चेन्नईः तमिलनाडु सरकार ने 13 अक्टूबर, सोमवार को श्रीसन फार्मास्युटिकल कंपनी को बंद करने का आदेश दिया है। यह कंपनी मिलावटी कफ सिरप कोल्ड्रिफ बनाती थी। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सरकार ने इसका विनिर्माण लाइसेंस भी पूरी तरह से रद्द कर दिया है।
सरकार ने इस संबंध में एक बयान भी जारी किया है। इस बयान के मुताबिक, राज्य औषधि नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान कफ सिरप में 48.6 फीसदी डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) नामक विषैला पदार्थ पाया था।
कफ सिरप कोल्ड्रिफ से मध्य प्रदेश में 22 बच्चों की मौत
कफ सिरप कोल्ड्रिफ का संबंध में मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से है। इस सिरप के इस्तेमाल से मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई बच्चों की मौत हो गई। विभाग के अधिकारियों ने अपनी जांच में यह भी पाया कि कंपनी में उचित अच्छे विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) और अच्छी प्रयोगशाला प्रथाओं (जीएलपी) का अभाव था। अधिकारियों ने जांच में 300 से अधिक बड़े उल्लंघन दर्ज किए।
कंपनी के मालिक जी रंगनाथन को हाल ही में मध्य प्रदेश की विशेष जांच दल (SIT) ने गिरफ्तार किया था। इससे पहले आज प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत एक मामले के सिलसिले में श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के परिसरों और कुछ अधिकारियों के आवासों पर छापे मारे।
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राज्य सरकार ने एक विज्ञप्ति में कहा, “श्रीसन फार्मास्युटिकल्स का दवा निर्माण लाइसेंस पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है और कंपनी को बंद कर दिया गया है। तमिलनाडु में अन्य दवा निर्माण इकाइयों का भी विस्तृत निरीक्षण करने के आदेश जारी किए गए हैं। “
ईडी ने की कार्रवाई
इससे पहले मध्य प्रदेश में जहरीले कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से 22 बच्चों की मौत के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को चेन्नई और कांचीपुरम में एक साथ सात ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की गई।
केंद्रीय एजेंसी ने सिरप बनाने वाली कंपनी ‘श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स’ के मालिक जी. रंगनाथन के चेन्नई स्थित कोडंबक्कम आवास, कंपनी के कांचीपुरम स्थित निर्माण संयंत्र और तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अधिकारियों के घरों और कार्यालयों पर छापा मारा।
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तमिलनाडु सरकार ने इस घटना के बाद ड्रग कंट्रोल विभाग के दो अधिकारियों, संयुक्त निदेशक कार्तिकेयन और निदेशक (डीपा) को लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित कर दिया था। जांच में पाया गया कि बीते दो सालों से इन अधिकारियों ने कंपनी के प्लांट का कोई औचक निरीक्षण नहीं किया था।
इसके अलावा, विभाग के कार्यवाहक निदेशक को भी एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा है। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
दोनों एफआईआरों में एक मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत से जुड़ी और दूसरी तमिलनाडु में रिश्वतखोरी से जुड़ी पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध शामिल हैं, जिसके आधार पर ईडी ने प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है।