इस्लामाबाद: पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद समेत लाहौर और कुछ दूसरे शहरों में कट्टपरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक (टीएलपी) समर्थकों और पुलिस के बीच गुरुवार को हुई झड़प के बाद हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। शुक्रवार को भी स्थिति ऐसी ही रही। इस्लामाबाद में व्यापक असर दिखा। सुरक्षा बलों ने राजधानी की ओर जाने वाली प्रमुख सड़कों पर शिपिंग कंटेनरों से बैरिकेडिंग कर दी थी। साथ ही मोबाइल इंटरनेट सेवा भी सुबह ही बंद कर दी गई।
दरअसल, टीएलपी के लाखों समर्थकों ने गाजा में हुई हत्याओं के विरोध में इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास तक मार्च निकालने की कोशिश की थी। ये इस बात से भी नाराज हैं कि पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के गाजा प्लान का समर्थन किया है। लाहौर में गुरुवार पुलिस ने टीएलपी कार्यकर्ताओं के मार्च को रोक दिया था, जिसके बाद हिंसक झड़पें हुईं और इसमें दर्जनों लोग घायल हुए। दो प्रदर्शनकारियों की मौत की भी खबर है।
पाकिस्तानी अखबार द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार लाहौर पुलिस के साथ झड़प के बाद, टीएलपी ने अपने समर्थकों से शुक्रवार को ‘अंतिम फैसले’ के लिए लाहौर में एकत्रित होने का आह्वान किया था। टीएलपी ने फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए यह मार्च बुलाया था।
इस मार्च का निर्धारित स्थान इस्लामाबाद के रेड जोन में स्थित अमेरिकी दूतावास था। यह एक हाई-प्रोफाइल इलाका है जहाँ राजनयिक मिशन और प्रमुख सरकारी संस्थान स्थित हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अधिकारियों ने रेड जोन को सील कर दिया और शहर में आने वाले रास्तों पर कंटेनर रख दिए गए थे।
वहीं गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान दूरसंचार प्राधिकरण (पीटीए) को इस्लामाबाद और रावलपिंडी शहरों में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने का निर्देश दिया था।
किले में तब्दील इस्लामाबाद
टीएलपी ने गुरुवार की घटना के बाद इस्लामाबाद तक के लिए शुक्रवार को फाइनल मार्च की घोषणा की थी। ऐसे में लाखों प्रदर्शनकारी अमेरिकी दूतावास की ओर जाने वाली सड़क और इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में डेरा डाले हुए थे। ऐसे में इस्लामाबाद के रेड जोन को एक तरह से किले में तब्दील कर दिया गया था और कई होटलों को खाली करा लिया गया था।
इस्लामाबाद में सुरक्षा उपाय लाहौर में हुई हिंसक झड़पों के बाद किए गए, जहाँ टीएलपी ने दावा किया था कि उसके कम से कम दो सदस्य मारे गए। हालाँकि, द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस सूत्रों ने बताया कि केवल एक की मौत हुई है।
पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास ने जारी की एडवायजरी
इस बीच इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास और लाहौर, कराची तथा पेशावर में मौजूद अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों ने अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा सलाह जारी की है। इसमें अमेरिकी नागरिकों को ‘पूरे पाकिस्तान में चल रहे विरोध प्रदर्शनों’ को देखते हुए ‘भीड़भाड़ से बचने और अपने आस-पास के हालात को लेकर सचेत रहने’ की चेतावनी दी गई है।
इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास ने X पर कहा, ‘इन विरोध प्रदर्शनों के कारण आस-पास की सड़कें बंद या अवरुद्ध होने के कारण यातायात में देरी/रास्ता बदलने की समस्या हो सकती है। विरोध प्रदर्शन कब तक चलेंगे, ये अभी मालूम नहीं है। हम अमेरिकी नागरिकों को सलाह देते हैं कि वे बड़ी भीड़भाड़ से बचें और अपने आस-पास के हालात को लेकर सचेत रहें।’
टीएलपी की सक्रियता से पाकिस्तानी सरकार सकते में
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सरकार को डर है कि टीएलपी का प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं रहेगा। पाकिस्तान के गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी ने टीएलपी पर गाजा संघर्ष का फायदा उठाकर घरेलू अशांति भड़काने का भी आरोप लगाया है।
गुरुवार को संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए चौधरी ने दावा किया कि गिरफ्तार किए गए कई प्रदर्शनकारियों के पास डंडे, केमिकल, कांच के कंचे, आंसू गैस के गोले और यहाँ तक कि कई हथियार भी पाए गए, जिससे उनके हिंसक इरादे का पता चलता है।
डॉन के अनुसार चौधरी ने कहा, ‘क्या टीएलपी किसी विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहा था या हिंसा की साजिश रच रहा था?’
