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शादी, तलाक और लिव-इन; UCC पर हाई कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब

देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट में राज्य सरकार के जरिए लागू किए गए यूनिफॉर्म सिविल कोड 2025 क चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है और अब राज्य सरकार से इस मामले में 6 हफ्तों के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है। इस याचिका के तहत खास तौर पर लिव इन रिलेशनशिप के प्रावधानों को चुनौती दी गई है। इस जनहित याचिका को बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी के भाई और उनके साथी ने दाखिल की है।

बता दें कि 27 जनवरी को ही उत्तराखंड सरकार ने UCC को लागू किया था। यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। उत्तराखंड यूसीसी में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, लिव-इन के लिए कानून हैं। यह देश के बाकी राज्यों से अलग है।यूसीसी लागू होने के बाद अब उत्तराखंड में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कानून प्रभावी नहीं होगा।

हाई कोर्ट में यूसीसी को चुनौती

यूसीसी के प्रावधानों को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को नैनीताल हाइकोर्ट में सुनवाई हुई। मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सुनवाई कर राज्य सरकार और मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से अगले 6 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर याचिका में मुख्य रूप से लिव इन रिलेशनशिप के प्रावधानों को चुनौती दी गई है। इसके साथ ही मुस्लिम, पारसी आदि की वैवाहिक व्यवस्था की अनदेखी और यूसीसी के अन्य प्रावधानों को चुनौती दी गई है।

लिव-इन रिलेशनशिप पर भी नियम 

नए नियम के मुताबिक शादियों के अलावा, लिव-इन रिलेशनशिप्स (महिला-पुरुष के बिना शादी के एक ही छत के नीचे रहने) का भी रजिस्ट्रेशन एक महीने के भीतर करवाना होगा। इसके लिए लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, क्योंकि यूसीसी के पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकेगा। रजिस्ट्रेशन न करवाने या गलत जानकारी देने पर तीन महीने की जेल, 25 हजार रुपये जुर्माना, या दोनों सजा हो सकती है।

लिव-इन रिलेशनशिप को खत्म करने के लिए, एक या दोनों साथी ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं/ यदि केवल एक साथी आवेदन करता है, तो रजिस्ट्रार दूसरे साथी द्वारा पुष्टि करने के बाद ही लिव-इन रिलेशनशिप को समाप्त करने का फैसला करेगा। यदि लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान महिला गर्भवती हो जाती है, तो बच्चे के जन्म के 30 दिन के अंदर इसकी जानकारी रजिस्ट्रार को अनिवार्य रूप से देनी होगी। ऐसे बच्चों को भी पूरी तरह से अधिकार प्राप्त होंगे।

UCC में तलाक पर भी नियम 

इसके अलावा, पति की मौत या फिर तलाक के बाद होने वाली इद्दत पर रोक लगा दी गई है। तीन तलाक को बैन कर दिया गया है, पॉलीगैमी यानी बहु विवाह पर रोक लग गई है और साथ ही प्रॉप्रटी में सभी बच्चों का बराबर का अधिकार का नियम है। इससे पहले मुस्लिम समुदाय में बेटियों को भाई के हिस्से का आधा हिस्सा दिया जाता रहा है।

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