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फ्रॉड करने वाला व्यक्ति डॉक्टर बन जाए तो क्या होगा…, नीट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को लगाई कड़ी फटकार, जारी किया नोटिस

नई दिल्लीः नीट परीक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि अगर नीट-यूजी 2024 परीक्षा के आयोजन में किसी की ओर से “0.001 प्रतिशत लापरवाही” भी हुई है, तो उससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने एक नोटिस जारी कर नीट-यूजी 2024 परीक्षा में कथित पेपर लीक और गड़बड़ी से संबंधित मामलों में केंद्र सरकार और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) से जवाब मांगा है।

नीट एग्जाम से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कल्पना कीजिए कि व्यवस्था के साथ धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति डॉक्टर बन जाता है, तो वह समाज के लिए कितना हानिकारक होगा।

अगर धांधली नहीं तो अलग-अलग राज्य में छापेमारी क्यों?

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी ढींगरा ने कहा है कि जो सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है और जो टिप्पणी की गई है, वो एकदम सही है। छात्र कई साल मेहनत करते हैं तब जाकर इस परीक्षा के लिए तैयार हो पाते हैं। परीक्षा में अगर किसी तरह की धांधली की बात सामने आ रही है तो इसकी निष्पक्षता से जांच होनी चाहिए।

ढींगरा ने आगे कहा कि अगर धांधली नहीं होती तो अलग-अलग राज्य में छापेमारी क्यों की जा रही है, नहीं की जाती। साफ जाहिर है कि जब बिहार से कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया, कहीं ना कहीं गड़बड़ी तो हुई है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी भी इसी तरफ इशारा करती है, इस पर जांच होनी चाहिए।

वहीं, एडवोकेट पीएन पुरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से साफ जाहिर होता है कि नीट की परीक्षा में गड़बड़ी हुई है। मेरा मानना है कि छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। इसकी जांच होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर जो संज्ञान लिया है, उसका हम स्वागत करते हैं। जो भी जांच एजेंसी है उसको ठीक से जांच करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में क्या टिप्पणी की?

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और एस.वी.एन. भट्टी की अवकाश पीठ ने एनटीए से कहा, नीट (यूजी) परीक्षा में जरा भी गड़बड़ी पाई गई तो उसे स्वीकार करें। पीठ ने कहा कि यदि नीट परीक्षा के आयोजन में “0.001 प्रतिशत भी लापरवाही” हुई है तो इससे समुचित तरीके से निपटने की जरूरत है और मामले को एडवर्सरियल लिटिगेशन की तरह लेना चाहिए (जिसमें जांच की जिम्मेदारी संबंधित पक्ष पर होती है)।

फ्रॉड करने वाला डॉक्टर बनेगा तो …?

सुप्रीम कोर्ट ने किसी उम्मीदवार के फर्जीवाड़ा कर डॉक्टर बनने के संभावित बुरे परिणामों के बारे में भी चेताया। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि कहीं गलती हुई है तो एनटीए को इसे स्वीकार करना चाहिए और प्रतियोगिता परीक्षाओं में लोगों का विश्वास बनाये रखने के लिए सुधारात्मक उपाय करने चाहिए। इसके जवाब में एनटीए ने कहा कि अदालत के समक्ष समुचित जवाब दाखिल करने से पहले सिर्फ कयासबाजी के आधार पर कोई कठोर राय नहीं बनानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने नीट (यूजी) परीक्षा में विभिन्न अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए दायर याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए एनटीए को दो सप्ताह का समय दिया है। उसने मामले को 8 जुलाई को सुनवाई के लिए निर्धारित दूसरी याचिकाओं के साथ टैग करने का भी आदेश दिया। बिहार पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस यूनिट (ईओयू) ने रविवार को दावा किया था कि दो आरोपियों ने प्रश्न पत्र लीक करने में अपनी भूमिकाओं की बात स्वीकार कर ली है। शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह मामले में सिर्फ एक पक्ष को सुनकर सीबीआई जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था।

–आईएएनएस इनपुट के साथ

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