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मुर्शिदाबाद हिंसा के लिए सोशल मीडिया को बनाया गया हथियार, फैलाई गई अफवाह; 1093 अकाउंट ब्लॉक

मुर्शिदाबाद: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद लोग पलायन के लिए मजबूर होने लगे हैं। वहीं, अब इस मामले में एक अपडेट सामने आया है। दरअसल, व्हाट्सऐप ग्रुप, फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट और लोगों की अफ़वाहों ने मिलकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक तूफान खड़ा कर दिया। बता दें कि वक्फ कानून के विरोध में हुई हिंसा के बाद लिया गया, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए। वहीं, सैकड़ों लोग पलायन को मजबूर हो गए।

प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी, दुकानों और घरों को नुकसान पहुंचाया, इसके बाद पुलिस के साथ उनकी झड़पें हुईं। स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की और कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दीं। हिंसा के दौरान सैकड़ों लोग विस्थापित हुए, इनमें से कई ने पड़ोसी मालदा जिले में शरण ली।

1093 सोशल मीडिया अकाउंट ब्लॉक

पुलिस ने अब तक 1093 सोशल मीडिया अकाउंट ब्लॉक किए और 221 लोगों को गिरफ़्तार किया गया।इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय लोगों का कहना है कि कई संगठनों ने नए कानून के विरोध में रैलियां बुलाई थीं। वहीं, दंगे का पहला संकेत 8 अप्रैल को ही मिल गया था। एनएच-12 पर प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई। दो पुलिस जीपों को आग लगा दी गई। लेकिन इसके बाद 11 अप्रैल हिंसा ने विकराल रूप ले लिया। 

इस मामले में एक अधिकारी ने कहा, ‘जब हिंसा की पहली घटना दर्ज की गई, तो पुलिस ने स्थिति को कंट्रोल करने के लिए आंसू गैस और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया। लेकिन 11 अप्रैल का नजारा अलग था। उस दिन एनएच-12 एक तरह से युद्ध क्षेत्र बन गया, जिसमें भीड़ ने साजुरमोर और डाकबंगला इलाकों में बसों, निजी वाहनों, पुलिस जीपों को जला दिए।’

भड़काने वाले मैसेज वायरल

वहीं, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘भड़काने वाले मैसेज वायरल किए गए- जैसे कि जमीन, धार्मिक स्थल और यहां तक कि कब्रिस्तान भी छीन लिए जाएंगे। लोगों को यह आभास दिया गया कि लोगों के पूजा करने के अधिकार में बाधा डाली जाएगी। इसके साथ ही, इस गलत मैसेज को वायरल करने के लिए कई फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट बनाए गए।’ रैलियों के लिए हजारों युवाओं को जुटाया गया था। बहुत से युवा दूसरे शहरों में काम करते हैं, लेकिन ईद के लिए वापस आ गए थे। एजाज, वास्तव में चेन्नई के एक होटल में काम करता था और उसे 13 अप्रैल को जाना था।

 

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