 5 करोड़ साल...

वासुकी इंडिकस: भारत में मिला ‘सबसे बड़े सांप’ का 5 करोड़ साल पुराना जीवाश्म, 50 फीट तक की थी लंबाई, गुजरात के कच्छ में खोज

गुजरात के कच्छ में साल 2005 में शोधकर्ताओं को मिले एक जीवाश्म को लेकर हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह जीवाश्म धरती पर कभी रहे सबसे बड़े सांप से जुड़ा है जबकि इससे पहले तक वैज्ञानिकों का यही मानना था कि ये किसी बड़े मगरमच्छ का है। बहरहला, अब नई खोज के बाद इसे वासुकी इंडिकस (Vasuki Indicus) नाम दिया गया है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि आईआईटी रूड़की के वैज्ञानिकों द्वारा ‘वासुकी इंडिकस’ की खोज धरती पर जीवों की विकास प्रक्रिया, महाद्वीपीय बदलाव और कई प्रजातियों- विशेषकर सरीसृपों आदि की उत्पत्ति और भारत से इसके जुड़ाव की जानकारी जुटाने में बेहद अहम साबित हो सकता है।

वासुकी इंडिकस- 11 से 15 मीटर तक रही होगी लंबाई

आईआईटी-रुड़की के अर्थ साइंस विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सुनील वाजपेयी के अनुसार इस सांप की लंबाई 11 मीटर (36 फीट) और 15 मीटर (49.22 फीट) के बीच या फिर इससे भी ज्यादा रही होगी। यह सांप अब विलुप्त हो चुके टाइटनोबोआ (Titanoboa) से भी लंबा हो सकता है, जो कभी कोलंबिया में पाया जाता था। अध्ययन से पता चलता है कि ‘वासुकी इंडिकस’ टाइटेनोबोआ और अजगर प्रजाति से मिलता-जुलता रहा होगा।

शोधकर्ताओं के अनुसार ‘वासुकी इंडिकस’ का बड़ा आकार देखते हुए इसका नाम हिंदू धर्म में माने गए सांपों के राजा नागराज वासुकी के नाम पर रखा गया है। हिंदू मान्यताओं में वासुकी नाग को शिव की गर्दन के चारों ओर लपेटा हुआ दिखाया जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके विशाल आकार ने इसे एनाकोंडा के समान धीमी गति से चलने वाला और घात लगाकर हमला करने वाला शिकारी बना दिया होगा।

विशाल सांप वासुकी इंडिकस के मिले 27 जीवाश्म

इस शोध को शुक्रवार को ‘स्प्रिंगर नेचर’ प्लेटफॉर्म पर ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित किया गया। वाजपेयी और आईआईटी-रुड़की के पोस्ट-डॉक्टरल फेलो देबजीत दत्ता ने कहा कि कच्छ में पनांद्रो लिग्नाइट खदान से बरामद इस सांप का जीवाश्म लगभग 47 मिलियन वर्ष (4.7 करोड़ साल) पहले मध्य इओसीन काल का है। अपने अन्वेषण के दौरान शोधकर्ताओं ने 27 अच्छी तरह से संरक्षित रीढ़ के जोड़ की खोज की है जो पूरी तरह से विकसित सरीसृप की लगती हैं। इसकी लंबाई इसे अब तक का ज्ञात सबसे बड़ा मैडट्सोइड (Madtsoiidae, सांपों की लुप्त प्रजाति) सांप बनाती है, जो 28 डिग्री सेल्सियस अनुमानित औसत तापमान के दौरान पनपा था।

करीब 19 साल पहले खोजे गए जीवाश्म को लेकर सामने आई चौंकाने वाली जानकारी पर वाजपेयी ने कहा, ‘जीवाश्म 2005 में पाया गया था, लेकिन उस समय मैं अन्य दूसरे जीवाश्मों पर काम कर रहा था और यह ठंडे बस्ते में चला गया। साल 2022 में हमने इस जीवाश्म का दोबारा परीक्षण शुरू किया। शुरुआत में इसके आकार के कारण मुझे लगा कि यह मगरमच्छ का है। लेकिन फिर हमें एहसास हुआ कि यह एक सांप है और यह अपनी प्रजाति में सबसे बड़ा निकला और संभवतः टाइटनोबोआ जैसा निकला।

वैज्ञानिकों का दावा है कि अन्य भारतीय और उत्तरी अफ्रीकी मैडट्सोइड्स (Madtsoiidae) के साथ इसके संबंध की तुलना करने पर अब पता चलता है कि ‘वासुकी’ विलुप्त हो चुका है और जो कभी भारत में उत्पन्न हुआ था। बाजपेयी ने कहा, ‘इस खोज से हम यह दिखाने में सक्षम हुए हैं कि हमारे पास भारत में कुछ सबसे उल्लेखनीय सांपों के साथ-साथ अन्य प्रजातियां भी हैं।’ गौरतलब है कि वाजपेयी ने पिछले साल जैसलमेर में अपने साथी शोधकर्ताओं के साथ मिलकर पौधे खाने वाले एक डायनासोर का जीवाश्म भी खोज निकाला था जो करीब 167 मिलियन (16.7 करोड़) साल पुराना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा
Exit mobile version