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‘मैगी-कुरकरे के अंदर क्या है?’, पैकेज्ड फूड पर चेतावनी लेबल को लेकर सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: कुरकुरे,मैगी बच्चों से लेकर बड़ों तक की पसंद बन चुका है। लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने पैकेज्ड फूड पर वार्निंग लेबल लगाने को लेकर बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को निर्देश जारी किए। शीर्ष न्यायालय ने सरकार से कहा कि इस संबंध में सिफारिशों को तीन महीने के अंदर लागू किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से तीन महीने के भीतर एफएसएस लेबलिंग और डिस्प्ले रेगुलेशन 2020 में संशोधन पर फैसला लेने को कहा है। आपको बता दें कि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने पैकेज्ड फूड के पैकेट पर चेतावनी की मांग करने वाली जनहित में दायर याचिका पर ये टिप्पणी की है। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने सुनवाई के दौरान पूछा कि आप सभी के पोते- पोतियां हैं? इस याचिका पर फैसला करने दें,आपको पता चल जाएगा कि कुरकुरे या मैगी क्या है और किस तरह का रैपर होना चाहिए। उन्हें पैकेट पर कोई जानकारी नहीं दिखती।  

तीन महीने में कदम उठाने का निर्देश दिया

आपको बता दें कि इस मामले की जब सुनवाई हुई तो केंद्र ने फसईं (FSSAI) के हलफनामे की ओर कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें कहा गया है कि कि हितधारकों सहित जनता से आपत्तियों के रूप में लगभग 14000 टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं।

केंद्र ने एफएसएस लेबलिंग और डिस्प्ले रेगुलेशन 2020 में संशोधन करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और FSSAI को तीन महीने के भीतर नए नियम में संशोधन पूरा करने का निर्देश देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया है। जनहित याचिका में केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पैकेज्ड खाद्य पदार्थों पर FOPL (फ्रंट-ऑफ-पैकेज वार्निंग लेबल) के कार्यान्वयन को अनिवार्य बनाने का निर्देश देने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई है। 

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