अमेरिका ने उन मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया है जिनमें कहा गया था कि हालिया सैन्य अनुबंध के तहत पाकिस्तान को नई उन्नत हवा से हवा में मार करने वाली AIM-120 एडवांस्ड मीडियम रेंज एयर-टू-एयर मिसाइलें (AMRAAM) मिलेंगी।
शुक्रवार को अमेरिकी दूतावास ने स्पष्ट किया कि 30 सितंबर को घोषित अनुबंध संशोधन किसी नई मिसाइल आपूर्ति से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह केवल पुराने समझौतों के रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की सप्लाई के लिए है। अमेरिका दूतावास ने साफतौर पर कहा कि इसमें नई मिसाइलों की कोई डिलीवरी शामिल नहीं है।
दूतावास ने कहा, “कुछ मीडिया रिपोर्टें गलत हैं। इस अनुबंध में पाकिस्तान को नई AMRAAM मिसाइलें देने का कोई प्रावधान नहीं है।” बयान में यह भी कहा गया कि इस अनुबंध के तहत कोई तकनीकी उन्नयन या पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है।
दरअसल इससे पहले ऐसी खबरें थीं कि पाकिस्तान को अमेरिका से AIM-120 AMRAAM मिसाइलें मिलने वाली हैं। ये दावे युद्ध विभाग की एक प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित थे, जिसमें पाकिस्तान को एक हथियार अनुबंध के तहत मिसाइल प्राप्त करने वाले देशों की सूची में शामिल किया गया था। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने 30 सितंबर की अधिसूचना को नई मिसाइल डील के रूप में रिपोर्ट किया। रिपोर्टों में यह भी कहा गया था कि यह अनुबंध 2030 तक पूरा होने की उम्मीद है।
AMRAAM मिसाइलें पाकिस्तान वायु सेना की F-16 लड़ाकू जेट में उपयोग की जाती हैं। पाकिस्तान ने 2007 में करीब 700 AMRAAM मिसाइलें खरीदी थीं, जिनका इस्तेमाल उसने अपने F-16 लड़ाकू विमानों में किया था। पाकिस्तानी मीडिया आउटलेट ‘द डॉन’ के अनुसार, 2019 में भारत की बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद हुई हवाई झड़पों के दौरान इन मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया था।
गौरतलब है कि फरवरी 2019 में, भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर को निशाना बनाते हुए एक खुफिया-आधारित ऑपरेशन चलाया था, जिसमें बड़ी संख्या में आतंकवादी, प्रशिक्षक और कमांडर मारे गए थे जो आत्मघाती मिशन की तैयारी कर रहे थे।
पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के बीच हुई बैठकों के बाद रक्षा संबंधों में सुधार की चर्चा तेज हो गई थी। इसके बाद यह खबर सामने आई कि अमेरिका पाकिस्तान को नई मिसाइलें दे रहा है। लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि ऐसा नहीं है।
अमेरिकी दूतावास के साफ कहा है कि पाकिस्तान के लिए यह अनुबंध केवल उसके मौजूदा मिसाइल सिस्टम को चालू रखने के लिए जरूरी समर्थन से संबंधित है। अमेरिका ने अब स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान का नाम इस सूची में सिर्फ रखरखाव सेवाओं के लिए जोड़ा गया था, न कि नई मिसाइल आपूर्ति के लिए