नई दिल्लीः राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और अन्य व्यापारिक साझेदार देशों पर लगाए गए ट्रेड टैरिफ अमेरिका के लिए ही नुकसानदेह साबित होने वाले हैं। यह दावा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट में किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत पर लगाए गए ये कड़े शुल्क खुद अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए ‘बूमरैंग’ साबित हो सकते हैं, जिससे वहाँ महंगाई बढ़ेगी और आर्थिक विकास की गति धीमी हो जाएगी।
एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, इन टैरिफ से अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 40 से 50 आधार अंकों (0.4-0.5 प्रतिशत) की कमी आ सकती है। इसके अलावा, आयात लागत बढ़ने और डॉलर के कमजोर होने से वहाँ महंगाई का दबाव भी बढ़ेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2026 तक अमेरिका में महंगाई फेडरल रिजर्व के 2 प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक बनी रह सकती है। फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने हाल ही में इस बात को स्वीकार किया था कि ऊँचे अमेरिकी टैरिफ का कीमतों पर पड़ने वाला असर अब साफ-साफ दिखाई देने लगा है। हम बढ़ती कीमतों और कमजोर रोजगार बाजार में जोखिमों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
‘अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर दिखने लगा टैरिफ का असर’
एसबीआई की रिपोर्ट में बताया गया है कि टैरिफ आयात पर निर्भर क्षेत्रों- इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है। इसमें बताया गया है कि जुलाई में अमेरिका में थोक कीमतें करीब 1 फीसदी बढ़ी हैं, जो तीन साल में सबसे तेज वृद्धि है। वहीं, सेवाओं, प्रोसेस्ड गुड्स और टैरिफ से प्रभावित आयातित सामानों जैसे फर्नीचर और कपड़ों की कीमतों में भारी उछाल आया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक टैरिफ को वापस नहीं लिया जाता, तब तक अमेरिकी परिवारों के बजट पर दबाव बढ़ता रहेगा।
एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगर ये 50 फीसदी टैरिफ भारत से अमेरिका जाने वाले सभी सामानों पर लागू होते हैं, तो भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) घाटे में बदल सकता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि “व्यापार वार्ता से विश्वास बहाल होगा और अमेरिका को होने वाले निर्यात में सुधार आएगा।”
कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित
अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ बुधवार से लागू हो गए हैं। इसे मिलाकर भारतीय निर्यात पर यूएस टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है। अमेरिका ने भारत के करीब 45 अरब डॉलर के निर्यात पर ये शुल्क लगाए हैं। इसमें पहले से लागू 25 फीसदी के टैरिफ के ऊपर, रूस से तेल खरीद के लिए अतिरिक्त 25 फीसदी का शुल्क लगाया दिया गया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि नए टैरिफ का सबसे बड़ा असर भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों, जैसे कि कपड़ा उद्योग, रत्न और आभूषण पर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका में इन दोनों क्षेत्रों का सबसे बड़ा बाजार है। कपड़ा निर्यात में, भारत ने हाल के वर्षों में चीन की हिस्सेदारी में गिरावट का फायदा उठाया था, लेकिन अब इस पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। इसके अलावा, श्रीमती (झींगा मछली) जैसे समुद्री खाद्य निर्यातकों को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
बता दें कि जहाँ भारतीय सामानों पर अब 50 फीसदी का सबसे कड़ा टैरिफ लगाया गया है, वहीं चीन के उत्पादों पर 30 फीसदी, वियतनाम पर 20 फीसदी, इंडोनेशिया पर 19 फीसदी और जापान पर 15 फीसदी का शुल्क लगता है। कुछ भारतीय उत्पाद, जैसे दवाएं और इलेक्ट्रॉनिक्स को फिलहाल इन टैरिफ से छूट मिली हुई है।