Thursday, October 9, 2025
Homeभारततालिबान के विदेश मंत्री आमिर मुत्ताकी भारत के दौरे पर, क्या है...

तालिबान के विदेश मंत्री आमिर मुत्ताकी भारत के दौरे पर, क्या है एजेंडा और क्यों है ये अहम?

काबुल पर कब्जा जमाने के बाद से तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से यह पहली मंत्री-स्तरीय भारत यात्रा है। सूत्रों के अनुसार आमिर खान मुत्ताकी अपनी छह दिवसीय भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ व्यापक बातचीत करेंगे।

नई दिल्ली: अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी एक सप्ताह की यात्रा पर नई दिल्ली पहुँच गए है। अगस्त 2021 में काबुल पर कब्जा करने के बाद से तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से यह पहली मंत्री-स्तरीय भारत यात्रा है।

यह यात्रा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तालिबान प्रतिबंध समिति द्वारा दी गई विशेष छूट के बाद हो रही है। परिषद ने मुत्तकी पर लगे यात्रा प्रतिबंध को अस्थायी रूप से हटाकर उनकी यात्रा की अनुमति दी है। इस छूट को 30 सितंबर को मंजूरी दी गई थी।

भारत पहुँचने पर मुत्तकी का विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्वागत किया। जायसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘हम उनके साथ द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए उत्सुक हैं।’

मुत्ताकी विदेश मंत्री एस जयशंकर के निमंत्रण पर भारत आए हैं और उनके 16 अक्टूबर तक भारत में रहने की संभावना है। यह पहली बार नहीं है जब मुत्ताकी ने भारतीय अधिकारियों से बातचीत की है। इस साल मई में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने मुत्ताकी से बात की थी। उन्होंने बताया था मुत्तकी के साथ उनकी ‘अच्छी बातचीत’ हुई। एस जयशंकर ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की मुत्तकी द्वारा की गई निंदा की सराहना भी की थी।

मुत्ताकी का भारत दौरा…क्या है एजेंडे पर?

मुत्ताकी की यह यात्रा तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अपनी तरह की पहली आधिकारिक यात्रा है। साथ ही यह यात्रा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापार वार्ता के लिए मुंबई आने के साथ मेल खाती है।

हालाँकि मुत्ताकी और प्रधानमंत्री मोदी के बीच मुलाकात होगी या नहीं, इसकी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन भारतीय अधिकारी दौरे पर आए विदेश मंत्री के लिए पूरा प्रोटोकॉल दे रहे हैं।

मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि मुत्ताकी अपनी छह दिवसीय भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ व्यापक बातचीत करेंगे। सूत्रों ने ये भी बताया कि मुत्ताकी के कार्यक्रमों में दारुल उलूम देवबंद मदरसा और ताजमहल का दौरा भी शामिल है। अपने प्रवास के दौरान उनके भारत में व्यापारिक समूहों और अफगान समुदाय के सदस्यों से भी मिलने की उम्मीद है।

बता दें कि तालिबानी विदेश मंत्री की यह पहली भारत यात्रा जरूर है लेकिन इसकी तैयारी महीनों से चल रही थी। जनवरी से विदेश सचिव विक्रम मिस्री और वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी जे.पी. सिंह सहित भारतीय अधिकारियों ने मुत्ताकी और अन्य तालिबान नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत की है। अक्सर ये बैठकें दुबई जैसे तटस्थ स्थानों पर हुई हैं। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दुबई में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से मुलाकात की थी।

उस समय बताया गया था कि इस मुलाकात में चर्चा मुख्य रूप से अफगानिस्तान को नई दिल्ली की ओर से जारी मानवीय सहायता, विशेष रूप से स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने और शरणार्थी पुनर्वास का समर्थन करने पर केंद्रित रही थी।

तालिबान से भारत की करीबी…पाकिस्तान के लिए झटका

जानकार इस यात्रा को पाकिस्तान के लिए एक झटके के रूप में भी देख रहे हैं। तालिबान के 2021 में सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने सबसे पहले अपनी खुशी जाहिर करते हुए काबुल पर अपना प्रभाव बनाए रखने की कोशिश की थी। हालांकि, पिछले दो-तीन सालों में यह पाकिस्तान-तालिबान का रिश्ता पटरी से उतरता नजर आ रहा है।

इस साल की शुरुआत में 80,000 से ज्यादा अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने के इस्लामाबाद के फैसले ने तालिबान के साथ उसके संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया, जिससे भारत के लिए कूटनीतिक रास्ता खुला है।
विश्लेषकों का मानना ​​है कि मुत्ताकी की यात्रा काबुल की अपने विदेशी संबंधों में विविधता लाने और पाकिस्तान पर निर्भरता कम करने की इच्छा का भी संकेत है।

वैसे, ये भी गौर करने वाली बात है कि तालिबान भरोसेमंद नहीं रहा है। ऐसे में भारत के लिए तालिबानी मंत्री की यह यात्रा या तालिबान के साथ रिश्तों को बेहतर करने की यह कोशिश एक नाजुक लेकिन अहम रणनीतिक दांव है। इससे नई दिल्ली को अफगानिस्तान में अपने दीर्घकालिक हितों की रक्षा करने, उस क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले आतंकवादी खतरों को रोकने और चीनी व पाकिस्तानी प्रभाव से निपटने में मदद मिल सकती है।

पिछले महीने ही मुत्ताकी को आना था भारत

अफगान विदेश मंत्री पिछले महीने ही नई दिल्ली आने वाले थे। लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रतिबंधों के तहत लगाए गए यात्रा प्रतिबंध के कारण यह यात्रा रद्द कर दी गई थी।

वैसे, भारत ने तालिबान सरकार को अभी तक औपचारिक रूप से मान्यता नहीं दी है। फिर भी जानकार मानते हैं कि यह उच्च-स्तरीय बातचीत नई दिल्ली की अफगान नीति में व्यावहारिक बदलाव को दर्शाती है।

मुत्ताकी पर मूल रूप से 2001 में संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंध लगाए गए थे। इनमें यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति जब्त करना और हथियार प्रतिबंध शामिल थे। हालांकि, तालिबान प्रतिबंध समिति (जिसकी अध्यक्षता इस वर्ष पाकिस्तान कर रहा है, रूस और गयाना उपाध्यक्ष हैं) ने विशेष रूप से इस यात्रा के लिए यात्रा छूट को मंजूरी दी है।

विनीत कुमार
विनीत कुमार
पूर्व में IANS, आज तक, न्यूज नेशन और लोकमत मीडिया जैसी मीडिया संस्थानों लिए काम कर चुके हैं। सेंट जेवियर्स कॉलेज, रांची से मास कम्यूनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन की डिग्री। मीडिया प्रबंधन का डिप्लोमा कोर्स। जिंदगी का साथ निभाते चले जाने और हर फिक्र को धुएं में उड़ाने वाली फिलॉसफी में गहरा भरोसा...
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments

मनोज मोहन on कहानीः याद 
प्रकाश on कहानीः याद 
योगेंद्र आहूजा on कहानीः याद 
प्रज्ञा विश्नोई on कहानीः याद 
डॉ उर्वशी on एक जासूसी कथा