Friday, October 10, 2025
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Delhi-NCR में बिल्डर-बैंक गठजोड़ का होगा पर्दाफाश, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का दिया आदेश

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और यमुना एक्सप्रेसवे सहित दिल्ली-एनसीआर में रियल एस्टेट डेवलपर्स और बैंकों के बीच कथित “बिल्डर-बैंक गठजोड़” की सीबीआई जांच का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में सात प्रारंभिक जांच (प्रिलिमिनरी इंक्वायरी) दर्ज करने को कहा है, जिनमें से पहली जांच सीधे तौर पर सुपरटेक लिमिटेड के लेन-देन की गहन पड़ताल करेगी।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह आदेश उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया, जिनमें होमबायर्स ने आरोप लगाया था कि उन्हें अभी तक फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है, फिर भी बैंक उन्हें ईएमआई चुकाने के लिए मजबूर कर रहे हैं। याचिकाओं में यह भी कहा गया कि ये सभी मामले सब्सिडी (Subvention) योजनाओं के तहत बुक किए गए फ्लैट्स से जुड़े हैं।

अदालत ने सुनवाई के दौरान बैंकों और बिल्डरों के गठजोड़ की तीखी आलोचना करते हुए कहा, “घर खरीदने वालों को रुलाया जा रहा है। गरीब और मध्यमवर्गीय होमबायर्स को बंधक बना लिया गया है।” पीठ ने कहा कि अब समय आ गया है कि इस अपवित्र गठजोड़ की सच्चाई सामने लाई जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले को “बेहद गंभीर और अस्वीकार्य” करार दिया।

सात जांचें, एसआईटी गठित होगी

सीबीआई को जो सात जांचें सौंपने का निर्देश दिया गया है। पहली जांच में सीबीआई विशेष रूप से सुपरटेक लिमिटेड के लेन-देन की गहन जांच करेगी, जो पहले से ही कई उल्लंघनों के लिए जांच के दायरे में है। दूसरी जांच दिल्ली से सटे सभी प्रमुख रियल एस्टेट हॉटस्पॉट्स को कवर करेगी—जैसे नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र। अ

अदालत ने यह भी कहा कि एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया जाएगा, जिसमें सीबीआई के अधिकारियों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और हरियाणा पुलिस के चुनिंदा अधिकारी, तथा वित्तीय और रियल एस्टेट मामलों के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे।

अदालत ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और संबंधित विकास प्राधिकरणों को भी आदेश दिया है कि वे इस जांच के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करें, जो डेटा साझाकरण और समन्वय में सहयोग करेंगे।

सीबीआई ने खुद जताई थी जांच की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले सीबीआई ने स्वयं अदालत से अनुरोध किया था कि बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों के बीच मिलीभगत और घोटालों की तह तक पहुंचने के लिए प्रारंभिक जांच जरूरी है। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की जरूरत को दोहराया।

गौरतलब है कि हजारों घर खरीदारों ने याचिकाएं दाखिल की थीं। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उन्होंने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में विभिन्न हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में सबवेंशन योजना के तहत फ्लैट बुक किए। इस योजना में बैंक सीधे बिल्डर को लोन की राशि देते हैं और बिल्डर ईएमआई चुकाता है, जब तक फ्लैट की डिलीवरी नहीं होती। लेकिन बिल्डर्स ने ईएमआई देना बंद कर दिया और अब बैंक होमबायर्स से वसूली कर रहे हैं, जबकि उन्हें फ्लैट अब तक नहीं मिला। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जांच के लिए खाका तैयार करने को कहा था।

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