कानपुरः समाजवादी पार्टी (SP) के नेता इरफान सोलंकी को गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में जमानत मिल गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इरफान के अलावा उनके भाई रिजवान सोलंकी समेत दो अन्य आरोपियों को भी जमानत दी है। इरफान सोलंकी फिलहाल महाराजगंज जेल में बंद हैं। ऐसे में पूर्व विधायक की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है, जहां वो और उनके साथी बीते 24 महीनों से बंद हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनवाई के बाद 2 सितंबर को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस समीर जैन ने अपना फैसला सुरक्षित लिया था। जिसे आज, 25 सितंबर को जारी किया गया है। हाई कोर्ट ने इस मामले में इरफान सोलंकी, उनके भाई रिजवान सोलंकी और इजराइल अटेवाला की जमानत याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की थी।
इरफान ने दायर की थी याचिका
दरअसल इरफान ने कानपुर के जाजमऊ पुलिस स्टेशन में अपने खिलाफ दर्ज मामले में एक जमानत याचिका दायर की थी। उनके वकीलों ने दलील दी थी कि इसी मामले में अन्य आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। ऐसे में समानता के सिद्धांत के आधार पर उनके मुवक्किलों को भी राहत मिलनी चाहिए। सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि मुख्य आरोपी होने के नाते इरफान जमानत के हकदार नहीं हैं।
हाई कोर्ट ने इरफान के वकील की दलीलें मान लीं और पूर्व विधायक समेत तीनों आरोपियों को जमानत दे दी। इरफान सोलंकी की पत्नी और वर्तमान विधायक नसीम सोलंकी कानपुर में रहती हैं। नसीम सोलंकी और परिवार के अन्य सदस्य फैसले के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे थे। पत्नी नसीम का कहना है कि वो इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले से बहुत खुश हैं।
इरफान सोलंकी का जन्म 1979 में राजस्थान के अजमेर में हुआ था। उन्हें राजनीति अपने पिता से विरासत में मिली। इरफान के पिता हाजी मुश्ताक सोलंकी मुलायम सिंह यादव के करीबी सहयोगी थे। इरफान ने 2007 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर कानपुर जिले की आर्य नगर सीट से पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने सीसामऊ सीट से चुनाव लड़ा और 2012, 2017 और 2022 में जीत हासिल की। साल 2003 में इरफान ने नसीम सोलंकी से शादी की। उनके एक बेटा और दो बेटियां हैं।
आजम खान भी हुए थे रिहा
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान हाल ही में जेल से रिहा हुए थे। आजम खान 23 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद उन्हें मंगलवार, 23 सितंबर को यूपी के सीतापुर जेल से रिहा किया गया। उन्हें लेने उनके बेटे अब्दुल्ला और अदीब के साथ उनके समर्थक पहुंचे थे।
ऐसे में समाजवादी पार्टी के लिए इसे एक अच्छी खबर के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि साल 2027 में विधानसभा चुनाव है और दोनों ही नेताओं की अपने क्षेत्र में अच्छी और मजबूत पकड़ मानी जाती है। वहीं, समाजवादी पार्टी बीते साल हुए लोकसभा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बाद से एक ताकतवर पार्टी के रूप में उभरी है। पार्टी उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्ष की भूमिका में है।