नई दिल्लीः शरजील इमाम ने 6 सितंबर (शनिवार) को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत से इंकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। 2020 में हुए दिल्ली दंगों के मामले में शरजील इमाम की जमानत याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को खारिज कर दी थी।
शरजील इमाम को फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के पीछे बड़ी साजिश के संबंध में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम मामला दर्ज किया गया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
जस्टिस नवीन चावला और शलिंदर कौर की पीठ ने इमाम और सात अन्य की जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, 9 जुलाई को अदालत ने साल 2022, 2023, 2024 में दायर की गई याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित किया था।
अदालत ने आदेश पर करते हुए कहा था “सभी अपीलें खारिज की जाती हैं।” अभियोजन पक्ष ने इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के सामने यह दलील दी थी कि दंगे स्वतः स्फूर्त नहीं थे बल्कि “पहले से ही योजनाबद्ध” थे। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यह एक “खतरनाक मकसद” से किया गया था और एक “सोची-समझी साजिश” थी।
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शरजील इमाम के साथ-साथ उमर खालिद और अन्य लोगों पर ‘मास्टरमाइंड’ होने के आरोप में यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे।
हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, दिल्ली में हुई इस हिंसा में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। ये दंगे नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन के दौरान हुए थे।
शरजील इमाम के अलावा इन लोगों पर भी हुआ था मुकदमा
इस मामले में शरजील इमाम के अलावा उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा, खालिद सैफी, अतहर खान, मोहम्मद सलीम, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर और शादाब अहमद का नाम शामिल है।
इस मामले में सभी अभियुक्त 2020 से जेल में हैं। दिल्ली की निचली अदालत द्वारा इनकी जमानत याचिका खारिज करने के बाद हाई कोर्ट का रुख किया था। हालांकि, अभियोजन पक्ष लगातार इनकी जमानत याचिकाओं को खारिज करने की मांग करता रहा है।
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दिल्ली पुलिस ने भी जमानत याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी और हिंसा को एक सोची-समझी और सुनियोजित साजिश बताया था।
दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियुक्तों की ओर से पेश हुए वकीलों ने कहा था कि मुवक्किल चार साल से अधिक समय जेल में बिता चुके हैं और मामले में देरी का भी हवाला दिया था। वकीलों ने यह भी कहा कि इस मामले में ट्रायल शुरू नहीं हुआ है ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी चाहिए।
उमर खालिद के वकील ने तर्क दिया था कि व्हाट्सऐप ग्रुप में रहना कोई अपराध नहीं है और उन्हें (उमर खालिद) को किसी के द्वारा उस ग्रुप में जोड़ा गया था।
इस मामले में शरजील इमाम की अगस्त 2020 में गिरफ्तारी हुई थी। उमर खालिद और अन्य लोगों का नाम इस लिस्ट में बाद में जोड़ा गया था।