नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (24 अगस्त) को गुजरात के जामनगर में स्थित वंतारा या वनतारा ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। रिलायंस फाउंडेशन के स्वामित्व वाले इस वन्यजीव केंद्र पर भारत और विदेशों से अवैध रूप से जानवरों को प्राप्त करने, बंदी जानवरों के साथ दुर्व्यवहार, वित्तीय अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगे हैं।
न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति पी बी वराले की पीठ ने मीडिया रिपोर्टों, सोशल मीडिया पोस्ट्स और एनजीओ तथा वन्यजीव संगठनों की शिकायतों के आधार पर दायर दो जनहित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए चार सदस्यीय SIT का गठन किया है।
एसआईटी का नेतृत्व पूर्व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टी चेलमेश्वर करेंगे। टीम में उत्तराखंड और तेलंगाना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र चौहान, पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नगराले और भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी अनीश गुप्ता शामिल हैं।
क्या हैं आरोप और किसने लगाए?
वंतारा पर भारत और विदेशों से, विशेष रूप से हाथियों, को अवैध रूप से अधिग्रहित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि इस केंद्र में जानवरों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है। इसके अलावा, वित्तीय अनियमितताओं, मनी लॉन्ड्रिंग और वन्यजीवों की तस्करी से संबंधित शिकायतें भी की गई हैं। ये आरोप एनजीओ और वन्यजीव संगठनों द्वारा दायर जनहित याचिकाओं (PILs), मीडिया रिपोर्टों और सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित हैं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि वनतारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और चिड़ियाघरों के लिए बनाए गए नियमों का भी पालन नहीं कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति पीबी वराले की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि याचिका में लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं है और ऐसे मामलों पर आमतौर पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि न्याय के हित में और इन आरोपों को देखते हुए कि वैधानिक अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में अनिच्छुक या असमर्थ हैं, एक स्वतंत्र तथ्यात्मक मूल्यांकन आवश्यक है।
बेंच ने स्पष्ट किया कि एसआईटी का गठन किसी पर संदेह करने के लिए नहीं, बल्कि केवल तथ्यों का पता लगाने के लिए किया गया है। कोर्ट ने कहा कि एसआईटी में अविवादित ईमानदारी और उच्च प्रतिष्ठा वाले लोगों को शामिल किया गया है।
किन चीजों की जांच करेगी एसआईटी
सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को उन सभी शिकायतों की गहन जांच करने का निर्देश दिया है जो जनहित याचिकाओं और विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में उठाई गई हैं। एसआईटी इन प्रमुख बिंदुओं की जांच करेगी:
- भारत और विदेश से जानवरों, विशेष रूप से हाथियों, के अधिग्रहण का तरीका।
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और इसके तहत बनाए गए चिड़ियाघर नियमों का अनुपालन।
- वन्य और जीव-जंतुओं की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) और जानवरों के आयात-निर्यात से संबंधित कानूनों का पालन।
- पशुपालन, पशु चिकित्सा देखभाल और पशु कल्याण के मानकों का पालन, साथ ही जानवरों की मृत्यु दर और उसके कारणों की जांच।
- औद्योगिक क्षेत्र के पास केंद्र के स्थान और वहां की जलवायु परिस्थितियों के बारे में शिकायतें।
- केंद्र के एक “निजी संग्रह” या “वैराइटी” के लिए बनाए जाने, साथ ही वन्यजीवों के व्यापार और तस्करी के आरोपों की जांच।
- जल और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग की शिकायतों का भी संज्ञान लिया जाएगा।
इसके अतिरिक्त, SIT को याचिकाओं में उल्लिखित किसी भी अन्य प्रासंगिक विषय या मामले की भी जांच करने का अधिकार दिया गया है।
क्या है वंतारा केंद्र
वंतारा की वेबसाइट के अनुसार, वंतारा एक ‘वन्यजीव बचाव, उपचार और पुनर्वास केंद्र’ है जो ‘बचाए गए जानवरों की देखभाल और स्वास्थ्य लाभ के लिए एक सुरक्षित और प्राकृतिक वातावरण प्रदान करता है।’
इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल मार्च में किया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वंतारा में 2,000 से अधिक प्रजातियां और 1.5 लाख से अधिक बचाए गए और लुप्तप्राय जानवर रहते हैं।
यह केंद्र हाल के वर्षों में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अपने कार्यों के लिए चर्चा में रहा है। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 36 वर्षीय हाथी महादेवी (माधुरी) को उसके मूल घर नंदनी गांव लौटाने की मांग को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए थे। जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत माधुरी को वंतारा भेजा गया था।
वंतारा ने अपने आधिकारिक बयान में कहा था कि हाथी के स्थानांतरण का निर्णय अदालत के आदेश के तहत हुआ और उसकी भूमिका केवल देखभाल, पशु-चिकित्सा सहयोग और पुनर्वास केंद्र के रूप में आवास उपलब्ध कराने तक सीमित है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वंतारा ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वंतारा ने मंगलवार को एक आधिकारिक बयान जारी किया। बयान में कहा गया कि वंतारा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को “अत्यंत सम्मान के साथ” स्वीकार किया है। संगठन ने कहा, “वंतारा पारदर्शिता, करुणा और कानून के पूर्ण अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध रहता है। हमारा मिशन और फोकस जानवरों के बचाव, पुनर्वास और देखभाल पर जारी रहेगा।”
केंद्र ने आगे कहा, “हम विशेष जांच टीम को पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे और अपना कार्य ईमानदारी से जारी रखेंगे, हमेशा अपने सभी प्रयासों के केंद्र में जानवरों के कल्याण को रखते हुए।” वंतारा ने यह भी अनुरोध किया है कि जांच बिना किसी अटकलबाजी के और उन जानवरों के सर्वोत्तम हित में की जाए जिनकी वे सेवा कर रहे हैं।