Saturday, October 11, 2025
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शामली में शख्स की मौत के बाद 2 पत्रकारों सहित 5 के खिलाफ FIR, ‘मॉब लिंचिंग’ की अफवाह फैलाने का आरोप

शामली: उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली स्थित दो पत्रकारों सहित पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इनके खिलाफ सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर दुर्भावनापूर्ण पोस्ट कर कथित तौर पर धर्म के आधार पर लोगों के बीच दुश्मनी बढ़ाने के आरोप लगाए गए हैं। यूपी पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। आरोप हैं कि इन लोगों ने 4 जुलाई की एक घटना को लेकर मॉब लिंचिंग का झूठा दावा किया था।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने कहा कि इन पांच लोगों ने फिरोज कुरैशी नाम के एक व्यक्ति को लेकर ‘गलत जानकारी’ साझा की। फिरोज की मौत 4 जुलाई की रात को उसके घर पर हुई थी। पुलिस के अनुसार फिरोज की मॉब लिंचिंग नहीं हुई थी बल्कि ये मारपीट की घटना थी।

फिरोज की मौत पर पुलिस ने क्या बताया?

पुलिस ने कहा कि फिरोज के परिवार द्वारा दर्ज की गई शिकायत के अनुसार गंगा आर्य नगर के रहने वाले तीन लोगों पिंकी, पंकज और राजेंद्र ने रात 8 बजे के आसपास उसकी पिटाई की। इसके बाद घर पहुंचने के कुछ देर बाद रात 11 बजे उसकी मौत हो गई। इस संबंध में 5 जुलाई को बीएनएस धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पुलिस ने बताया कि मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

शामली पुलिस का कहना है कि यह मॉब लिंचिंग का मामला नहीं है। पुलिस के अनुसार 4 जुलाई की रात फिरोज नशे की हालत में आरोपी राजेंद्र के घर में घुस गया था। दोनों पक्षों के बीच मारपीट हो गई। बाद में फिरोज का परिवार उसे घर ले गया जहाँ उसकी मृत्यु हो गई।

पुलिस ने एक बयान में कहा, ‘फिरोज के शरीर पर कोई गंभीर चोट नजर नहीं आई। (फिरोज के) परिवार के सदस्यों की शिकायत के आधार पर संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया और शव का पोस्टमॉर्टम किया गया।’

पुलिस ने कहा, ‘पहले भी यह जानकारी दी गई थी कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह साफ हो गया है कि मौत का कारण मारपीट नहीं है। मृतक शराब के नशे में आरोपी के घर में घुसा था। इसके बावजूद इस घटना को जानबूझकर सांप्रदायिक रंग दिया गया और दुर्भावना फैलाने के उद्देश्य से इसे मॉब लिंचिंग के रूप में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दर्ज प्राथमिकी में कार्रवाई की जायेगी। दुर्भावनापूर्ण पोस्ट के खिलाफ उचित एफआईआर भी दर्ज की गई है। आरोप तर्कहीन हैं और इसलिए इनका खंडन किया जाता है।’

पुलिस ने यह भी कहा कि मृतक का विसरा सुरक्षित रखा गया है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है क्योंकि मौत का कारण स्पष्ट नहीं है। पुलिस ने कहा कि थाना भवन पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक को गलत सूचना पोस्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

‘एक्स’ पर पोस्ट करने का क्या है विवाद?

दूसरी ओर फिरोज की मौत के बाद जिन अन्य पांच लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई है, उनके खिलाफ घटना को लेकर अफवाह फैलाने के आरोप हैं। इनकी ओर से सोशल मीडिया पर शेयर की गई पोस्ट के मुताबिक फिरोज को उनके घर में घुसने के संदेह में ‘दूसरे समुदाय के लोगों ने मार डाला।’ इनके खिलाफ एफआईआर शामली के थाना भवन पुलिस स्टेशन के एक सब-इंस्पेक्टर मनेंद्र कुमार की शिकायत पर दर्ज की गई है।

पांच में से दो पत्रकारों की पहचान जाकिर अली त्यागी और वसीम अकरम त्यागी के रूप में की गई है। अन्य तीन की पहचान आसिफ राणा, सैफ इलाहाबादी और अहमद रजा खान के तौर पर की गई है।

एफआईआर में कहा गया है- ‘मृतक फिरोज की घटना के संबंध में…जाकिर अली, वसीम अकरम त्यागी, आसिफ राणा, सैफ इलाहाबादी और अहमद रजा खान ने अपने एक्स अकाउंट से पोस्ट/रीपोस्ट किया…उन्होंने लिखा कि देर रात थाना भवन पुलिस स्टेशन के तहत जलालाबाद इलाके में एक युवक जिसका नाम फिरोज उर्फ ​​काला कुरेशी बताया जा रहा है, उसे दूसरे समुदाय के कुछ लोगों ने घर में घुसने के शक में पीट-पीटकर मार डाला। कोई भी किसी को इस तरह से मार देगा और फिर कहेगा कि उसे संदेह था।’

एफआईआर में आगे कहा गया है, ‘इन लोगों द्वारा अपने एक्स अकाउंट पर किए गए ट्वीट (पोस्ट) के कारण एक विशेष समुदाय के लोगों में दुश्मनी और गुस्सा है…इससे सांप्रदायिक सद्भाव और स्थानीय शांति बिगड़ने की संभावना है। कृपया इस संबंध में कानूनी कार्रवाई करें।’

पांचों के खिलाफ एफआईआर बीएनएस की धारा 196 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 353 (पब्लिक मिसचिफ) के तहत दर्ज की गई है।

एफआईआर पर पत्रकारों ने क्या कहा?

यूपी पुलिस की ओर से एफआईआर दर्ज किए जाने पर पत्रकार जाकिर अली सहित वसीम अकरम त्यागी की भी प्रतिक्रिया आई है। वसीम अकरम ने इस संबंध में एक सोशल मीडिया पोस्ट पर अपनी बात कही है।

वहीं, जाकिर अली ने कहा कि शामली पुलिस ने ‘लिंचिंग मामले’ की रिपोर्टिंग करने पर मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जाकिर अली ने कहा, ‘शामली के जलालाबाद में फिरोज कुरैशी नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई, जिसके बाद उसके परिवार वालों ने उसका शव सड़क पर रखकर जाम लगा दिया था। उन्होंने पंकज, पिंकी और राजेंद्र और उनके कई साथियों पर मॉब लिंचिंग का आरोप लगाया था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की, लेकिन फिरोज के परिजनों के बयान पर आधारित मेरी रिपोर्ट के कारण मुझे निशाना बनाया जा रहा है।’

फिरोज ने कहा, ‘मेरा एकमात्र अपराध यह है कि मैंने वही लिखा जो यह था…मैं इस घटना को दिल का दौरा या आकस्मिक मौत कहकर इसे कमजोर रूप नहीं दे सकता।’ उन्होंने आगे कहा कि वह एफआईआर को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।

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