सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार से सवाल किए कि उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो को उनके पति की हिरासत के कारणों की पूर्व सूचना क्यों नहीं दी गई। वांगचुक की पत्नी डॉ. गीतांजलि अंगमो द्वारा दायर इस याचिका पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन से जवाब मांगा है।
हैबियस कॉर्पस याचिका में रिहाई की मांग
डॉ. अंगमो ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की है। इसमें उन्होंने अपने पति की रिहाई की मांग की है और कहा है कि 26 सितंबर को हिरासत में लिए जाने के बाद से न तो उन्हें और न ही उनके पति को गिरफ्तारी के कारण बताए गए हैं। उन्होंने अपील की कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत हस्तक्षेप करते हुए सोनम वांगचुक को अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दे, ताकि उनकी सुरक्षा और कानूनी अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।
इससे पहले, गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावुक पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र में लिखा, “मेरे पति को पिछले 4 साल से लोगों के हितों के लिए काम करने की वजह से बदनाम किया जा रहा है। वह कभी भी किसी के लिए खतरा नहीं बन सकते।”
यह गिरफ्तारी लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दो दिन बाद हुई थी, जिनमें चार लोगों की मौत और 90 से अधिक लोग घायल हुए थे। सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को लद्दाख में हिंसक विरोध प्रदर्शन भड़काने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।
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‘बिना नोटिस के गिरफ्तारी अनुचित’
सुनवाई में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जब तक हिरासत के आधारों की प्रति नहीं मिलेगी, तब तक गिरफ्तारी को कानूनी रूप से चुनौती देना संभव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. अंगमो को अब तक अपने पति से मिलने की अनुमति नहीं दी गई है।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि “हिरासत के कारण वांगचुक को बता दिए गए हैं, और उनके भाई उनसे जेल में मिल चुके हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि यह मुद्दा मीडिया में भावनात्मक माहौल बनाने के लिए उठाया जा रहा है। जबकि सभी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है।
पत्नी को भी जानकारी दी जाए सुप्रीम कोर्ट
अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया कि अगर हिरासत के कारण वांगचुक को बता दिए गए हैं, तो वही दस्तावेज उनकी पत्नी को भी क्यों नहीं दिए जा सकते। जस्टिस अरविंद कुमार ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों के मुताबिक हिरासत के कारण परिवार के सदस्यों को भी बताए जाने चाहिए। फिर इसे पत्नी से क्यों रोका जा रहा है?
हालांकि कोर्ट ने इस चरण पर कोई आदेश नहीं दिया, लेकिन यह दर्ज किया कि सॉलिसिटर जनरल इस पर विचार करेंगे कि क्या हिरासत के कारणों को वांगचुक की पत्नी को भी सौंपा जा सकता है। मेहता ने इस पर कहा कि पत्नी को हिरासत के कारणों की प्रति देने की संभावना पर अधिकारी विचार करेंगे, लेकिन एनएसए के प्रावधान केवल हिरासत में लिए गए व्यक्ति को कारण बताने की बात करते हैं, परिवार को नहीं।
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वांगचुक को दवाइयां और इलाज की सुविधा देने का निर्देश
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि वांगचुक को जेल में आवश्यक दवाइयां, कपड़े और चिकित्सा सुविधा दी जाए। जस्टिस कुमार ने कहा कि हिरासत में लिए जाने से पहले वे उपवास पर थे और बिना सामान के गिरफ्तार किए गए थे, इसलिए उनकी सेहत का ध्यान रखा जाना जरूरी है।
जब अदालत ने पूछा कि डॉ. अंगमो ने अपने पति से मिलने के लिए कब अनुरोध किया, तो उन्होंने बताया कि वे पिछले हफ्ते जोधपुर गई थीं लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिली। इस पर जस्टिस कुमार ने कहा कि अगर उन्हें मिलने की अनुमति नहीं दी जाती, तो वे सीधे सुप्रीम कोर्ट आ सकती हैं।
लद्दाख की लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने वांगचुक की गिरफ्तारी का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी हिंसक घटना में भाग नहीं लिया था।
वांगचुक को फिलहाल जोधपुर जेल में रखा गया है। जोधपुर जेल से जारी अपने पत्र में वांगचुक ने कहा कि वे तब तक भूख हड़ताल जारी रखेंगे जब तक लेह में हुई मौतों की न्यायिक जांच नहीं होती। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे गांधी के अहिंसक रास्ते पर रहकर लद्दाख के पर्यावरण और स्वायत्तता की लड़ाई जारी रखें।