Friday, October 10, 2025
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14 फरवरी को ही वैलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है?

नई दिल्ली: फरवरी का महीना प्रेम करने वालों के लिए बेहद खास होता है, खासकर तब जब वैलेंटाइन वीक की शुरुआत हो जाती है। 7 फरवरी से 14 फरवरी तक रोज़ डे, प्रपोज़ डे, चॉकलेट डे और टेडी डे जैसे खास दिन मनाए जाते हैं। इस दौरान कई लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं, तो कुछ 14 फरवरी को शादी के बंधन में भी बंध जाते हैं।

हालांकि, वैलेंटाइन डे का महत्व सिर्फ प्रेमी-प्रेमिकाओं तक सीमित नहीं रह गया है। अब इसे दोस्तों, परिवार के सदस्यों और प्रियजनों के साथ भी सेलिब्रेट किया जाता है। लेकिन बहुत से लोग इस दिन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और इसकी असली कहानी से अनजान होते हैं।

वैलेंटाइन डे की परंपरा और इतिहास

संत वैलेंटाइन एक ईसाई पादरी और चिकित्सक थे, जो रोम में रहते थे। उस समय रोमन सम्राट क्लॉडियस द्वितीय (Claudius II) गॉथिकस का शासन था, जो एक शक्तिशाली शासक के रूप में जाना जाता था। क्लॉडियस को विश्वास था कि अविवाहित पुरुष अधिक अच्छे और समर्पित सैनिक बन सकते हैं, क्योंकि शादी करने के बाद वे अपने परिवार के प्रति भावनात्मक रूप से जुड़ जाते हैं और युद्ध के मैदान में पूरी तरह समर्पित नहीं रह पाते।

इसी सोच के चलते, सम्राट क्लॉडियस ने सन् 268-270 ईस्वी के बीच सैनिकों के विवाह पर कड़ा प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि, सेंट वैलेंटाइन इस आदेश को अन्यायपूर्ण मानते थे और वे प्रेम के समर्थक थे। उन्होंने गुप्त रूप से प्रेमी जोड़ों की शादी करवाना शुरू कर दिया, जिससे वे शाही आदेश का उल्लंघन कर रहे थे।

संत वैलेंटाइन की गिरफ्तारी और मृत्यु

जब सम्राट क्लॉडियस द्वितीय को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने संत वैलेंटाइन को गिरफ्तार कर लिया। सन् 269 ईस्वी में उन्हें कैद कर लिया गया और उन्हें शाही आदेशों के विरुद्ध जाने के अपराध में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।

कहा जाता है कि जेल में रहते हुए सेंट वैलेंटाइन ने जेलर की बेटी से मित्रता कर ली, जो उनसे मिलने आती थी। उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले उसे एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने लिखा “तुम्हारा वैलेंटाइन” (From Your Valentine) – और यही वाक्य आज वैलेंटाइन डे का प्रतीक बन गया।
अंततः 14 फरवरी 269 ईस्वी को उन्हें रोम में फाँसी दे दी गई। कुछ कथाओं के अनुसार, उन्हें यातनाएँ दी गईं और फिर सिर कलम कर दिया गया। उनकी शहादत को प्रेम और बलिदान का प्रतीक माना गया और वर्षों बाद, उनके सम्मान में 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाने लगा।

संत वैलेंटाइन की मृत्यु के कुछ शताब्दियों बाद, सन् 496 ईस्वी में पोप गेलैसियस प्रथम (Pope Gelasius I) ने 14 फरवरी को सेंट वैलेंटाइन दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन धीरे-धीरे प्रेम और समर्पण का प्रतीक बन गया और दुनिया भर में इसे मनाने की परंपरा शुरू हो गई।

वैलेंटाइन कार्ड में क्यूपिड का महत्व

वैलेंटाइन डे के खास मौके पर प्रेमी जोड़े एक-दूसरे को प्रेम संदेश देने के लिए वैलेंटाइन कार्ड का आदान-प्रदान करते हैं। ये कार्ड कई प्रकार के होते हैं, लेकिन अधिकतर कार्ड पर एक धनुष और तीर लिए क्यूपिड की तस्वीर बनी होती है।
क्यूपिड की यह छवि प्राचीन काल से चली आ रही है और इसकी जड़ें लगभग 700 ईसा पूर्व तक जाती हैं। यह यूनानी पौराणिक कथाओं में प्रेम के देवता इरोस से जुड़ी हुई है। रोमन संस्कृति में क्यूपिड (लैटिन: Cupidus) को प्रेम और आकर्षण का देवता माना जाता है, जो भारतीय पौराणिक कथाओं के कामदेव के समान हैं।

वैलेंटाइन डे और लव लेटर

वैलेंटाइन डे पर प्रेम पत्र भेजना एक पुरानी परंपरा है, जो वर्षों से प्रेमियों के बीच लोकप्रिय रही है। कहा जाता है कि प्रसिद्ध नाटककार विलियम शेक्सपीयर ने प्रेम पत्र लिखने की यह परंपरा शुरू की थी। यह माना जाता है कि उन्होंने पहला पत्र जूलियट के नाम लिखा था, जिससे वैलेंटाइन डे पर प्रेम पत्र भेजने की प्रथा शुरू हुई।

यह परंपरा समय के साथ और लोकप्रिय होती गई और 2010 में आई फिल्म Letters to Juliet भी इसी विचार से प्रेरित थी। दिलचस्प बात यह है कि “वैलेंटाइन” केवल एक दिन का नाम ही नहीं, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका में एरिज़ोना, नेब्रास्का, टेक्सास और वर्जीनिया जैसे राज्यों में कई स्थानों का नाम भी है।

वैलेंटाइन डे आज सिर्फ एक दिन का उत्सव नहीं, बल्कि प्रेम की भावनाओं को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण अवसर बन चुका है, जिसे दुनिया भर में मनाया जाता है। 

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