नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 8 अक्टूबर को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और मध्य प्रदेश सरकार को कथित तौर पर पुलिस हिरासत में हुई 24 वर्षीय युवक की मौत मामले में दो पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी में देरी को लेकर फटकार लगाई है। इसके साथ ही जवाब भी मांगा है।
जस्टिस बी. वी नागरत्ना और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने यह आदेश तब सुनाया जब सीबीआई ने सूचना दी कि अंततः दोनों फरार अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं हुई अधिकारियों की गिरफ्तारी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15 मई के आदेश के बावजूद अधिकारियों को गिरफ्तार नहीं किया गया। अदालत ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने अवमानना याचिका दायर होने और उसके बाद अदालत की टिप्पणियों के बाद ही कार्रवाई शुरू की थी।
पीठ ने कहा “इतने दिनों तक क्या हुआ? आप उनका पता क्यों नहीं लगा पाए? हमें आपके खिलाफ अवमानना के आरोप लगभग तय करने पड़े थे। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को इस तरह लागू नहीं किया जाना चाहिए। गिरफ्तारी का आदेश तीन न्यायाधीशों की पीठ ने दिया था।”
आरोपी अधिकारियों के आचरण पर चिंता व्यक्त करते हुए अदालत ने पूछा “दोनों अधिकारियों के खिलाफ क्या विभागीय कार्रवाई की गई है? इस अदालत के आदेश के बावजूद कि उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी भी दायर की?”
सुनवाई के दौरान, CBI की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजा ठाकरे ने अदालत को बताया कि एजेंसी (CBI) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है और दोनों अधिकारियों को अब गिरफ्तार किया गया है।
ठाकरे ने कहा कि उत्तम सिंह को इंदौर से 27 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। वहीं, संजीव सिंह को 5 अक्टूबर को शिवपुरी में हिरासत में लिया गया था। दोनों फिलहाल इंदौर की जेल में बंद हैं।
पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही का मांगा विवरण
अदालत ने सुनवाई के दौरान दोनों अधिकारियों के खिलाफ शुरू की गई विभागीय कार्रवाही का विवरण भी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को होगी। अदालत मृतक की मां द्वारा दायर की गई अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट के 15 मई को जारी किए गए आदेश का पालन न करने का आरोप लगाया गया। उस दिन सर्वोच्च न्यायालय ने हिरासत में हुई मौत में कथित रूप से शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की कड़ी आलोचना की थी और जांच सीबीआई को सौंपी थी।
इस मामले की जांच कर रहे जांच अधिकारी (आईओ) ने हिरासत में यातना का खुलासा करने वाले एक प्रत्यक्षदर्शी के बयान के आधार पर 2 जुलाई को एक अन्य पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार किया था। बीती 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने फरार अधिकारियों को निलंबित करने में विफल रहने पर मध्य प्रदेश सरकार और सीबीआई की आलोचना की थी। इसके साथ ही अवमानना कार्यवाही शुरू करने की भी चेतावनी दी थी।
पीठ ने कहा कि ये अधिकारी अप्रैल से ही फरार थे लेकिन फिर भी उन्हें निलंबित नहीं किया गया। सीबीआई ने हालांकि अदालत को बताया कि अधिकारियों को 1 अक्टूबर को निलंबित किया गया। पीठ ने पहले भी फरार अधिकारियों को तुरंत गिरफ्तार करने में विफल रहने के लिए एजेंसी को फटकार लगाई थी।