Friday, October 10, 2025
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बदली-बदली तस्वीर! यूक्रेन जंग पर UN में वोटिंग…रूस का साथ देता नजर आया अमेरिका

न्यूयॉर्क: रूस और यूक्रेन के बीच जंग के तीन साल हो चुके हैं और ये अभी भी जारी है। इस बीच पहली बार अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के एक मसौदा प्रस्ताव को रोकने के लिए रूस के पक्ष में मतदान किया। इस प्रस्ताव में यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के ‘तनाव को कम करने, शत्रुता को शीघ्र समाप्त करने और शांतिपूर्ण समाधान’ का आह्वान किया गया था। यूरोप समर्थित इस प्रस्ताव में रूस को कदम पीछे खींचने के लिए कहा गया था।

हालांकि, नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले अमेरिका ने यूरोप और यूक्रेन के खिलाफ जाते हुए प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया। बहरहाल, प्रस्ताव पर यूरोपीय और जी7 (अमेरिका को छोड़कर) द्वारा पक्ष में मतदान किया गया और यह पारित भी हुआ।

यूक्रेन जंग पर पहली बार अमेरिका का अलग स्टैंड

चीन और भारत ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। 93 देशों, जिनमें जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे प्रमुख यूरोपीय देश और जी7 (अमेरिका को छोड़कर) शामिल हैं, इन सभी ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। दूसरी ओर रूस, अमेरिका, इजराइल और हंगरी सहित 18 ने विरोध में मतदान किया। 

रूस के खिलाफ यह संख्या पिछले वोटों से कम है, जिसमें 140 से अधिक देशों ने उसकी आक्रामकता की निंदा की थी। भारत, चीन और ब्राजील सहित 65 ने इसमें भाग नहीं लिया।

गौरतलब है कि अब तक रूस-यूक्रेन युद्ध के पिछले तीन वर्षों में अमेरिका ने हमेशा यूरोपीय देशों के साथ मतदान किया था। ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका के स्टैंड में यह बदलाव मौजूदा स्थिति में बड़े संकेत दे रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया बयानों में कई बार यह साफ किया है कि वे यूक्रेन पर दबाव बनाने जा रहे हैं। ट्रंप ने हाल में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलदिमीर जेलेंस्की को ‘तानाशाह’ तक बता दिया था।

साथ ही दूसरी ओर यूक्रेन युद्ध के बाद से पहली बार अमेरिका और रूस के बीच उच्च स्तरीय बातचीत सऊदी अरब में हुई थी।

किन देशों ने किसके लिए किया वोट

भारत संयुक्त राष्ट्र के उन 65 सदस्य देशों में शामिल था, जो इस प्रस्ताव पर वोटिंग के समय मौजूद नहीं रहा। ब्राजील, चीन, दक्षिण अफ्रीका जैसे ब्रिक्स देशों ने भी इसमें हिस्सा नहीं लिया। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ईरान, इराक, ओमान, कुवैत, सीरिया, इथियोपिया, अर्जेंटीना भी अनुपस्थित रहे।

भारत के पड़ोसियों में, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका ने भी इसमें भाग नहीं लिया। जबकि भूटान, नेपाल, मालदीव, म्यांमार ने 93 में यूरोपीय देशों के पक्ष में मतदान किया।

पक्ष में मतदान करने वालों में ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, स्पेन, पोलैंड, इंडोनेशिया, कंबोडिया, कनाडा, मिस्र, तुर्की और जाहिर तौर पर यूक्रेन शामिल रहा।

मसौदा प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करने वाले 18 देशों में रूस, अमेरिका, उत्तर कोरिया, बेलारूस, हंगरी, इजराइल, हैती, बुर्किना फासो, बुरुंडी, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, माली, मार्शल द्वीप, निकारागुआ, नाइजीरिया, सूडान शामिल रहे।

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