Friday, October 10, 2025
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उत्तराखंड में जोशीमठ का नाम बदलकर ज्योतिर्मठ किया गया, कोसियाकुटोली अब होगा कैंची धाम

देहरादून: केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के दो तहसीलों के नाम बदलने के राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। एक आधिकारिक बयान में इस बारे में जानकारी बुधवार को दी गई। इसके अनुसार अब चमोली जिले में जोशीमठ तहसील का नाम बदलकर ज्योतिर्मठ और नैनीताल जिले में कोसियाकुटोली तहसील का नाम परगना श्री कैंची धाम किया जाएगा। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले साल नाम बदलने की घोषणा की थी। कई स्थानीय निवासियों की लंबे समय से नाम बदलने की मांग थी। इन लोगों ने जोशीमठ के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व का हवाला देते हुए इस मुद्दे को सीएम के सामने उठाया था।

क्या है नए नामों का इतिहास?

ऐसा माना जाता है कि जोशीमठ क्षेत्र को मूल रूप से ज्योतिर्मठ कहा जाता था। कहा जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य 8वीं शताब्दी में अमर कल्प वृक्ष के नीचे तपस्या करने के लिए यहां आए थे और दिव्य ज्ञान ज्योति प्राप्त किया था। इसके बाद से इसे ज्योतिर्मठ कहा जाने लगा। हालांकि, समय के साथ यह ज्योतिर्मठ से जोशीमठ के रूप में लोकप्रिय हो गया था। इस जगह को बदरीनाथ धाम का प्रवेश द्वार भी माना जाता है।

राज्य सरकार के एक बयान के अनुसार बाबा नीम करोरी महाराज के आश्रम के नाम पर नैनीताल में कोसियाकुटोली तहसील को अब परगना श्री कैंची धाम तहसील के रूप में जाना जाएगा। बयान में कहा गया है कि स्थानीय निवासियों और बाबा नीम करोरी महाराज के भक्तों ने सीएम धामी के प्रति आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले साल 15 जून को कैंची धाम मंदिर के स्थापना दिवस समारोह के दौरान कोसियाकुटोली तहसील का नाम बदलकर कैंची धाम करने का प्रस्ताव रखा था।

कैंची धाम को मानसखंड मंदिर माला मिशन में भी शामिल किया गया है। दरअसल, दुनियाभर में बाबा नीब करोरी महाराज के प्रति हजारों लोग गहरी आस्था रखते हैं। यही वजह भी है कि हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए कैंचीधाम पहुंचते हैं।

मानसखंड मंदिर माला मिशन क्या है?

दरअसल, देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र को केदारखंड तो कुमाऊं को मानसखंड के तौर पर जाना जाता है। केदारखंड में चार पवित्र धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, केदारनाथ हैं। इन सबकी कनेक्टिविटी बेहतर करने के लिए कई चरण में काम हुए हैं। एक तरह से इन परियोजनाओं से गढ़वाल क्षेत्र की सूरत बदली है। कुमाऊं इस मामले में पीछे है। ऐसे में इसे भी गढ़वाल की तरह आगे बढ़ाने के नजरिये से मानसखंड मंदिर माला योजना शुरू की गई है। इसके लिए इस क्षेत्र में भी सड़कों और हाईवे का जाल बिछाया जा रहा है। राज्य सरकार की इस योजना में केंद्र सरकार की भी अहम भागीदारी है।

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