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अमेरिकियों को नौकरी से निकालने में भेदभाव करने के मामले में जांच के दायरे में भारतीय कंपनी TCS

वाशिंगटनः भारतीय आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज यानी टीसीएस अमेरिकी जांच के दायरे में है। अमेरिकी समान रोजगार अवसर आयोग (ईईओसी) कंपनी पर लगे आरोपों की जांच कर रहा है कि कंपनी ने अमेरिकी कर्मचारियों को उनकी नस्ल, आयु और राष्ट्रीयता को निशाना बनाकर नौकरी से निकाला है। 

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह जांच साल 2023 में आई करीब दो दर्जन से अधिक शिकायतों के आधार पर की जा रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शिकायत करने वाले बहुत से लोग 40 से अधिक उम्र के हैं और गैर-एशियाई पृष्ठभूमि से आते हैं। 

शिकायतकर्ताओं ने क्या आरोप लगाया?

शिकायतकर्ताओं ने कंपनी पर आरोप लगाया कि उन्हें छंटनी के लिए अनुपातहीन तरीके से चुना गया जबकि भारतीय कर्मचारियों को बरकरार रखा गया। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि उन्हें उन भारतीयों को ज्यादा छूट मिली जिनके पास एच-1बी वीजा है। 

हालांकि टीसीएस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। इस बाबत कंपनी के प्रवक्ता ने कहा “टीसीएस पर गैरकानूनी काम करने के आरोप निराधार और भ्रामक हैं। ” 

कंपनी की तरफ से आगे कहा गया “टीसीएस के पास अमेरिका में समान अवसर प्रदान करने वाले नियोक्ता होने का मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड है, जो हमारे संचालन में उच्चतम स्तर की ईमानदारी और मूल्यों को अपनाता है। “

इस संबंध में जांच करने वाली एजेंसी ईईओसी ने नियमों का हवाला देते हुए जांच पर कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यह पता चला है कि जांच पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के कार्यकाल में शुरू हुई थी जो ट्रंप के कार्यकाल में भी जारी है। 

भारतीय आउटसोर्सिंग कंपनियों पर अमेरिकी नागरिकों के साथ भेदभाव करने वाले ऐसे आरोप पहली बार नहीं लगे हैं। 

कॉग्निजैंट पर भी लगे ऐसे आरोप

साल 2020 में ईईओसी ने आउटसोर्सिंग करने वाली एक बड़ी कंपनी कॉग्निजैंट टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस कॉर्प पर गैर-भारतीय कर्मचारियों के साथ भेदभाव करने के आरोप लगाए थे। 

इस मामले में जूरी ने साल 2023 में अपना फैसला सुनाते हुए इन आरोपों को सही माना था। जूरी ने पाया कि लगभग एक दशक में 2 हजार से अधिक अमेरिकी कर्मचारियों के साथ जानबूझकर भेदभाव किया गया। 

हालांकि कॉग्निजैंट ने इन आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि वह मामले में अपील करने की योजना बना रहा है। 

टीसीएस की जांच में भी कुछ इसी तरह का पैटर्न देखने को मिलता है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनकी बर्खास्तगी टीसीएस नेतृत्व की आंतरिक टिप्पणियों से मेल खाती है। शिकायतकर्ताओं का इशारा कंपनी के मानव संसाधन (एचआर) के वैश्विक प्रमुख मिलिंद लक्कड़ की ओर था। लक्कड़ ने एक भारतीय समाचार एजेंसी को बताया कि टीसीएस भारतीय कर्मचारियों को अधिक अवसर पैदा करने के लिए अमेरिकी कार्यबल को घटाकर 70 प्रतिशत से 50 प्रतिशत करने की बात की थी। 

अमेरिकी प्रतिनिधी ने किया था जांच का आग्रह

इस संबंध में अमेरिकी प्रतिनिधि सेठ मौल्टन ने ईईओसी से टीसीएस की औपचारिक जांच करने का आग्रह किया था। मौल्टन ने इस बाबत एक पत्र भी लिखा था जिसमें लिखा था कि टीसीएस की कार्रवाइयों ने अमेरिकियों को प्रभावित करने वाले भेदभाव के पैटर्न या अभ्यास का गठन किया हो सकता है जो ईईओसी के अधिकार क्षेत्र में आता है। 

टीसीएस जैसी कंपनी ने एच-1बी वीजा और एल-1 ए जैसे कार्य वीजा कार्यक्रमों के उपयोग ने बढ़ती जांच को आकर्षित किया है। पिछले साल ब्लूमबर्ग न्यूज की जांच में पाया गया कि कुछ आउटसोर्सिंग कंपनियों ने अपने बड़े विदेशी कर्मचारियों का इस्तेमाल वार्षिक एच-1बी वीजा लॉटरी में बाढ़ लाने के लिए किया है, जिससे छोटे प्रतिस्पर्धी और अमेरिकी नौकरी चाहने वाले प्रभावी रूप से बाहर हो गए हैं।

जनवरी में राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा नियुक्त ईईओसी की कार्यवाहक अध्यक्ष एंड्रिया आर लुकास ने “अमेरिकी श्रमिकों के खिलाफ गैरकानूनी पक्षपात” के बारे में सख्त रुख अपनाने का संकेत दिया है। 

फरवरी में दिए गए एक बयान में उन्होंने प्रवर्तन प्रयासों को बढ़ाने की कसम खाई और कहा कि इस तरह का भेदभाव अमेरिकी श्रम और अमेरिकी आव्रजन नीति की अखंडता दोनों को कमजोर करता है।

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