Friday, October 10, 2025
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उत्तरकाशी में बादल फटने से मची तबाही, बह गया गांव; 4 लोगों की मौत

देहरादूनः उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के हरसिल क्षेत्र में बादल फटने से धराली गांव बह गया जिसमें कई लोगों के लापता होने की खबर है। उत्तरकाशी पुलिस ने कहा है कि हरसिल क्षेत्र में बढ़ते जल स्तर के चलते धराली में नुकसान की खबरों के कारण पुलिस, एसडीआरएफ, सेना और अन्य आपदा प्रतिक्रिया बल घटना स्थल पर राहत और बचाव कार्य के लिए पहुंचे हैं। 

बादल फटने के बाद भारी जल स्तर के भयावह वीडियो सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं जिसमें देखा जा सकता है कि बाढ़ के कारण घर बहते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस घटना में अब तक चार लोगों की मौत हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि घटनास्थल पर आईटीबीपी, एनडीआरएफ की टीमें रवाना हो गई हैं। 

उत्तराखंड पुलिस ने क्या कहा?

उत्तराखंड पुलिस ने भी कहा है कि इमरजेंसी सेवा अधिकारी और टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। वहीं, भारतीय मौसम विभाग ने मंगलवार को उत्तराखंड के कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा का अनुमान लगाया है। 

समाचार एजेंसी पीटीआई ने ग्रामीण युवक राजेश पंवार के हवाले से लिखा कि मलबे के नीचे 10-12 लोग दबे हो सकते हैं। युवक ने आगे बताया कि करीब 20-25 होटल और होमस्टे पानी में बह गए होंगे।

उत्तराखंड में इस बार मानसून में हुई बारिश ने कहर बरपाया है। इस कारण से उफनती नदियों में जलस्तर का तेज बहाव है। हल्द्वानी में 4 अगस्त को भाखड़ा नदी की तेज धारा में एक युवक बह गया। वहीं, 3 अगस्त को भुजियाघाट के पास भी उफनती नदी में दो लोग बह गए।

राज्य आपातकालीन अभियान केंद्र ने कहा कि रात को आए भूस्खलन में रुद्रप्रयाग पहाड़ी में गिरे मलबे और पत्थरों से दो दुकानें दब गईं। 

सीएम धामी ने क्या निर्देश दिए थे?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को जिलाधिकारियों को निर्देश दिया था कि जमीनी स्तर पर सभी टीमों के साथ बने रहें।

सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि यदि भारी बारिश के चलते सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं तो इन्हें फिर से सुचारु रूप से चलाने के लिए जल्द से जल्द कार्य किए जाने चाहिए। 

उन्होंने आगे कहा था कि पीने के पानी और बिजली की लाइनों में क्षति पहुंचने से रोकने के लिए व्यवस्था की जानी चाहिए।

सीएम धामी ने निर्देश दिया था कि जलभराव जैसी समस्याओं से निपटने के लिए सभी तैयारियों और वैकल्पिक व्यवस्थाएं तैयार की जानी चाहिए।

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