उन्होंने यह भी कहा कि टीएलपी ने न तो अनुमति मांगी और न ही किसी कानून के पालन का आश्वासन दिया है। उन्होंने समूह को ‘भाड़े के सैनिकों जैसा’ बताया और उन पर सोशल मीडिया पर हताहतों के बारे में झूठे दावे करके जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया।
डॉन के अनुसार, गुरुवार की हिंसा के दौरान दुकानों और अन्य व्यवसाय वाले केंद्रों में तोड़फोड़ की गई और वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया। पुलिस टीएलपी प्रमुख साद रिजवी सहित सैकड़ों टीएलपी सदस्यों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज कर रही है।
क्या है टीएलपी?
टीएलपी एक कट्टरपंथी राजनीतिक दल है जिसकी स्थापना बरेलवी मौलवी खादिम हुसैन रिजवी ने 2015 में की थी। लाखों सदस्यों वाला यह संगठन पाकिस्तान के ईशनिंदा विरोधी कानूनों में किसी भी बदलाव के विरोध में बार-बार सड़कों पर उतरता रहा है। फिलिस्तीन पर अमेरिका, इजराइल और पश्चिमी देशों के रुख के खिलाफ भी इसके प्रदर्शन चर्चा में रहे हैं।
हुसैन रिजवी पहली बार 2010 में तब सुर्खियों में आया, जब उसने पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर द्वारा सख्त ईशनिंदा कानूनों में सुधार की मांग वाली टिप्पणी के विरोध में अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। खादिम हुसैन रिजवी का 2020 में निधन हो गया। उसकी मृत्यु के बाद, उसके बेटे साद रिजवी ने उस संगठन का नेतृत्व करना शुरू किया और कई मौकों पर यह संगठन पाकिस्तान में हिंसा करता आया है।
पाकिस्तान के 2018 के चुनावों के दौरान इस्लाम का अपमान करने पर मौत की सजा देने वाले ईशनिंदा कानून के बचाव में समर्थन जुटाकर यह अति-दक्षिणपंथी पार्टी प्रमुखता से उभरी। टीएलपी तब 22 लाख से ज्यादा वोट हासिल करके पाँचवीं सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।
यह समूह 2020-2021 में फ्रांस में प्रकाशित कथित ईशनिंदा वाले कार्टूनों को लेकर फ्रांसीसी राजदूत के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के भी पीछे था। टीएलपी के हजारों समर्थकों ने 2021 में अपने नेता साद रिजवी की रिहाई के लिए दबाव बनाने के लिए लाहौर से इस्लामाबाद की ओर एक ‘लंबा मार्च’ भी निकाला था। रिजवी को पिछले साल समर्थकों को फ्रांस विरोधी प्रदर्शन करने के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
टीएलपी को 2021 में एक प्रतिबंधित संगठन घोषित किया गया था, जब इस समूह ने पाकिस्तान सरकार पर फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने के लिए हिंसक प्रदर्शन किए थे। कथित तौर पर पर्दे के पीछे हुए एक समझौते के बाद, सरकार ने नवंबर 2021 में टीएलपी को औपचारिक रूप से प्रतिबंधित संगठनों की सूची से हटा दिया। सूत्रों के अनुसार तब समूह ने कानून का पालन करने और हिंसा से दूर रहने की बात कही थी।