Friday, October 10, 2025
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शरजील इमाम को दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिली लेकिन जेल में ही रहना होगा, क्या है वजह?

दिल्ली: शरजील इमाम को दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को जमानत दे दी। इमाम को दिल्ली के जामिया इलाके और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने वाले मामले में जमानत मिली है। शरजील इमाम की अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा- ‘अनुमति है।’ हालांकि शरजील इमाम अभी जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे।

शरजील इमाम के वकील अहमद इब्राहिम के अनुसार वे अभी जेल से बाहर नहीं आएंगे क्योंकि वो 2020 के दिल्ली दंगों में कथित षड्यंत्र वाले मामले में भी अभियुक्त हैं। इस संबंध में जमानत याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में ही लंबित है। इमाम ने 17 फरवरी के ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की थी। ट्रायल कोर्ट ने तब उन्हें यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में उनके सीएए विरोधी भाषणों की सामग्री को ‘शब्दकोश के अर्थ’ में ‘राजद्रोह’ कहा जा सकता है।

शरजील इमाम ने दिल्ली हाई कोर्ट में क्या कहा?

इमाम ने याचिका में कहा था कि ट्रायल कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया है जबकि वह दोषसिद्धि पर मामले में दी जाने वाली अधिकतम सजा की आधी से अधिक सजा काट चुका हो। उन्होंने दावा किया कि वह वैधानिक जमानत पर रिहा होने के हकदार हैं क्योंकि वह चार साल से हिरासत में हैं। याचिका में दलील दी गई दोषी पाए जाने पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा-13 के तहत इस अपराध के लिए उन्हें अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है, और वे आधी से अधिक सजा ऐसे भी काट चुके हैं।

दरअसल, सीआरपीसी की धारा 436-ए के अनुसार यदि किसी व्यक्ति ने अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की आधी से अधिक अवधि जेल में बिता ली है, तो उसे हिरासत से रिहा किया जा सकता है।

क्या है शरजील इमाम से जुड़ा मामला?

शरजील इमाम के खिलाफ नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के संबंध में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए 2020 में दिल्ली पुलिस द्वारा राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। आरोप है कि उन्होंने 13 दिसंबर 2019 को जामिया में और फिर 16 दिसंबर को एएमयू में भड़काऊ भाषण दिए। इन भाषणों में इमाम ने असम और पूर्वोत्तर के हिस्सों को देश से काटने की बात कही थी। बाद में शरजील इमाम के खिलाफ यूएपीए की धारा 13 लागू की गई जिसके तहत निर्धारित अधिकतम सजा सात साल है।

इमाम 28 जनवरी, 2020 से न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। शरजील इमाम दिल्ली दंगों के लिए षड्यंत्र रचने के मामले में भी आरोपी हैं। इसी मामले में कई और छात्र नेता भी अभियुक्त हैं। एक दिन पहले ही 28 मई को दिल्ली की एत कोर्ट ने इसी केस में उमर खालिद की जमानत याचिका खरिज कर दी थी।

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