नई दिल्लीः दिवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों को लेकर बड़ा ऐलान किया है। अब दिवाली का जश्न पटाखों के साथ मनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिवाली के दौरान पांच दिनों के पटाखों से प्रतिबंध हटा दिया जाएगा। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ ने शुक्रवार, 10 अक्टूबर को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया और कहा कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध में ढील देने पर फैसला करेगी।
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि “फिलहाल हम दिवाली के दौरान प्रतिबंध हटाने की अनुमति देंगे।” सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश वायु गुणवत्ता और प्रदूषण के स्तर को देखते हुए चिंता के बीच आया है। आमतौर पर दिवाली के आसपास दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। इस दौरान पड़ोसी राज्यों में पराली भी जलाई जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। उन्होंने दिवाली के दौरान पटाखों की बिक्री में ढील देने का अनुरोध किया। इस दौरान उन्होंने तर्क दिया कि बच्चों के उत्सव को सिर्फ दो घंटे तक सीमित नहीं करना चाहिए।
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सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि दिवाली कुछ ही दिनों की बात है। बच्चों को दिवाली धूमधाम से मनाने दीजिए। इस पर अदालत ने कहा कि प्रतिबंध “फिलहाल” के लिए हटा दिया जाएगा। पीठ ने कहा कि दिवाली के दौरान पांच दिनों के लिए परीक्षण के तौर पर इसे अनुमति दी जाएगी। अदालत ने कहा कि हालांकि इसे एक निश्चित समय तक ही रखेंगे।
सरकार ने पटाखों को लेकर क्या कहा?
सरकार ने हालांकि सख्त समय-सीमा का प्रस्ताव रखा है। दिवाली और प्रमुख त्योहारों पर रात 8 से 10 बजे तक और नए साल की पूर्व संध्या पर रात 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक का समय दिया है। इसके साथ ही गुरुपर्व के लिए सुबह और शाम का समय निर्धारित किया गया है। इसके अलावा सरकार ने शादियों और निजी अवसरों के लिए भी पटाखों के इस्तेमाल की बात कही है।
वहीं, एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने पर्यावण को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि झूठे लेबल के तहत “नकली हरित पटाखों” की बिक्री की ओर ध्यान खींचा।
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अदालत ने पूछा कि साल 2018 से 2024 के बीच AQI में कोई सुधार हुआ है। पर्यावरण को लेकर चिंतित कार्यकर्ताओं ने चिंता व्यक्त की और कहा कि हरित पटाखों की नीति से एक्यूआई में कोई सुधार नहीं हुआ है।
उन्होंने यह तर्क भी दिया कि जमीनी स्तर पर हरित पटाखों और नकली पटाखों में भेद करना लगभग असंभव है। हालांकि, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता खराब होने के लिए पंजाब और हरियाणा में पराल को भी बताया है।