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तेलंगाना सरकार ने अब सभी बोर्डों के स्कूलों में तेलुगु भाषा को किया अनिवार्य

हैदराबादः तेलंगाना सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शैक्षणिक सत्र 2025-26 से कक्षा 1 से 10 तक के सभी छात्रों के लिए तेलुगु भाषा को अनिवार्य विषय बनाने की घोषणा की है। यह नियम CBSE, ICSE, IB सहित सभी बोर्डों के स्कूलों पर लागू होगा।

यह फैसला उस समय आया है जब केंद्र सरकार की 2020 में लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लेकर लगातार बहस जारी है। खासतौर पर तमिलनाडु सरकार ने इस नीति की आलोचना करते हुए इसे “हिंदी थोपने” का प्रयास बताया है।

हिंदी-तमिल विवाद के बीच आया यह फैसला

मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना (विद्यालयों में तेलुगु की अनिवार्य शिक्षा और शिक्षण) अधिनियम को पूरी तरह लागू करने का निर्णय लिया है, जिसे पहली बार 2018 में पेश किया गया था। इस कानून को पूर्ववर्ती भारत राष्ट्र समिति (BRS) सरकार ने पारित किया था, लेकिन विभिन्न चुनौतियों के कारण इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका।

इस बार प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान सरकार ने स्कूल प्रबंधन के साथ बैठकें कीं और तय किया कि आगामी शैक्षणिक सत्र से CBSE, ICSE और अन्य बोर्ड के कक्षा 9 और 10 के छात्रों के लिए भी तेलुगु एक अनिवार्य विषय होगा।

तेलुगु सीखने के लिए नई पाठ्यपुस्तक ‘वेननेला’

वहीं, सरकार ने गैर-तेलुगु भाषी छात्रों की सुविधा के लिए ‘सिंपल तेलुगु’ पाठ्यपुस्तक ‘वेननेला’ (Vennela) को मंजूरी दी है। यह उन छात्रों के लिए विशेष रूप से मददगार होगी जिनकी मातृभाषा तेलुगु नहीं है या जो अन्य राज्यों से आते हैं। इससे परीक्षा की तैयारी भी आसान होगी।

तेलंगाना में अधिकांश सरकारी स्कूलों में तेलुगु माध्यम में शिक्षा दी जाती है, लेकिन गैर-राज्य बोर्ड वाले निजी स्कूलों में तेलुगु की पढ़ाई बड़े पैमाने पर नहीं हो रही थी। राज्य सरकार का यह कदम युवा पीढ़ी को अपनी मातृभाषा से जोड़ने और तेलुगु भाषा की समृद्ध विरासत को बनाए रखने की दिशा में उठाया गया प्रयास है।

तेलंगाना में भी एक-तिहाई से अधिक स्कूल अंग्रेजी माध्यम के हैं, लेकिन शिक्षाविदों का कहना है कि यह कदम अंग्रेजी से दूरी बनाने के लिए नहीं, बल्कि तेलुगु को और मजबूत करने के लिए उठाया गया है।

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “यह फैसला छात्रों को अंग्रेजी से दूर करने के लिए नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए है कि वे अपनी मातृभाषा को भी अच्छे से पढ़ और लिख सकें।”

 

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