Friday, October 10, 2025
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वाराणसी पहुंचे अखिलेश यादव ने वक्फ बिल, महाकुंभ और मणिपुर को लेकर भाजपा सरकार को घेरा

वाराणसी: समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक लाने का उद्देश्य जनता का ध्यान इस साल के ‘निराशाजनक और हताशाजनक’ बजट से भटकाना है।

अखिलेश यादव शुक्रवार को अपने एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा, “बजट में नौकरियों की कोई व्यवस्था नहीं की गई, किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई और व्यापार को बढ़ावा नहीं दिया गया… यह बजट पूरी तरह निराशाजनक और हताशाजनक है।”

सपा प्रमुख ने सरकार पर जनता को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा, “सरकार ने जानबूझकर ऐसा विधेयक लाया है ताकि लोगों का ध्यान वास्तविक मुद्दों से हटाया जा सके।”

संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पर हंगामा

गुरुवार को संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट पेश की गई, जिस पर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया।

राज्यसभा में बीजेपी सांसद मेधा विश्राम कुलकर्णी ने इस रिपोर्ट को पेश किया और पैनल के सामने प्रस्तुत साक्ष्यों की एक प्रति भी सदन में रखी। लोकसभा में JPC के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने रिपोर्ट पेश की, जिसके दौरान विपक्षी दलों ने विरोध जताया।

विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि उनके द्वारा प्रस्तुत असहमति नोटों को समिति की रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। हालांकि, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने इन आरोपों को खारिज कर दिया।

कुंभ को लेकर सरकार पारदर्शिता नहीं बरत रहीः अखिलेश

समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने कुंभ मेले को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह आयोजन केवल देश और दुनिया को दिखाने के लिए किया जा रहा है, जबकि इसके दौरान हुई भगदड़ और उसमें जान गंवाने वाले लोगों की वास्तविक संख्या को छिपाया जा रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कुंभ के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने की बात तो कर रही है, लेकिन इस धनराशि का सही उपयोग कहां हुआ और तैयारियों की वास्तविक स्थिति क्या थी, इस पर पारदर्शिता नहीं बरती जा रही।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि यदि कुंभ में बुनियादी सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होता, तो लोगों को असुविधाओं का सामना नहीं करना पड़ता और भगदड़ जैसी घटनाओं को रोका जा सकता था।

उन्होंने सरकार पर आंकड़ों को लेकर गुमराह करने का भी आरोप लगाया और कहा कि प्रशासन 50 करोड़ नहीं, बल्कि 60 करोड़ लोगों के आने का दावा कर रहा है, लेकिन सही आंकड़े पेश नहीं किए जा रहे हैं।

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन पर अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया

जब मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने को लेकर अखिलेश यादव से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था।”

बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने गुरुवार को राज्यपाल की रिपोर्ट के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा राज्य में लगभग दो वर्षों से जारी हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के बीच आया।

राष्ट्रपति शासन अधिकतम छह महीने तक रह सकता है, जिसे संसद की मंजूरी की जरूरत होगी। इस दौरान केंद्र सरकार सीधे राज्य का प्रशासन संभालेगी और स्थिति सामान्य होने पर नए विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं।

मणिपुर में अशांति का मुख्य कारण बहुसंख्यक मेइती समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी-जोमी जनजातियों के बीच टकराव था। यह संघर्ष आर्थिक लाभ, नौकरियों में आरक्षण और भूमि अधिकारों को लेकर शुरू हुआ, जिसने हिंसक रूप ले लिया। अब तक इस हिंसा में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं और करीब 60,000 लोग बेघर हो गए हैं।

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