हैदराबाद में जुबली हिल्स उपचुनाव से ठीक पहले मुस्लिम मतदाताओं को साधने की कांग्रेस सरकार की जल्दबाजी भारी पड़ गई। सरकार द्वारा शेखपेट इलाके में मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए जमीन आवंटित करने का फैसला उस समय विवाद में घिर गया जब सेना के अधिकारी मौके पर पहुंचे और जमीन पर रक्षा मंत्रालय का मालिकाना हक बताते हुए काम रुकवा दिया।
दरअसल कांग्रेस ने मुस्लिमों के लिए कब्रिस्तान को लेकर जमीन देने का वादा किया था। राज्य सरकार ने हाल ही में एक सरकारी आदेश (जीओ) जारी कर तेलंगाना वक्फ बोर्ड के माध्यम से ‘गैराबाद मस्जिद’ शेखपेट में 2,500 वर्ग गज जमीन कब्रिस्तान के लिए आवंटित की थी। यह फैसला जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र के बोराबंडा, यूसुफगुड़ा, एर्रागड्डा और शैखपेट इलाकों में रहने वाले मुस्लिम समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने और उपचुनाव में समर्थन हासिल करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा था।
अल्पसंख्यक कल्याण सलाहकार मो. अली शब्बीर ने रविवार को इस आवंटन की घोषणा की थी। इस दौरान तेलंगाना राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद अजमतुल्लाह हुसैनी, मंत्री पोन्नम प्रभाकर और जी विवेक वेंकटस्वामी, टीपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष मोहम्मद अजहरुद्दीन, टीएमआरईआईएस के अध्यक्ष फहीम कुरैशी और कई निगम अध्यक्ष मौजूद थे।
शब्बीर अली ने कहा था कि आवंटित भूमि को कब्रिस्तान के रूप में विकसित किया जाएगा, जिसमें चारदीवारी, चौकीदारों के लिए आवास और स्नान व शवों को गुस्ल व कफन देने जैसी आवश्यक व्यवस्थाएं होंगी। एक स्थानीय सामुदायिक समिति इस स्थल के विकास और रखरखाव की देखरेख करेगी।
जमीन पर सेना ने किया दावा
इस घोषणा के बाद तेलंगाना माइनॉरिटीज रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स सोसाइटी के चेयरमैन फहीम कुरैशी और एआईएमआईएम विधायक कौसर मोहिउद्दीन सहित कई स्थानीय नेता स्थल का निरीक्षण करने पहुंचे।
लेकिन उसी दिन कांग्रेस सरकार के फैसले उसके लिए उलटे पड़ गए। सेना के अधिकारियों की एक टीम मौके पर पहुंची और कहा कि यह जमीन रक्षा विभाग की है और इस मुद्दे के सुलझने तक उनकी अनुमति के बिना इस पर कोई भी गतिविधि नहीं की जा सकती। सेना ने यह भी कहा कि वह जमीन पर अवैध प्रवेश रोकने के लिए जल्द ही बाड़बंदी कराएगी।
इस घटना को लेकर बीआरएस पार्टी के सोशल मीडिया संयोजक वाई सतीश रेड्डी ने कहा कि इससे दो संभावनाएं सामने आती हैं। या तो मुसलमानों के साथ धोखा हुआ, या फिर जुबली हिल्स उपचुनाव से पहले राजनीतिक विवाद खड़ा करने की साजिश रची गई।
उधर, इस घटनाक्रम से स्थानीय मुस्लिम निवासियों में भी नाराजगी फैली है। उन्होंने वक्फ बोर्ड और कांग्रेस नेताओं को बिना समुचित जांच के घोषणा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया। लोगों का कहना है कि इससे समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं और सरकार ने उन्हें चुनाव से पहले केवल वोट बैंक के रूप में देखा है।
स्थानीय निवासियों का यह भी कहना है कि 2,500 वर्ग गज जमीन कब्रिस्तान के लिए बहुत कम है और भविष्य की जरूरतों के लिए अपर्याप्त साबित होगी।
तेलंगाना टुडे के मुताबिक, एर्रागड्डा के सुल्ताननगर निवासी सैयद अब्दुल कादिर ने कहा, “हम जुबली हिल्स क्षेत्र में कब्रिस्तान की मांग कई वर्षों से कर रहे हैं। 2,500 वर्ग गज से क्या होगा? हमें कम से कम दो एकड़ जमीन चाहिए।”
ऐसे ही बोराबंडा के निवासी ने कहा कि हम कई पीढ़ियों से यहीं रहते आए हैं। हमें पास में ही जमीन चाहिए, दूर जाकर दफनाना संभव नहीं है। आसपास सरकारी जमीनें हैं, सरकार वहीं से क्यों नहीं देती?