नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने लोक गायिका नेहा सिंह राठौर के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने से इंकार कर दिया है। गौरतलब है कि पहलगाम हमले पर सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस ने नेहा राठौर के खिलाफ कई अपराधों के तहत एफआईआर दर्ज की थी।
इस एफआईआर को रद्द करने के लिए नेहा राठौर ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि मामले की जांच होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिकाकर्ता आरोप तय करते समय “भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने” सहित कुछ आरोपों को रद्द करने का मुद्दा उठा सकता है। न्यायालय ने कहा कि उसने मामले में कोई दम नहीं दिखाया है बल्कि याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को मुकदमे का सामना करना होगा।
इस मामले में नेहा राठौर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी। उन्होंने सवाल किया कि उन पर (नेहा) युद्ध छेड़ने का आरोप कैसे लगाया जा सकता है, जो एक पोस्ट को लेकर बेहद गंभीर आरोप है। उन्होंने दलील दी “मुझ पर विद्रोह का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। कोई अपराध नहीं है। एक ट्वीट पर मुझ पर मुकदमा कैसे चलाया जा सकता है? मैं कह रहा हूं कि कुछ धाराओं के तहत कार्रवाई रद्द कर दी जाए और बाकी धाराओं के तहत मुझ पर मुकदमा चलेगा। विद्रोह हो ही नहीं सकता, वरना मुझ पर विद्रोह का मुकदमा चलेगा… यह धारा 159 नहीं हो सकती। हम ट्वीट करते हैं लेकिन यह धारा 153A कैसे है? यह न तो 153A है, न 294 और न ही 159।”
कपिल सिब्बल की दलील पर अदालत ने कहा कि ये मुद्दे आरोप तय होने के समय उठाए जा सकते हैं। इस पर सिब्बल ने जवाब दिया कि उन्हें अभी ये मुद्दे उठाने का अधिकार है क्योंकि इन आरोपों पर कोई अपराध नहीं बनता। सिब्बल ने कहा “धारा 482 झूठ है और सिर्फ इसलिए कि मैंने किसी के खिलाफ कुछ कहा है, मुझ पर बलवा का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।”
हजरतगंज थाने में नेहा राठौर के खिलाफ दर्ज हुई थी FIR
सुप्रीम कोर्ट इस पर इच्छुक नहीं था इसलिए सिब्बल ने अनुरोध किया कि उन्हें इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय जाने की अनुमति दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इस मांग को भी अस्वीकार कर दिया। अदालत ने आदेश दिया “इस समय हम इस तर्क पर विचार नहीं कर रहे हैं धारा 159, 152, 196 (1), 197(1)(बी)(सी) बीएनएस के तहत आरोप लगाए जा सकते हैं।”
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा था कि एफआईआर और अन्य सामग्री में लगाए गए आरोप पहली नजर में एक संज्ञेय अपराध का संकेत देते हैं। जो मामले की जांच को उचित ठहराते हैं। जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस सैयद कमर हसन रिजवी की पीठ ने कहा था कि कथित सोशल मीडिया पोस्ट में भारत के प्रधानमंत्री का अपमानजनक और असम्मानजनक तरीके से इस्तेमाल किया गया है। अदालत ने कहा था कि गृह मंत्री को भी निशाना बनाया गया है।
लोकगायिका नेहा सिंह राठौर के खिलाफ हजरतगंज पुलिस थाने में 27 अप्रैल 2025 को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें राठौर पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 के कई प्रावधानों के तहत अपराधों का आरोप लगाया गया था। इसमें धारा 196, 197, 302, 152 और 353 के साथ-साथ आईटी एक्ट 2008 की धारा 69 ए भी शामिल थी।