Friday, October 10, 2025
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बाबा रामदेव-बालकृष्ण को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने माफीनामा स्वीकार कर बंद की अवमानना कार्रवाई

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु रामदेव और पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई बंद कर दी। भारतीय चिकित्सा संघ ने आधुनिक चिकित्सा के बारे में उनके बयानों को लेकर उनके खिलाफ याचिका दायर की थी।

न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली दो न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण ने बिना शर्त माफी मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि पहले उन्होंने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया था, लेकिन बाद में उन्होंने सुधार के लिए कदम उठाए हैं।

अवमानना की लेकिन बिना शर्त माफी भी मांगीः सुप्रीम कोर्ट

 कोर्ट ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण ने नवंबर 2023 से मई 2024 तक जो कुछ किया, उस पर विचार करने के बाद हमने फैसला किया है कि भले ही उन्होंने पहले कोर्ट के आदेशों की अवमानना की, लेकिन बाद में उन्होंने बिना शर्त माफी मांगी और अखबारों में विज्ञापन देकर अपनी गलती सुधारने की कोशिश की। इसलिए हमने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई बंद कर दी है।

पीठ ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण ने बाद में जो किया, उससे साफ पता चलता है कि उन्होंने अपनी गलती समझी है। उन्होंने सिर्फ माफी नहीं मांगी बल्कि अपनी गलती सुधारने की कोशिश भी की। इन सब बातों को देखते हुए कोर्ट ने उनकी माफी कुबूल कर ली और उनके खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी।

कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को चेतावनी दी

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को चेतावनी दी है कि उन्हें आगे से कोर्ट के आदेशों का पालन करना ही होगा। अगर उन्होंने फिर से ऐसा किया तो कोर्ट उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। कोर्ट ने कहा कि इस बार तो हमने आपकी माफी मांगने पर कार्रवाई बंद की है, लेकिन अगर फिर से ऐसा हुआ तो हम तुरंत कार्रवाई करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को लेकर जताई थी नाराजगी

रामदेव और बालकृष्ण को कोर्ट ने इसलिए तलब किया था क्योंकि उन्होंने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया था। कोर्ट को नाराजगी इस बात की थी कि रामदेव ने 22 नवंबर, 2023 को हरिद्वार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और पतंजलि ने 4 दिसंबर, 2023 को एक विज्ञापन जारी किया था। जबकि 21 नवंबर, 2023 को कोर्ट को पहले ही आश्वासन दिया गया था कि वो आधुनिक दवाओं के खिलाफ कोई बयान नहीं देंगे।

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