Friday, October 10, 2025
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ये मनमानी नहीं तो क्या; सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त; पंजाब सरकार को लगाई फटकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को हरियाणा और पंजाब के बीच एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक कैनाल) नहर विवाद को लेकर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा कि दोनों राज्य सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के लिए केंद्र का सहयोग करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर समाधान नहीं निकला तो पीठ इस मामले पर 13 अगस्त को सुनवाई करेगी।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी ने कहा कि जल शक्ति मंत्री ने बैठक की और जल बंटवारे पर विचार करने के लिए समिति गठित की गई है। दोनों राज्यों के मुख्य सचिव समिति के अध्यक्ष हैं और 1 अप्रैल 2025 को इस मामले में एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल किया गया है।

सतलुज-यमुना लिंक नहर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट

इस पर हरियाणा सरकार के वकील श्याम दीवान ने कहा कि बातचीत से कोई समाधान नहीं हो पा रहा है। जहां तक नहर के निर्माण की बात है, तो हरियाणा ने अपने इलाके का काम पूरा कर लिया है। एक अहम मुद्दा है कि पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि डिक्री अतिरिक्त पानी के लिए थी, लेकिन नहर का निर्माण अभी होना बाकी है। हरियाणा को अतिरिक्त पानी मिलना चाहिए या नहीं, यह मुद्दा ट्रिब्यूनल के समक्ष लंबित है।

इसके अलावा, केंद्र सरकार की तरफ से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हमने मध्यस्थता के लिए प्रयास किए थे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हलफनामे में कहा गया है कि दोनों मध्यस्थता के लिए सहमत हो गए हैं।

मिलजुलकर निकालें समाधान

वहीं, हरियाणा के वकील ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि हम सहयोग नहीं करने जा रहे हैं, इसलिए वार्ता विफल हो गई है। साल 2016 से हम प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आगे कुछ नहीं हुआ। दरअसल, हरियाणा और पंजाब के बीच पानी का विवाद बहुत पुराना है। एसवाईएल विवाद 1966 में हरियाणा के पंजाब से अलग होने के बाद 1981 के जल-बंटवारे समझौते से जुड़ा है।

हरियाणा में खेतों की सिंचाई के लिए पानी की बेहद कमी थी। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच जल संधि हुई थी।

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